सिंगरौली 30 दिसम्बर। जिले में एक पखवाड़े के दौरान सिलसिलेवार हुई हत्याओं से सिंगरौली दहल उठा है। साल के आखिरी महीना जाते-जाते जिले की पुलिस को दर्द देकर जा रहा है। वहीं जिले में करीब 15 दिन के दरमियान आधा दर्जन हुई हत्याओं को लेकर कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
गौरतलब हो कि जिले में 14 दिसम्बर से हत्याओं का जो सिलसिला शुरू हुआ वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। औसतन दो व तीन दिन के अंतराल में हर रोज एक हत्या हो रही है। अभी यह सिलसिला थमा नहीं है। साल का दिसम्बर महीना पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। इस तरह की सिलसिलेवार घटनाएं जिले में कम हुई हैं।
आंकड़ों के मुताबिक पहली घटना 14 दिसम्बर को बरगवां थाना क्षेत्र के पोंड़ी में एक महिला की हत्या कर दी गयी थी। वहीं दूसरी घटना इसी दिन जियावन थाना क्षेत्र के कुंदवार चौकी अंतर्गत संडा गांव में सोते हुए युवक की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गयी थी। तीसरी वारदात 19 दिसम्बर को बरगवां थाना क्षेत्र के मझिगवां में एक अधेड़ की उसी के दामाद व सहयोगियों ने धारदार हथियार से हमला कर मौत की नींद सुला दिया था। तत्पश्चात चौथी घटना जियावन थाना क्षेत्र के रेही रेत खदान में 22 दिसम्बर को मुनेन्द्र गुर्जर को शिवशंकर गुर्जर ने अधमरा कर दिया था। जहां उसकी 24 दिसम्बर को उपचार के दौरान मौत हो गयी। पांचवी घटना सरई थाना के तिनगुड़ी गांव स्थित अम्ब्रेश प्रजापति की 24-25 दिसम्बर की दरमियानी रात सोते समय दो सगे भाई आरोपियों ने मौत की नींद सुला दिया था। छठवीं वारदात चितरंगी थाना क्षेत्र के खैरा गांव की है। जहां मंगलवार-बुधवार की रात एक महिला का दुराचार कर आरोपी ने मौत की नींद सुला दिया था। विगत 15 दिनों में सिलसिलेवार आधा दर्जन हुई निर्मम हत्याओं को लेकर अब जिले की कानून व्यवस्था पर प्रश्रचिन्ह खड़ा होने लगा है। विपक्षी दलों का आरोप है कि जिले के साथ-साथ प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से अस्त-व्यस्त एवं पस्त हो गयी है। जिले में छोटू सहित सीकेडी माफिया का विस्तार हो चुका है। कई जगह खुलेआम कबाड़ दुकानें चल रही हैं। छोटू सहित अन्य सीकेडी माफिया पांव पसारते जा रहे हैं। आरोपियों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। यही कारण है कि आरोपियों में अब पुलिस का डर नहीं रह गया है। लिहाजा बेखौफ होकर आरोपी घटना को अंजाम दे रहे हैं। फिलहाल जिले में लगातार हो रही हत्या की घटनाओं को लेकर एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। हालांकि पुलिस सभी अंधी हत्याओं को सुलझाने का दावा कर रही है, किन्तु सवाल उठ रहा है कि हत्या का यह सिलसिला कब थमेगा?