Vindhya Weather Update: Vindhya Rews 13 दिसम्बर। सर्द हवा ने पूरे विन्ध्य को ठिठुराकर रख दिया। मेरे रीवा,सतना,सीधी,सिंगरौली समेत शहडोल में अब कड़ाके की हाड़ कंपाने देने वाली ठंड पढ़नी शुरू हो गई है । 12 दिसंबर को इस साल का सबसे कम रिकॉर्ड तोड़ तापमान 12 डिग्री पर दर्ज किया गया। जबकि अधिकतम 24 डिग्री पर आंका गया। ठंड पड़ने के बाद बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इससे बेहाल है। हालांकि इस बार ठंड देर से पड़ी लेकिन अब हाड़ कंपाने वाले ठंड पैदा कर दी। दो दिन से पारा गिरने के बाद इस मौसम का अब तक का सबसे कम तापमान हो गया।
विन्ध्य के सतना में पैंपखरा,रीवा के तिलखन व तिवनी,सीधी में गुजरेड व च़ंदरेह,शहडोल में व्यौहारी जबकि सिंगरौली में चितरंगी गांव में शीतलहर का प्रकोप इस तरह शुरू हुआ है कि समूचा क्षेत्र ठिठुरन भरी ठण्ड से कांप उठा है। रीवा जिले के बिछिया नदी सीधी सिंगरौली शहडोल के सोन नदी व बनास नदी के चलते क्षेत्र में जबरदस्त ठंड पड़नी शुरू हो गई है।दिनभर लोग स्वेटर और अन्य गर्म कपड़े पहन कर बाजार में आ रहे हैं। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आने वाले समय में पारा और लुढ़के गा जिसके चलते कड़ाके की ठंड पड़ेगी। कड़ाके की ठंड की दस्तक के बाद कुछ दिनों में न्यूनम पारा 10 से 18 डिग्री तक पहुंच सकता है।
विंध्य में दांत को खट्टा करने व हाड को कंपा देने वाली ठंड
पूरे विंध्य क्षेत्र में 4 दिनों से कड़ाके की ठण्ड पडऩे लगी है। दात को खट्टे करने व हाड़ को कंपा देने वाली ठण्ड का असर इतना बढ़ गया है कि शाम ढलते ही अलाव का सहारा लेने के लिए लोग मजबूर हो गये हैं। आलम यह है कि शीतलहर सुबह से ही अंचल में शुरू है और शाम होते ही ठिठुरन भरी ठण्ड ने गर्म कपड़ों में दुबकने के लिए मजबूर कर दे रही है। हालांकि इस ठण्ड से रबी फसलों के लिए अच्छा संकेत माना जा रहा है। किन्तु दलहनी व तिलहनी फसलों में पाला लगने का भी किसानों को डर सताने लगा है।
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यहां है अधिक मुसीबत
सबसे अधिक परेशानी सफर करने वाले यात्रियों को उठानी पड़ रही है। बस स्टैंड पर शीत लहर के बीच यात्रियों को बसों का इंतजार करना पड़ रहा है। निगम हर वर्ष अलाव जलाने की व्यवस्था करता है, लेकिन इस बार निगम ऐसे लोगों की सुध लेना जरूरी नहीं समझा या फिर भूल गया। दिसंबर की कड़ाके की ठंड के बाद भी अलाव के कोई इंतजाम नहीं किए गए। यही हाल कई बड़े चौक चौराहों समेत रेलवे स्टेशन का है। जहां खुले आसमान के नीचे यात्रियों की रात ठंडी हवा के बीच निकल रही है। ऐसे में सबसे अधिक फजीहत बच्चों की हो रही है। पालक अपने बच्चों को जैसे तैसे ठंडसे बचाकर रात काट रहे हैं। यहां अलाव जलाने के इंतजाम होते तो सभी को राहत मिल सकती थी। ठंडके बीच लोगों के गर्म कपड़े भी ज्यादा फायदा नहीं दे पा रहे हैं।