सिंगरौली : शहरी क्षेत्र में हर तीसरे चौथे दिन हो रही चोरी की घटनाओं ने पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। पिछले दिनों रात में अज्ञात चोरों ने शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र में घर के ताले तोड़ते हुए लाखो की नगदी एवं घर में रखे करोड़ों रुपए की सोने चांदी और हीरे पर हाथ साफ कर फरार हुए आरोपियों तक अभी नहीं पहुंच सकी है। इस बीच दिन दहाड़े पत्रकार की दो पहिए वाहन को चोर चुराकर एक और चुनौती दे दी है। चर्चा हैं कि कोतवाली की बोली 30 लाख रुपए तक पहुंच गई है। यानी कोतवाली क्षेत्र में अवैध रूप से पुलिस की कमाई में इजाफा हुआ है। सूत्रों की मानें तो पुलिस कोयला, कबाड़, डीजल, रेत और अवैध नशा के कारोबार से हर महीने करीब 30 लाख वसूल रही है।
बता दें कि गत एक महीने में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती चोरी की घटनाओं ने पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है। चर्चा हैं कि पुलिस और एसआईटी चोरों को पकड़ने में नहीं बल्कि कोयला, कबाड़, डीजल और अवैध नशा के कारोबार को बढ़ाने और वसूली में जुटी है। कहते हैं कि वसूलेंगे नहीं तो ऊपर कहा से देंगे। हालात भी कुछ यही वया कर रहे हैं। शहर में दिन दहाड़े लगातार बढ़ते जा रहे चोरों के आतंक से आम जनों में भारी आक्रोश है। कोतवाली और नवानगर थाना प्रभारी अज्ञात चोरों को शीघ्र गिरफ्तार कर मामले में कानूनी कार्रवाई की बात जरूर करते हैं लेकिन पुलिस को अब तक ना तो एक भी बढ़ी चोरियों का खुलासा करने में सफलता मिली है और ना ही दिन दहाड़े हो रही चोरियों पर अंकुश लगा पा रही है। ऐसे में आम आदमी को पुलिस की गस्त पर और गठित एसआईटी से भरोसा उठ गया है। सूत्रों की माने तो कोतवाली थाना प्रभारी बनने के लिए करीब 30 लाख चुकाना पड़ रहा है।
वहीं चर्चा है कि ऊपर पैसा देकर यहां जो भी थाना प्रभारी आते हैं वह कमाने आते हैं उन्हें अपराध पर अंकुश लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं रही। वह कोयला, कबाड़, डीजल, अवैध रेत, गांजा, हेरोइन और शहर में अवैध शराब की दुकान खुलवाकर अधिक से अधिक कमाई में लगें रहते हैं। सूत्रों की मानें तो कोतवाली के रंगा बिल्ला हर महीने 30 लाख रुपए की वसूली करते हैं। अवैध वसूली का पैसा सफेद पोस नेताओं, मंत्री संतरी से लेकर हाई लेवल के ब्यूरोक्रेसी तक पहुंच रहा है। यहीं वजह है कि बढ़ रहें अपराध को लेकर थाना प्रभारी बेफिक्र रहते हैं उन्हें विभागीय कार्रवाई का भी कोई डर नहीं रहता। वह कोतवाली के तेज तर्राट पुलिस कर्मियों को अवैध कारोबार से वसूली का जिम्मा सौंप कर नोटो की गड्डिया बनाने में लग जाते हैं।
कोतवाली में 30 लाख रुपए की हो रही वसूली
कहने को तो पुलिस का खौफ अपराधियों में होना चाहिए लेकिन समय के साथ-साथ हालत बदल रहे हैं। अब आम लोग पुलिस से डरते हैं तो वहीं चोर उचक्के और माफिया गलबहियां करते नजर आते हैं। चर्चा है कि कोतवाली थाने का थाना प्रभारी बनना आसान नहीं है। थाना प्रभारी बनने के लिए ऊपर 30 लाख रुपए की चढ़ोत्तरी चढ़ानी पड़ती हैं। ऐसे में थाना प्रभारी वसूली ना करें मानवीय दृष्टिकोण से भी संभव नजर नहीं आता।