MP electricity bill: मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को 3 महीने बाद एक बार फिर महंगाई का करंट लगा है. बिजली वितरण कंपनियों की डिमांड पर मप्र विद्युत नियामक आयोग ने FCA (फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट) में 10 पैसे की बढ़ोतरी कर दी है.
MP electricity bill: जिसके बाद अब उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 10 पैसे की बजाए 20 पैसे FCA देना होगा। यदि आप महीने में 200 यूनिट बिजली जलाते हैं, तो जून की अपेक्षा जुलाई के बिल में 30 रुपए अधिक देने पड़ेंगे। ये दर 1 सितंबर से 30 दिसंबर तक के लिए है। हालांकि 100 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को फिलहाल 100 रुपए ही देने होंगे। क्योंकि इसकी भरपाई सरकार बिजली कंपनियों को सब्सिडी देकर करेगी.DAV School Amlori Case registered: डीएवी स्कूल अमलोरी पर दर्ज हुआ केस , भविष्य में दर्ज हो सकते हैं और भी मुक़दमे ? यह रही बड़ी वजह
पावर मैनेजमेंट कंपनी की प्रभारी CGM रीता खेत्रपाल के मुताबिक हर तीन महीने में बिजली कंपनियां फ्यूल कास्ट का निर्धारण नियामक आयोग से कराती हैं। बिजली बनाने में कोयला परिवहन और फ्यूल की कीमतों के आधार पर FCA की दर निर्धारित होती है। कंपनियां बिजली दरों के अलावा उपभोक्ताओं से FCA चार्ज भी वसूलती हैं. MP electricity bill
एक साल में बढ़ गए 43 पैसे प्रति यूनिट
बिजली कंपनियों ने एक साल में FCA में 43 पैसे की बढ़ोतरी कर दी। साल भर पहले कंपनियां माइनस 17 पैसे फ्यूल कास्ट वसूल रही थीं। अब ये 26 पैसे प्रति यूनिट है। रिटायर्ड मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बिजली कंपनी ने बिना किसी सूचना के फ्यूल चार्ज बढ़ा दिए हैं। ये एक तरह से उपभोक्ताओं से धोखा है। बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर भार लाद रही हैं. MP electricity bill Anuppur Crime News : नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को न्यायालय ने 20 साल की सुनाई सजा ,घटना सुन खड़े हो जाएंगे रोंगटे
इससे पहले अप्रैल में बढ़ाया था चार्ज
बिजली कंपनियों ने इसी साल अप्रैल में भी बिजली की दरों में वृद्धि की थी। बिजली की कीमतों में औसतन 2.64 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। इसमें घरेलू बिजली की दरों में 3 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. MP electricity bill
क्या होता है FCA
FCA (फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट) यानि ईंधन लागत समायोजन वह राशि है जो बिजली कंपनी ईंधन या कोयले की अलग-अलग कीमत के आधार पर बिल में लागू होने वाली अतिरिक्त राशि होती है। कोयला या ईंधन की कीमत मांग और आपूर्ति के आधार पर हर महीने बदलती है. MP electricity bill
इसके चलते बिजली उत्पादन की लागत भी बदल जाती है। बिजली उत्पादन कंपनियां इसकी वसूली बिजली वितरण कंपनियों से करती हैं। ये चार्ज उपभोक्ताओं पर लगाया जाता है। टैरिफ साल में एक बार तय होता है। वहीं FCA त्रैमासिक (तीन महीने) पर निर्धारित होता है. MP electricity bill