उप वन मण्डलाधिकारी का ब बढ़ बोलापन से लोगों में बढ़ रहा असंतोष, भाजपा नेताओं का मिला है संरक्षण
सिंगरौली 10 अगस्त। जिले में दूसरी बार स्थानांतरित होकर आये बड़बोलापन उप वन मण्डलाधिकारी जिला का विकास करने के लिए आमादा हैं। सिंगरौली के प्रति उप वन मण्डलाधिकारी का इतना मोह क्यों है यह बात धीरे-धीरे जगजाहीर होने लगी है। पहले डीएमएफ फण्ड पर सबकी निगाह थी, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसे अधिकारियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया है। जो बार-बार सिंगरौली आना चाहते हैं।
दरअसल हुआ यूं कि आज मंगलवार को सागौन से लदे एक टै्रक्टर को पुलिस कर्मियों ने पूछताछ के लिए खड़ा करा लिया। जहां मौके पर टै्रक्टर चालक के पास पीओआर नहीं था। केवल चालान संबंधी एक कागज था। उसमें भी कुछ संदिग्ध लग रहा था। जब यह जानकारी लगी कि टै्रक्टर से लदे सागौन लकड़ी माड़ा रेंज क्षेत्र से आ रही थी। यह बात समूचे क्षेत्र में आग की तरह फैल गयी। आनन-फानन में पुलिस ने टै्रक्टर को बैढऩ रेंज को सुपुर्द कर दिया। सूत्र बताते हैं कि बेसकीमती इमारती लकड़ी सागौन को बैढऩ रेंज के कर्मियों ने अपने कब्जे में लेते हुए टै्रक्टर को छोड़ दिया। चर्चांए यहां तक हैं कि माड़ा वन कर्मियों ने टै्रक्टर पर दरियादिली दिखाया है। वहीं चर्चाएं हैं कि उक्त लकड़ी एक टाल के आरा मशीन में भेजी जा रही थी और बाद में इसी बेसकीमती लकड़ी सागौन को यूपी के एक जिले में भेजने की तैयारी थी। जहां एक रेंज अधिकारी द्वारा मकान का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। हालांकि जब यह बात उप वन मण्डला अधिकारी एसडी सोनवानी को लगी तो उनका तर्क था कि इमारती लकड़ी की चोरी दिन में नहीं होती है। उन्होंने उल्टा मीडिया कर्मियों पर ही आरोप मढ़ दिया और कहा कि सिंगरौली की मीडिया जिले का विकास नहीं चाहती है। बेसकीमती इमारती लकड़ी व विकास से क्या सरोकार है यह बात अब गले से नहीं उतर रही है। उप वन मण्डलाधिकारी इस बात को भूल गये कि वे दूसरी बार सिंगरौली जिले में पदस्थ हुए हैं। यहां के दाना पानी से उनका मोहभंग नहीं हो रहा है। स्थानांतरण के करीब एक साल बाद जिले में दोबारा क्यों पदस्थापना कराये इस बात किसी से छुपी नहीं है। विकास की बात करने वाले उप वन मण्डलाधिकारी पहले अपने क्रियाकलाप को देखें फिर सिंगरौली के मीडिया कर्मियों पर ऊंगली उठायें। उप वन मण्डलाधिकारी का इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल पहली दफा नहीं किया है इसके पहले भी वे कुछ लोगों से उलझ चुके हैं। हालांकि बाद में उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हो गया था। लेकिन अब अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए जिस तरह से बड़बोलापन होकर भाषाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं इससे उनके क्रियाकलाप पर सवाल उठना लाजिमी है।
मौके से नहीं मिला पीओआर
जानकारी के मुताबिक जिस वक्त खुटार पुलिस ने बेसकीमती इमारती लकड़ सागौन से भरे टै्रक्टर को दबोचा। उस वक्त चालक के पास पीओआर नंबर नहीं था। केवल रसीद थी उसमें भी गड़बड़झाला होने का अंदेशा है। इसके जानकार बताते हैं कि यदि कोई भी इमारती लकड़ी काष्ठागार में भेजी जाती है तो साथ में पीओआर रहना अनिवार्य रहता है। पुलिस के समक्ष माड़ा रेंज के ही कुछ वन कर्मी एके सिंह ने मौके पर स्वीकार भी किया कि पीओआर नंबर होना जरूरी होता है।
फारेस्ट गार्ड ने कहा रेंजर की है लकड़ी
मीडिया कर्मी ने जब फारेस्ट गार्ड से पूछा कि आखिरकार बिना पीओआर नंबर के बेसकीमती सागौन की लकड़ी परिवहन की जा रही है तो यह बेसकीमती लकड़ी किसके इशारे पर और कहां भेजी जा रही है। फारेस्ट गार्ड ने बताया कि यह इमारती लकड़ी माड़ा रेंज के परिक्षेत्राधिकारी के निर्देश पर भेजी जा रही है। उसने यह नहीं बताया कि काष्ठागार बरगवां में भेजी जा रही थी या स्वयं उपयोग के लिए इस पर वह चुप्पी साध लिया।
इनका कहना है
मीडिया कर्मियों ने मामले को इतना बढ़ा दिया है जो लकड़ी लाई जा रही थी उसका चालान है। बेवजह मामले को तूल पकड़ाया जा रहा है। ऐसे में सिंगरौली का विकास नहीं हो पायेगा।
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