Singrauli News सिंगरौली 10 मार्च। गन्नई पंचायत के बैगा बस्ती बीस दशक के पूर्व से है और यहां बैगा परिवार के मतदाताओं की संख्या सैकड़ा पार हो चुकी है। वही 40 बैगा परिवारों में से 30 बैगा परिवारों का नाम आज तक गरीबी रेखा की सूची में शामिल नही हो पाया है। जिसके चलते संबल जैसे योजनाओ से वंचित हैं। रविवार को जब अधिकारी-कर्मचारी पीड़ित सुग्रीव बैगा के घर पहुंचने लगे तब इसका खुलासा हुआ। इस खुलासे से आदवासी विभाग में संचालित जन कल्याणकारी योजनाओ के क्रियान्वयन पर तरह-तरह का सवाल खड़े होने लगे हैं।
बता दें कि जिले के दूरस्थ अंचल देवसर जनपद पंचायत क्षेत्र के गन्नई पंचायत की बैगा बस्ती में अचानक रविवार की सुबह अधिकारियों-कर्मचारियों के वाहनों के धमाचौकड़ी ने सबको हैरान कर दिया कि अचानक अधिकारी- कर्मचारी की नींद कैसे टूटी। दशकों से यहां किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का आना जाना नही हो रहा था। सिर्फ चुनावों के वक्त ही नेता कभी कभार दिखाई दे देते थे। आज रविवार को पीड़ित सुग्रीव बैगा के घर सबसे पहले राजस्व विभाग की ओर से राजस्व निरीक्षक एवं हल्का पटवारी पहुंचे। इसी दौरान पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि, पंचायत सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक भी आ गये। सभी ने राजवंति बैगा के दु:खद निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुये जन कल्याणकारी योजनाओ के संबंध में जानकारी हासिल किये। सुग्रीव ने बताया की पात्रता पर्ची एवं प्रधानमंत्री आवास तथा आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ मिला है। लेकिन बीपीएल में नाम नही जुडा है। पंचायत में कई बार नाम जुड़वाने के लिए व्यथा सुनाई गई। पंचायत के प्रतिनिधि बीपीएल में नाम जुड़वाने से असमर्थता जाहिर कर समय को टालते गये। Singrauli News
जांच में आर आई ने बताया कि यहां 40 बैगा परिवार निवासरत हैें। जिसमें से 30 बैगा परिवारों का नाम बीपीएल सूची में शामिल नही है। आर आई ने ऐसे वंचित बैगा परिवारों का बीपीएल सूची में नाम जुड़वाने के लिए फार्म भी भरा है। इसके बाद देवसर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के बीएमओ डॉ. सीएल सिंह भी स्टाफ के साथ सुग्रीव बैगा के घर पहुंच स्वास्थ्य संबंधी योजनाओ के बारे में जानकारी हासिल किया। इधर जानकारी के मुताबिक सुग्रीव बैगा की पत्नी को प्रसव पीड़ा के चलते बैढऩ से रीवा के लिए रेफर कर दिया गया था। जहां रास्ते में राजवंति की मौत हो गई थी। इधर आयुष्मान कार्ड का लाभ सुग्रीव बैगा ने लिया । लेकिन राजवंति के मौत के बाद यदि बीपीएल में नाम होता और पंचायत के मनरेगा में सौ दिन का रोजगार मिला होता तो सुग्रीव को आर्थिक सहायता राशि मिल जाती। इसमें पंचायत को दोषी ठहराया जा रहा है। Singrauli News
आदिवासी विकास विभाग की टूटी नींद
बैंगा परिवार की गरीबी और परेशानी से ना तो सरकार को और ना ही प्रशासनिक महकमें में लाखों की सैलरी लेने वाले अधिकारियों की करनी और कथनी से पर्दा उठा दिया। बैंगा परिवार की खबर छपने के बाद जहां आज रविवार को सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग संजय खेड़कर अपने स्टाफ के साथ अचानक सुग्रीव बैगा के घर पहुंच गये और उन्होंने पीड़ित परिवार से हाल-चाल जाना और योजनाओ के लाभ के बारे में जानकारी दी। इधर सूत्र बता रहे है कि सहायक आयुक्त नाखूश दिखाई देते हुये आपत्ति किया की मीडिया में मैटर क्यो दिये? पहले हमें बताना था। उन्होंने पीड़ित पक्ष से एक आवेदन भी लिया।
पूरक पोषण का लाभ से वंचित
प्रदेश के डिडोरी जिले में बैगा परिवार के महिलाओं को पूरक पोषण योजना का लाभ मिल रहा है। फिर सिंगरौली जिले में इसका लाभ बैगा परिवार के महिलाओ को खास तौर पर गन्नई बैगा बस्ती में क्यों नही मिल रहा है। इस तरह के आरोप यहां के संवेदनशील गणमान्य नागरिक लगा रहे हैं। इनका आरोप है कि जिले के आदिवासी विकास विभाग का अमला केवल इधर-उधर में व्यस्त हैं । उक्त विभाग की नाकामी का सबसे बड़ा यह उदाहरण हैं।
विधायक सहित मदद के लिए कइयों ने बढ़ाया हॅाथ
जानकारी के मुताबिक मीडिया में खबर वायरल होने के बाद पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए लोग आगे आने लगे। जिसमें मुख्य रूप से देवसर विधायक राजेन्द्र मेश्राम ने 5 हजार रूपये का सहयोग किया। वही आर आई के साथ-साथ पार्षद प्रेम सिंह भाटी, सरई टीआई ज्ञानेन्द्र सिंह, गजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, राधिका प्रसाद जायसवाल, जीपी जायसवाल पटवारी, प्रीति देवेन्द्र रमण पनाडिय़ा, मोतीलाल जायसवाल, मुन्ना सरकार गुप्ता, वृहस्पति गुप्ता सहित अन्य ने आर्थिक सहयोग किया है।
इनका कहना:-
पीडि़त बैगा परिवार के घर आर आई एवं हल्का पटवारी भेजा गया था। सुग्रीव बैगा को आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री आवास एवं पात्रता पर्ची का लाभ मिल रहा है। आवास निर्माणाधीन है। बीपीएल में नाम नही जुड़ा है। सभी बैगा परिवारो का नाम बीपीएल सूची में जोडऩे के लिए निर्देश दिये गये हैं। उक्त परिवार गरीब है। उसके पिता के पास 2 एकड़ है। लेकिन वह अलग हैं।
चन्द्रशेखर मिश्रा, तहसीलदार, तहसील सरई