We went to school in Sidhi, the campaign turned out to be strong : सीधी – सरकार भले ही गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाई लिखाई के लिए स्कूल चले अभियान के तहत बच्चों को पढ़ाई कराके मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अभियान चला रही है लेकिन सीधी जिले में स्कूल चले अभियान का दम निकलता जा रहा है. यहाँ बच्चे मजदूरी कर रहे है या फिर खेल कूद में अपना समय बर्वाद कर रहे हैं.
We went to school in Sidhi, the campaign turned out to be strong : सीधी जिले में अप्रवासी बच्चों की प्रवेश दिलाने में स्कूल शिक्षा विभाग की मनमानी कम होने का नाम नहीं ले रही है जुलाई माह बीत चुका है और अभी तक कक्षा एक से आठवीं तक के करीब 26000 से अधिक बच्चे प्रवेश से वंचित हैं ऐसे में स्कूल चले हम अभियान जिम्मेदारों की मनमानी के भेंट चढ़ गया है इधर साला में प्रवेश से वंचित छात्र यानी देश के भविष्य अपना समय घर के कामकाज,मजदूरी या फिर खेलकूद में व्यतीत कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदारियों को इससे कोई लेना देना नहीं है.Sidhi
बता दें कि स्कूल शिक्षा विभाग की मनमानी लगातार जारी है एक तो कोरोनावायरस में स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई थी तो वही कोरोनावायरस की रफ्तार कम होने के बाद इस दक्षिणी क्षेत्र में नियमित रूप से स्कूलों का तो संचालन जरूर शुरू हुआ है. लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही चरम पर है. जहां एक और ग्रामीण अंचलों की शिक्षा व्यवस्था अब बैटरी हो चुकी है. वही बड़ी संख्या में बच्चे अभी भी प्रवेश से वंचित है जिला शिक्षा केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार कक्षा एक से आठवीं तक 26000 से अधिक बच्चों का अब तक स्कूलों में प्रवेश नहीं हो पाया है.Sidhi
मिले आंकड़ों के मुताबिक सबसे खराब स्थिति कक्षा एक की है जहां 13 हजार से अधिक बच्चे अब तक स्कूलों में एडमिशन से वंचित हैं जबकि माह जुलाई बीत चुका है विभागीय सूत्रों की मानें तो 30 जून तक अभियान के तहत ऐसे बच्चों का साला में प्रवेश कराना था. लेकिन स्कूल चले हम अभियान को महज औपचारिकता के बीच पूरा कर दिया गया है जिससे बड़ी संख्या में छात्र स्कूलों में प्रवेश से वंचित हो गए हैं.Sidhi
शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले प्रतिवर्ष स्कूल चले हम अभियान शासन द्वारा चलाया जाता है जिसमें शिक्षक अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को स्कूल जाने के लिए न केवल प्रेरित करते हैं बल्कि स्कूल में प्रवेश दिलाने की जिम्मेदारी पूरी शिक्षकों को सौंपी जाती है लेकिन इस वर्ष त्रिस्तरीय चुनाव का बहाना बताकर इस अभियान पर अधिकारी पलीता लगा रहे हैं.उन्हें बच्चो की पढाई को लेकर कोई फ़िक्र नहीं हैं.Sidhi
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