Gorakhpur : गोरखपुर कस्बे की बरसों पुरानी रामलीला कौमी एकता, की मिसाल है,आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला में बढ़चढ़ कर हिस्सा
Gorakhpur : डिंडौरी – जिले के गोरखपुर कस्बे की वर्षों पुरानी रामलीला कौमी एकता की मिसाल है,आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.
साथ ही रामलीला के अहम किरदार भी मुस्लिम समुदाय के लोग निभाते हैं. गोरखपुर रामलीला समिति द्धारा करीब 45 वर्षों से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. जिसमे करीब एक दर्ज़न मुस्लिम बखूबी अपना किरदार पीढ़ियों से निभाते आ रहे हैं. Gorakhpur
रामलीला के अलावा इस कस्बे में हिन्दू और मुस्लिम एक दूसरे के पर्वों को भी सौहाद्रपूर्वक मनाते चले आ रहे हैं. इस ऐतिहासिक रामलीला को देखने लोग बड़ी दूर दूर से आते हैं. सालों पुरानी इस रामलीला में पचास से ज्यादा सदस्य हैं जो वर्षों से अपने अभिनय के जरिये दस दिनों तक लोगों का मनोरंजन करते हैं,पूर्वजों के जमाने से चली आ रही रामलीला की इस परंपरा को आज के नौजवान भी कायम रखे हुये हैं. Gorakhpur
रामलीला में परशुराम,बाल्मीकि ऋषि,विश्वामित्र अंगद,नारद,सूर्पणखा जैसे अहम किरदार यहाँ मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े ही शानदार तरीके से निभाते हैं. रामायण के श्लोक मुस्लिम किरदारों को कंठस्थ याद हैं जिनका अभिनय देख लोग अपनी दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। रामलीला के ये किरदार देश को आपसी भाईचारे और साम्प्रादायिक सौहाद्र का संदेश दे रहे हैं. Gorakhpur
गोरखपुर में आयोजित इस रामलीला की यही खासियत है कि रामायण के दृश्य और किरदार को संजीदगी से तैयार किया जाता है जिसके लिए करीब एक महीने पहले से ही तयारी की जाती है. Gorakhpur
मुस्लिम समुदाय के लोगों की मानें तो जाति और धर्म से बढ़कर भाईचारा है जो उन्हें संस्कारों से मिला है वो वर्षों से रामलीला का अलग अलग किरदार निभाते आ रहे हैं इस बीच कभी उनकी जाति और धर्म आड़े नहीं आयी है और न कभी आयेगी. Gorakhpur
वहीं रामलीला समिति के अध्यक्ष ने बताया कि उनके गांव में जैसे होली दीवाली और दशहरा मनाया जाता है ठीक उसी तरह से मोहर्रम,ईद और बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है,हिंदू और मुस्लिम एक दूसरे का त्यौहार भाईचारे और सदभाव के साथ मनाते हैं और यही वजह है कि गोरखपुर में आजतक हिंदू और मुस्लिम के बीच कोई मामूली मनमुटाव तक नहीं हुआ है. Gorakhpur