Singrauli – महिलाओं में बढ़ रहा हथियार रखने का क्रेज बढ़ा हैं। आमतौर पर कहा जाता है कि भारतीय महिलाओं की रक्षा की जिम्मेदारी उनके शौहरों पर होती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए बंदूक का सहारा ले रही हैं। कम से कम आकंड़े तो यही बता रहे हैं कि महिलाएं शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में अब पीछे नहीं हैं। सिंगरौली में एक दर्जन महिलाएं ऐसी हैं जिनके नाम पर गन लाइसेंस जारी किया गया है। शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र दोनों जगहों में रहने वाली महिलाओं ने आत्मरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस लिया है। वहीं जिला प्रशासन के पास अब हर साल महिलाएं गन लाइसेंस के लिए आवेदन देने पहुंच रही हैं। वर्तमान जिले में 495 रसूखदारों ने शस्त्र के लाइसेंस प्राप्त किए हैं जिनमें एक दर्जन महिलाएं भी शामिल हैं।
बता दें कि स्टेटस सिंबल कहें या फिर जरूरत। आधुनिक दौर में महिलाओं में भी लाइसेंसी हथियार रखने का क्रेज बढ़ता जा रहा है।घूंघट और चहारदीवारी की प्रथा तोड़कर महिलाएं अब हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर रही हैं। पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। नौकरी, कारोबार और राजनीतिक क्षेत्र में आगे आ रहीं महिलाओं में पुरुषों की तरह लाइसेंसी हथियार रखने का शौक भी बढ़ गया है जिन महिलाओं के पास शस्त्र का लाइसेंस है उनमें से कई महिलाओं ने जहां 12 बोर रिवॉलवर पिस्टल राइफल तक ले रखी है लेकिन महिलाओं की पहली पसंद निर्भीक रिवाल्वर है।
महिलाओं को रिवाल्वर है ज्यादा पसंद
महिलाओं की पहली पसंद रिवाल्वर है। लाइटवेट और आकार में छोटी होने की वजह से महिलाएं इसे खूब पसंद कर रही हैं। इसकी खासियत है कि इसका वजन महज 500 ग्राम है कहा जाता है कि कानपुर की इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्री ने टाइटेनियम एलॉय से बनी पॉइंट 32 बोर की रिवाल्वर महिलाओं को ध्यान में रखते हुए खासतौर से तैयार किया है कम वजन और छोटी साइज होने की वजह से महिलाएं इसे आसानी से अपने हैंड बैग में रख सकती हैं।
महिलाओं को मिल जाता हैं आसानी से लाइसेंस
4 साल पहले तक जिले में आधा दर्जन ही महिलाओं ने शस्त्र का लाइसेंस ले रखा था लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर एक दर्जन पहुंच गई है हालांकि पिछले तीन-चार साल के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में महिलाओं के साथ कई अमान की घटनाएं हुई हैं लिहाजा यही कारण है कि महिलाएं अब अपनी सुरक्षा के लिए खुद आत्मनिर्भर हो रही हैं। किसी भी हथियार का लाइसेंस लेना आसान नहीं होता भोली आत्मरक्षा का अधिकार हर व्यक्ति का होता है लेकिन पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को शस्त्र का लाइसेंस आसानी से मिल जाता है यही वजह है कि कई लोग अपने घर में शस्त्र रखने के लिए महिलाओं के नाम पर शस्त्र का लाइसेंस लिए हुए हैं।
हथियार लाइसेंस के लिए यह होती है योग्यता
आत्मरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस के लिए आवेदक की उम्र 21 साल होनी चाहिए। वह भारत का नागरिक हो। इसके अलावा उसके ऊपर कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज न हो। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हों। कोई सरकारी बकाया न हो। इसके अलावा आवेदक को कारण देना होता है कि वह हथियार क्यों लेना चाहता है। इन सभी शर्तों को पूरा करने वाले ही हथियार के लिए आवेदन कर सकते हैं।जिला प्रशासन की ओर से पुलिस विभाग से रिपोर्ट मांगी जाती है। जांच पड़ताल के बाद रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन को भेज दी जाती है। इसके बाद प्रशासन स्तर से ही लाइसेंसी जारी करने के लिए निर्णय लिया जाता है।