चीन में बिजली संकट की खबर ने देशभर की मीडिया में सुर्खियों में रहा अब देश में भी कोयले का संकट गहराता जा रहा है यह बात केंद्र सरकार की ऊर्जा मंत्रालय ने ट्वीट कर कही है कोयले के संकट गहराने का असर सीधा-सीधा बिजली के प्रोडक्शन पर पड़ेगा क्योंकि देश में ज्यादातर बिजली का उत्पादन कोयले से ही होता है. ऐसे नवरात्रि के मौके पर क्या मध्यप्रदेश में भी बिजली का संकट गहरा गया है इस पल भी अब चर्चा शुरू हो गई है दर्शक मध्यप्रदेश में कोयले की कमी के चलते कई पावर कंपनियों में क्षमता से करीब आधी बिजली तैयार की जा रही है कहा यह भी जा रहा है कि बकाया भुगतान राशि में देरी होने के चलते पावर कंपनियों को कोल इंडिया से रोजाना एक दो और एक ही कोयला मिल पा रहा है इससे त्योहारों में बिजली सप्लाई में कमी होने का खतरा पैदा हो गया है।
देश भर में हो रहे कोयला संकट का बादल अब मध्यप्रदेश में भी गहराने लगा है। मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अनुसार कंपनी के थर्मल पावर प्लांट को हर रोज करीब 52 हजार टन कोयले की जरूरत पड़ती है। जहां सेंट्रल थर्मल पावर प्लांट के लिए 111 हजार टन कोयले की जरूरत रोज पड़ती है जबकि निजी थर्मल पावर के लिए 25 हजार टन जरूरत होती है लेकिन प्रदेश में महज 592 हजार टन कोयला बचा है। बताया जा रहा है कि खरगोन में कोयला पूरी तरह समाप्त हो चुका है। गाडरवाड़ा में भी महज दो दिन का कोयला बचा है। सिंगरौली विंध्याचल में क्षमता 4760 मेगावाट में 03 दिन का स्टॉक बचा है जबकि यहां भी 15 दिन का स्टॉक होना चाहिए। वही मध्यप्रदेश जनरेशन कंपनी के सबसे बड़े श्री सिंगाजी थर्मल पावर में तीन दिन का कोयला बचा है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्रदेश में बिजली की डिमांड 10 हजार मेगावॉट तक पहुंच रही है। इसकी तुलना में प्रदेश में थर्मल, जल, सोलर व विंड से महज 3900 मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो पा रहा है। शेष बिजली सेंट्रल पावर से ली जा रही है।
बता दें कि अनूपपुर थर्मल प्लांट में क्षमता 1200 मेगावाट में भी महज 02 दिन का स्टॉक बचा है जबकि 20 दिन का स्टॉक होना चाहिए, वही बीना में क्षमता 500 मेगावाट में 09 दिन का स्टॉक बचा है जबकि यहां भी 25 दिन का स्टॉक होना चाहिए, इसके साथ ही खरगौन में क्षमता 1320 मेगावाट स्टॉक खत्म हो चुका है। देश में इस वक्त 135 पावर प्लांट ऐसे हैं जहां कोयले से बिजली का उत्पादन होता है। ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि 72 पावर प्लांट ऐसे हैं जहां 3 दिन से भी कम कोयला स्टॉक मेंटेन करने के लिए बचा है अगर ऐसा हुआ तो देश के कई हिस्सों में अंधेरा छा जाएगा। इसमें राजधानी दिल्ली भी शामिल होगी। जबकि यूपी,बिहार, राजस्थान और पंजाब में इसका असर दिखने लगा है। यहां कुछ हिस्सों पर बिजली की कटौती होना शुरू हो गया है।
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा कि शिवराज जी एमपी अजब है , एमपी ग़ज़ब है। आपकी सरकार में जनता महंगाई से त्रस्त है। पेट्रोल-डीज़ल- रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे है। प्रदेश में कोयले का भारी संकट बना हुआ है , जिससे बिजली का उत्पादन निरंतर घट रहा है। कई बिजली संयंत्रो की कई इकाइयाँ बंद हो चुकी है। वहीं दूसरे ट्वीट में लिखा कि कोयले का स्टॉक ख़त्म होने की कगार पर है। प्रदेश गहरे बिजली संकट की और बढ़ रहा है। किसान खाद , यूरिया को लेकर परेशान हो रहे है। इसका संकट गहराता जा रहा है , इसकी जमकर कालाबाज़ारी हो रही है।युवा रोज़गार को लेकर , चयनित शिक्षक नियुक्ति पत्र को लेकर दर-दर भटक रहे है।
