Mahashivratri 2022: हर महीने के शुक्ल पक्ष के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव की कृपा पाने के लिए मासिक शिवरात्रि व्रत 2022 के रूप में मनाया जाता है. फाल्गुन के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि 2022 के रूप में मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च को पड़ रही है। इस दिन, भोले के भक्त उन्हें प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा और उपवास करते हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। धर्म और शास्त्रों में यह माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा में अपनी प्रिय वस्तुओं को चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। वैसे तो भगवान शिव की पूजा में बहुत सारी चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज है बेलपत्र। ज्योतिषी पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं, ‘शिवलिंग की पूजा में बहुत कुछ चढ़ाया जाता है, लेकिन भगवान शिव को बेल पत्र बहुत प्रिय होता है। शिव पूजा में बेल के पत्तों का बहुत महत्व है। इस पेड़ की पत्तियाँ 3 की संख्या में आपस में जुड़ी होती हैं और इसे 1 पत्ता ही माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र के बिना शिव की पूजा पूरी नहीं होती है।शास्त्रों में भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने की विधि बताई गई है। आइए जानते हैं शिवलिंग पूजा में किस विधि से बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। दूसरी मान्यता यह है कि इस दिन शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इस दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए उन्हें बेलपत्र आदि का भोग लगाया जाता है।भगवान शिव को बेलपत्र सबसे प्रिय है। शास्त्रों में बेलपत्र तोड़ने और चढ़ाने के कुछ नियमों की व्याख्या की गई है। चलो पता करते हैं।
यह है पूजा की विधि — पूजा करने से पहले अपने माथे पर त्रिपुंड लगाएं। इसके लिए तीन अंगुलियों पर चंदन या विभूति लगाएं और त्रिपुंड को माथे के बाईं ओर से दाईं ओर लगाएं। दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। आप चाहें तो खाली जल से शिव का अभिषेक भी कर सकते हैं। अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। शिव को बेलपत्र, आक-धतूरा का फूल, चावल, भांग, इत्र अवश्य चढ़ाएं। चंदन का तिलक लगाएं।
बेल के पत्ते तोड़ने के नियम
1- धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या की तारीखों, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ा जाना चाहिए.
2- मान्यता है कि ये तिथियां भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं इसलिए इस तिथि को आप बेलपत्र भगवान शिव को समर्पित कर सकते हैं साथ ही इस तिथि से पहले बेल के पत्तों को तोड़ देना चाहिए.
3-शास्त्र कहते हैं कि अगर शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र नहीं मिलता है तो आप किसी और के द्वारा चढ़ाए गए बेलपत्र का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पानी से धोने के बाद ही इसका इस्तेमाल करें।
4-ध्यान रहे कि शाम के समय बेल के पत्ते न टूटे।
5.टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए. पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि पेड़ को कोई नुकसान न पहुंचे.
6.बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए.
बेलपत्र इस तरह अर्पित करें
1.बेलपत्र को उल्टा करके भोलेनाथ का भोग लगाएं, इसके चिकने हिस्से को अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ रखें.
2- बेलपत्र चढ़ाने में वज्र और चक्र नहीं होना चाहिए।
3- भोलेशंकर को अर्पित बेलपत्र में 3 से 11 पत्ते होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके जितने अधिक पत्ते होंगे, यह उतना ही अधिक फलदायी होगा।
4- अगर बेलपत्र चढ़ाने के लिए उपलब्ध न हो तो बेल के पेड़ पर जाकर भगवान का स्मरण किया जा सकता है.
5- मान्यता है कि बेलपत्र पर शिव जी का नाम लिखकर भोग लगाना चाहिए
6.शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए.