भोपाल–शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस समारोह की सभा को संबोधित करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी दोपहर 3 बजे रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हो गए। इससे पहले उन्होंने मंच पर विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आदिवासियों को अंधेरे में रखने के लिए आजादी के बाद की सरकारों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों की समृद्ध विरासत के बारे में देश को नहीं बताया। इससे पहले उन्होंने सम्मेलन में लाखों की संख्या में आए आदिवासियों का उन्हीं की बोली में स्वागत करते हुए कहा- हूं तमारो स्वागत करूं। उन्होंने आदिवासियों को एक मिनट तक उन्हीं की बोली में संबोधित किया।मोदी ने कहा कि हमारे जनजातीय कलाकारों के हाथ में जबरदस्त कला है। मामूली चीजों से भी ऐसी कृति बना देते हैं कि प्रकृति का सौंदर्य सामने आ जाता है, लेकिन दुखद है कि उनके अधिकारों को वर्षों तक कानून के नाम पर उलझा कर रखा गया।
इससे पहले मंच पर प्रधानमंत्री के स्वागत में उन्हें जनजातीय वेशभूषा पहनाई गई। आदिवासी वर्ग के नेताओं ने उन्हें झाबुआ से लाई गई पारंपरिक जैकेट और डिंडोरी से बुलाया गया साफा पहनाया गया। स्वागत के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने उनके पैर छूने की कोशिश की तो प्रधानमंत्री ने उन्हें रोक दिया। जनजातीय समाज के हितों की रक्षा एवं कल्याण के लिए जिस राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत थी, दशकों तक देश में राज करने वालों के मन में नहीं था। आज जनजातीय समाज को उसका हक मिल रहा है।देश की आबादी का करीब करीब 10% होने के बावजूद दशकों तक, जनजातीय समाज को, उनकी संस्कृति, उनके सामर्थ्य को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। आदिवासियों का दुःख, उनकी तकलीफ, बच्चों की शिक्षा उन लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखती थी।
मेरा ये अनुभव रहा है कि जीवन के महत्वपूर्ण कालखंड को मैंने आदिवासियों के बीच बिताया है। जीवन जीने का कारण, जीवन जीने के इरादे को आदिवासी परंपरा बखूबी प्रस्तुत करती है।आज यहां भोपाल आने से पहले रांची में बिरसा मुंडा स्वतंत्रता सेनानी म्यूजियम का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला। आजादी के नायकों की वीर गाथाएं देश के सामने लाना हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेश शासन के खिलाफ मीजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए। गौंड महारानी वीर दुर्गावाती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की परिकल्पना भील बहादुरों के बिना नहीं की जा सकती।
मोदी ने कहा कि अभी हाल में पद्म पुरस्कार दिए गए हैं।राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार के लिए जब हमारी जनजातीय विभूतियां पहुंचीं तो उनके पैरों में चप्पल भी नहीं थीं। यह देखकर दुनिया हैरान रह गई। यह जनजातीय क्षेत्रों में काम करने वाले ही हमारे असली हीरो हैं। आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले ये देश के असली हीरे हैं। देश का जनजातीय क्षेत्र, संसाधनों के रूप में, संपदा के मामले में हमेशा समृद्ध रहा है। लेकिन जो पहले सरकार में रहे, वो इन क्षेत्रों के दोहन की नीति पर चले। हम इन क्षेत्रों के सामर्थ्य के सही इस्तेमाल की नीति पर चल रहे हैं। आज चाहे गरीबों के घर हों, शौचालय हों, मुफ्त बिजली और गैस कनेक्शन हों, स्कूल हो, सड़क हो, मुफ्त इलाज हो, ये सबकुछ जिस गति से देश के बाकी हिस्से में हो रहा है, उसी गति से आदिवासी क्षेत्रों में भी हो रहा है।
आदिवासी हमारे डायमंड और असली हीरो हैं. उन्होंने कहा कि आदिवसी सृजन को बाजार से नहीं जोड़ा गया. पहले की सरकारें सिर्फ 8-10 वनउपज पर एमएसपी दिया करती थीं. 90 वनोपज पर MSP दे रही है. साढ़े 7 लोगों को रोजगार मिल रहा है. राज्यों में 20 लाख जमीन के पट्टे देकर लाखों जनजातीय लोगों की चिंता दूर की है. हमारी सरकार आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य स्कूल खोल रहे हैं. केंद्र सरकार 30 लाख जनजातीय युवकों को स्कॉलरसिप दे रही है.उच्च शिक्षा और रिसर्च से जोड़ने के लिए भी अभूतपूर्व काम किया जा रहा है।
यहां की सरकार ने उन्हें कालिदास पुरस्कार भी दिया था। छत्रपति शिवाजी महाराज के जिन आदर्शों को बाबासाहेब पुरंदरे जी ने देश के सामने रखा, वो आदर्श हमें निरंतर प्रेरणा देते रहेंगे। मैं बाबासाहेब पुरंदरे जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देता हूं। आजादी की लड़ाई में जनजातीय नायक-नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना, उसे नई पीढ़ी से परिचित कराना, हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए।