सीधी– सीधी मकर संक्रांति को लेकर हर वर्ष जगह-जगह पवित्र नदियों में स्नान एवं मेले का आयोजन होता था लेकिन इस बार कलेक्टर द्वारा मेले के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जिससे कई व्यापारियों में मायूसी दिख रही है। हालांकि धार्मिक आस्था रखने वाले कई लोग खुद के वाहन से नदियों में स्नान करने गए लेकिन व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद होने के कारण लोगों में निराशा दिखी।
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हिन्दू धर्म में आस्था का पर्व मकर संक्रांति को लेकर आनन-फानन आदेश जारी होने के बाद मेले में व्यापारी नहीं पहुंच पाए। हालांकि यह आदेश दो दिन पहले जारी हुआ था जिस वजह से मेले की तैयारी कर रहे कई व्यापारियों ने सामान की खरीददारी कर लिए, यहां तक की मिठाई सहित अन्य सामान भी बनाने लगे थे। लेकिन आदेश जारी होते ही व्यापारियों में मायूसी देखने को मिली है। हालांकि इसके बावजूद भी धार्मिक आस्था रखने वाले कई लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से पीछे नहीं रहे। भले ही मेले का आयोजन नहीं हुआ परन्तु अधिकतर लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाते देखे गये हैं। इसके लिए पुलिस प्रशासन की व्यवस्था भी बराबर बनी रही। फिर भी देखा जाये तो इस बार व्यापारियों के लिए यह मकर संक्रांति मायूसी बनकर रह गया है। कारण यह कि हर वर्ष की भांति इस बार भी सभी तैयारियां करने के बाद मेले में प्रतिबंध लगने से कई व्यापारी मायूस रहे।
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दो दिन पहले ही हटा दिए गए थे पंडाल
शहर के समीपस्थ जोगदहा सोन नदी में हर वर्ष पखवाड़े भर के लिए मेला लगता था। इस बार भी मेले की तैयारी के लिए व्यापारियों ने पंडाल लगाए थे लेकिन आदेश जारी होने के बाद दो दिन पहले उनके पंडाल को पुलिस प्रशासन द्वारा हटवा दिया गया था। आज यहां भी लोगों की भीड़ कम नहीं रही। नगर निरीक्षक कमर्जी पवन सिंह ने बताया कि मेले में व्यापारी तो नहीं आए लेकिन नहाने वालों की भीड़ कम नहीं रही। इसके लिए पुलिस व्यवस्था बराबर की गई है। उन्होने कहा कि जो पंडाल लगे थे उन्हे दो दिन पहले हटा दिया गया। प्रशासन के आदेश के बाद यह कार्यवाही किया गया है। उन्होने बताया कि गऊघाट पुल में पहले की तरह भीड़ नहीं रही फिर भी लोग आए।
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कुसमी के पहाड़ी सहित कई जगह नहीं लगा मेला
कोरोना की वजह से इस बार पवित्र नदियों में मेला नहीं लग पाया। जिले के कुसमी पहाड़ी में मेला का आयोजन होता था। यहां लोगों की काफी भीड़ रहती थी लेकिन कोरोना की वजह से इस बार मेले का आयोजन नहीं हुआ। इसी तरह कोलदहा पुल, रामनगर, भंवरसेन सहित अन्य पवित्र नदियों में मेले नहीं लगे फिर भी लोग आस्था की डुबकी लगाने में पीछे नहीं रहे। हालांकि वाहनों को भी प्रतिबंधित किया गया था जिस वजह से काफी कम लोगों की उपस्थिति डुबकी लगाने को लेकर देखी गई।
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