कुपोषित बच्चे हैं नहीं तो,कहां से पहुंचें एनआरसी में
जिला परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास का दावा,कुपोषण से मुक्त होने के कगार पर है जिला,उठने लगे कई सवाल
सिंगरौली 2 दिसम्बर। जिले में कुपोषित बच्चे हैं नहीं तो आंकड़ा कहां से दे दें। इसीलिए एनआरसी में अति कुपोषित बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं। उक्त बातें जिला परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास सिंगरौली ने विन्ध्य न्यूज के सवालों पर कही है।
दरअसल सिंगरौली जिले में अति कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भले ही महिला एवं बाल विकास विभाग यह दावा करे कि जिले में कुपोषित बच्चे नहीं हैं यह बात लोगों के गले से नहीं उतर रही है। पूर्व के आंकड़े भी बताते हैं कि सिंगरौली जिले में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ हैं। किन्तु जिला परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास का जबाव समझ से परे लग रहा है। हालांकि उन्होंने जो बाते कहीं हैं संभवत: एनआरसी में भर्ती अति कुपोषित बच्चों की संख्या नगण्य होने पर कही होगी। कोरोना काल से ही एनआरसी में भर्ती अति कुपोषित बच्चों के आंकड़े जनवरी में 25, फरवरी में 23, मार्च 15,अपै्रल 6, मई में एक भी नहीं, जून 5, जुलाई में 7, अगस्त में 23, सितम्बर में 19, अक्टूबर में 7, नवम्बर में 21 बच्चे भर्ती हो पाये हैं। यह हाल जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर के एनआरसी का है। हालांकि अभी ब्लाक मुख्यालयों के आंकड़े नहीं हैं।
एनआरसी में अति कुपोषित बच्चे क्यों नहीं पहुंच पा रहे हैं इसका कोई ठोस जबाव महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ स्वास्थ्य अमले के द्वारा नहीं दिया जा रहा है। कोरोना वायरस का हवाला देकर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपनी जबावदेही से बचने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं एनआरसी में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयास के बाद ही अति कुपोषित बच्चे एनआरसी में भर्ती हो पायेंगे। प्रयास न करने से अति कुपोषित बच्चों की संख्या न के बराबर है। फिलहाल जिले में अति कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बावजूद इसके आंकड़े छुपाने के प्रयास जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा क्यों किया जा रहा है यह बात अब समझ से परे लग रहा है। वहीं जिला परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग का जबाव अजीबो सा लग रहा है।
कुपोषित बच्चों का 50 फीसदी बेड खाली
कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने 2 महीने पहले ही महिला एवं बाल विकास एवं स्वास्थ्य अमले को निर्देशित कर चुके हैं कि अति कुपोषित बच्चों को हरहाल में एनआरसी केन्द्रों में भर्ती करायें। किन्तु कलेक्टर का निर्देश बेअसर साबित हो रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण एनआरसी केन्द्र सीएचसी चितरंगी, देवसर एवं सरई का है। जहां 10-10 बेड के स्थान पर क्रमश: 5-5 एवं सरई में 6 बच्चे भर्ती हैं। वहीं जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर के एनआरसी 20 बेड के स्थान पर 10 बच्चे भर्ती हैं। इन केन्द्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अति कुपोषित बच्चों को क्यों नहीं भर्ती कराया जा रहा है। इसका कोई ठोस आधार नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में आईसीडीएस विभाग अमले की कार्यप्रणाली पर ऊंगलियां उठने लगी हैं।
फिर सिंगरौली को कुपोषण मुक्त कराने की घोषणा!
जिला परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास राजेश राम गुप्ता के अनुसार जिले में अति कुपोषित बच्चे नहीं हैं। यदि उनके बातों में इतना दम है तो प्रबुद्ध नागरिकों की मांग है कि फिर सिंगरौली जिले को मुक्त कराने की घोषणा कराने में देरी क्यों कर रहे हैं। जल्द से जल्द जिले को कुपोषण मुक्त घोषित करा दें। हालांकि जिला परियोजना अधिकारी आईसीडीएस का यह बेतुका जबाव कई सवालों को पैदा कर रहा है। कहा जा रहा है कि परियोजना अधिकारी श्री गुप्ता इसके पहले 5 साल तक लूप लाईन में थे। सिंगरौली में उन्हें विभाग की जबावदेही सौंपी गयी है। सूत्र बताते हैं कि आईसीडीएस विभाग में खींचातानी शुरू है। इस बात को लेकर विभाग में खूब चर्चाएं चल रही हैं।
इनका कहना है
जिले में अति कुपोषित बच्चे हैं ही नहीं तो आंकड़े कहां से बता दें। 12 सौ अति कुपोषित बच्चों के आंकड़े गलत हैं।
राजेश राम गुप्ता,जिला परियोजना अधिकारी
महिला एवं बाल विकास विभाग,सिंगरौली