डीडीए एवं प्राचार्य कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र ने जबावदेही से खड़े किये हाथ
सिंगरौली 6 अगस्त। जनता के खून पसीने के कमाई से टैक्स वसूलकर सरकार कैसे राशि का दुरूपयोग करती है इससे बड़ा उदाहरण कुछ नहीं हो सकता है। हुआ यूं कि करीब 5 वर्ष पूर्व म.प्र.मण्डी बोर्ड द्वारा संचालित चलित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वैन वाहन किसी दूसरे जिले से ट्रांसफर कर सिंगरौली डीडीए को मुहैया कराया गया था। लेकिन अब यह वैन वाहन प्राचार्य, कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र के प्रांगण में जंग खा रहा है। आश्चर्य तब लगता है जब डीडीए आशीष पाण्डेय व प्राचार्य कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र ने वाहन के संबंध में अपनी जबावदेही से हाथ खड़े कर लिये। जबकि 5 साल पूर्व तक कृषि विभाग जगह-जगह दोहाई देता आ रहा था कि इस वाहन से ही गांवों के एनपीके मिट्टी का परीक्षण किया जायेगा।
विभागीय सूत्रों के अनुसार कुछ महीने तक तत्कालीन डीडीए श्री मोहनिया गांवों में घूम-घूमकर मिट्टी परीक्षण कराया भी। वाहन धीरे-धीरे बिगडऩे लगा तो कृषि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिये। अब यह वाहन की देख-रेख कौन कर रहा है डीडीए आशीष पाण्डेय से लेकर प्राचार्य कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र हाथ खड़े कर दे रहे हैं। दो विभाग के बीच वाहन जंग पूरी तरह से खा लिया है। वाहन की कीमत लाखों में थी। फिलहाल चलित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला एनपीके वाहन को जंग खाने व जबावदेही लेने से भाग रहे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर तरह-तरह के प्रश्रचिन्ह खड़े होने लगे हैं। सवाल उठाया जा रहा है कि जनता के पसीने की कमाई का कैसे दुरूपयोग होता है इससे बड़ा ज्वलंत उदाहरण और क्या हो सकता है।
इनका कहना है
उक्त वाहन हमारे विभाग का नहीं है। मिट्टी परीक्षण के लिए हम ग्रामीणों से मिट्टी मंगाकर अपने लैब में मिट्टी का परीक्षण कराया जा रहा हैं। यह वाहन कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र का है। इस वाहन के संबंध मेें कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र से ही जानकारी मिल पायेगी।
आशीष पाण्डेय,डीडीए,सिंगरौली
इनका कहना है
चलित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वाहन हमारे विभाग का नहीं है। इसकी पूरी जिम्मेदारी कृषि कल्याण विभाग की है। प्रदेश के किसी भी जिले में उक्त वाहन को कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र को नहीं सौंपा गया है।
जय सिंह,प्राचार्य
कृषि विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र,सिंगरौली