शिवराज जी एमपी अजब है , एमपी ग़ज़ब है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 7, 2021
आपकी सरकार में जनता महंगाई से त्रस्त है। पेट्रोल-डीज़ल- रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे है।
प्रदेश में कोयले का भारी संकट बना हुआ है , जिससे बिजली का उत्पादन निरंतर घट रहा है। कई बिजली संयंत्रो की कई इकाइयाँ बंद हो चुकी है।
कांग्रेस के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने बिजली संकट पर चिंता जाहिर कर ट्वीट कर लिखा कि अगले कुछ दिनों में आपका घर पावर-कट की चपेट में आ सकता है! क्योंकि, देश में केवल 04 दिन का कोयला बचा हुआ है! ऊर्जा मंत्रालय ने भी साफ कर दिया कि उत्पादन केंद्रों में कोयले का स्टॉक बहुत कम हो चुका है!@NarendraModi जी,
यदि कुछ सूझ नहीं रहा हो, तो मुक्त हो जाइए!
बता दे कि कोयला आधारित उपक्रम थर्मल पावर प्लांट की कैटेगरी में आते हैं भारत में इस्तेमाल होने वाली बिजली का 71 फ़ीसदी थर्मल पावर प्लांट के बिजली उत्पादन से ही पूर्ति होती है थर्मल पावर प्लांट में कोयला संयंत्र के अलावा गैस डीजल और नेचुरल गैस बेस्ट प्लांट शामिल है साथ ही देश की बिजली मांग का 62 प्रतिशत भारत के विशाल कोयला रिजर्व द्वारा पूरा किया जाता है जबकि बाकी मांग अन्य देशों से कोयले का आयात किया जाता है। भारत अपनी कोयला मार्ग का 30 फ़ीसदी देश के बाहर से पूरा करता है बस स्तर पर कोयले की कीमत बढ़ने का नतीजा यह हुआ कि कोल इंडिया ने देश के अंदर कोयले की कीमत बढ़ा दी।
औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आना भी मांग बढ़ने एक अहम वजह रही है कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर के कमजोर होने के साथ ही भारत सहित पूरी दुनिया में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी 2019 के मुकाबले अगस्त सितंबर महीने में कोयले की खपत भी करीब 18 फ़ीसदी तक बढ़ गई। अब जब मांग पूरी दुनिया में बड़ी तुम इसके चलते हैं वैश्विक स्तर पर भी कोयले की कीमतों में 40% बढ़ोतरी हुआ जिससे भारत का कोयला आयात गिरकर 2 साल के निम्न स्तर पर आ गया इंडोनेशिया से ही आने वाले कोयले की कीमत करीब 60 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 200 डॉलर प्रति टन तक जा पहुंचा। कहा यह भी जा रहा है कि कोयले की किल्लत की एक दूसरी बजे मानसून भी है बारिश की वजह से देश में कोयला खदानों में पानी भरा हुआ है इसकी वजह से कोयले का खनन नहीं हो पा रहा है और प्रोडक्शन में कमी आई।
पिछले दिनों में चीन और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों में दरार आई है इसके साथ ही चीन और भारत के संबंध भी बहुत अच्छे नहीं कह सकते। भारत ऑस्ट्रेलिया से कोयला आयात करता है और चीन के बंदरगाह पर 20 लाख टन से अधिक ऑस्ट्रेलियाई कोयला महीनों से पड़ा हुआ है जिन लोगों ने यह कोयला ऑस्ट्रेलिया से खरीदा है उन्होंने जानकारी दी है इस घटना से स्पष्ट है कि कैसे राजनैतिक स्थितियों की वजह से दो देश एक दूसरे को नुकसान पहुंचाते हैं चीन के इस हरकत की वजह से भारत में ऊर्जा सप्लाई का संकट खड़ा हो सकता है।