मंदसौर। दशहरे पर रावण दहन तो अपने कई देखे होंगे पर राम और रावण की सेना द्वारा परम्परगत और खतरनाक युद्ध शायद ही आपने देखा होगा तो चलिए हम आपको दिखाते हे दशहरे का रावण वध जो आज भी परम्परागत रूप से मनाया जाता है। मस्ती रोमांच और खतरों भरा यह युद्ध राम और रावण की सेना के बीच होता हैं। मन्दसौर के ग्राम धमनार का यह दशहरा अपने आप में अनोखा है ।
शहर में स्थित रावण प्रतिमा का भी काफी पुराना इतिहास है। इसी के चलते यहां दशहरे 22 अक्टूबर को रावण प्रतिमा की पूजा होगी और शाम को आतिशबाजी कर प्रतीकात्मक वध किया जाएगा। नामदेव समाज सहित रावण प्रतिमा के आसपास रहने वाले कई लोग परिवार व समाज को बीमारी व आपदा से दूर रखने के लिए रावण प्रतिमा के पैर में लच्छा भी बांधेंगे। वहीं पास ही ग्राम धमनार में राम-रावण की सेना के बीच युद्घ होगा और बाद में रावण प्रतिमा की नाक पर मुक्का मारकर वध किया जाएगा।
रावण के पुतले का दहन नही बल्कि किया जाता है रावण का वध
बता दें कि मन्दसौर से 18 किलो मीटर दूर ग्राम धमनार में दशहरा उत्सव का इतिहास बड़ा पुराना है यहां दशहरा उत्सव के सामने दिवाली भी फीकी पड़ जाती है । सीमेंट से बने रावण के पुतले का दहन नही किया जाता बल्कि रावण का वध होता है। ग्रामीण मिलकर राम और रावण की अलग अलग टोलिया बनाते है। एक टोली राम की सेना कहलाती हे तो दूसरी टोली रावण की सेना,फिर शुरू होता है राम और रावण की सेना का युद्ध। इस युद्ध में राम की सेना रावण की मूर्ति के ऊपर रावण का संहार करने के लिए उसके ऊपर चढाई करती है और रावण की सेना राम की सेना को रोकने का हर प्रयास करती है। दोनों के बीच जमकर युद्ध होता है । इस दौरान पुराने बांस के बने टोकरो और चारे के पुलिंदों को जलाया जाता है और फिर जलते हुए आग के गुब्बार एक दूसरे के ऊपर बिना जान की परवाह किये फेके जाते हैं। इस आग के युद्ध में कई बार लोग जल भी जाते है।
राम-रावण की सेना में असली युद्ध रावण वध से पहले दोनों सेनाओं के बीच घंटों युद्ध चलता है जहां राम की सेना रावण के ऊपर चढ़ाई करती है जिसे रावण की सेना रोकने का प्रयास करते हैं हालांकि इस युद्ध के अंत में राम की सेना से एक व्यक्ति राम के ऊपर चढ़कर रावण के नाक पर मुक्का मारता है जिससे रावण का वध हो जाता है। नाक पर मुक्का मारने का अर्थ होता है रावण के अहंकार को तोड़ना । लिहाजा नाक और मुक्का मारकर रावण के घमण्ड को चूर चूर किया जाना ही रावण वध कहलाता है। दशहरा उत्सव की अनूठी परम्परा में युद्ध के दौरान कई लोग जख्मी भी हो जाते है। इसके लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहता है ।
दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग रावण वध की इस अनूठी परम्परा को देखने के लिए आस पास गावो से हजारो लोग शामिल होते हैं लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते छोटा आयोजन किया गया। राम रावण के युद्ध और पारंपरिक आयोजन के चलते लोग काफी संख्या में से देखने पहुंचे।आयोजन समिति ने इस बार खासतौर से रावण की प्रतिमा को मास्क पहनाया ताकि लोग मास्क का उपयोग करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करें । साहस पराक्रम के साथ नाक तोड़कर घमण्ड को चकनाचूर करने की अनोखी परम्परा के साथ पूरे गाँव में स्वछता की मिसाल पेश करती यह परम्परा वाकई में अपने आप में मिसाल है ।
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