भोपाल – राज्य में करीब 15 साल बीजेपी के शासन के बाद कांग्रेस सरकार में आई थी. यह सरकार महज 15 महीने ही चल सकी है. फिलहाल एमपी में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव (By Election) के तारीख का अब तक ऐलान नहीं हुआ उससे पहले प्रदेश में सियासी सुगबुगाना तेज़ हो गई हैं। कांग्रेस (Congress) ने इस बात का दावा भी कर दिया है कि भाजपा (BJP) के कई दिग्गज नेता व विधायक उनके संपर्क में हैं वहीं दूसरी तरफ शिवराज सिंह 2 महीना होने जा रहे है बावजूद मंत्रिमंडल का पूर्ण विस्तार नहीं कर पाना कई सवाल खड़े कर रहा है। या यूं कहें कि मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद सिंधिया खेमा सहित भाजपा के जीत की हैट्रिक लगा चुके कई विधायक मंत्री बनने का सपना सजाए हुए हैं जबकि भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में मंत्री का सुख ले चुके विधायक अपनी बारी का इंतजार कर ही रहे हैं। शायद इसीलिए शिवराज के लिए मंत्रिमंडल विस्तार करना सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है। सरकार में किसको लें और किसको न लें। सरकार को यह भी डर है कि यदि सरकार में नहीं लिया तो कहीं विधायक बागी ना हो जाए।
कांग्रेस छोड़ भाजपा में आएं ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश के कई नेता पचा नहीं पा रहे हैं कहां तो यहां तक जाने लगा है सिंधिया के भाजपा में आने से भाजपा में अनबन का दौर शुरू हो गया हैं। बता दे कि भाजपा के कुछ बड़े नेताओं ने पार्टी के सरकार बनाने के इस तरीके को गलत ठहराया हैं ! नाम सामने न आने की शर्त पर भाजपा के दो दिग्गज नेताओं ने कहा कि पार्टी को इस तरह की महत्वाकांक्षी राजनीति नहीं करनी चाहिए थी। उसने सिर्फ सरकार (Government) बनाने के लिए उन लोगों को खुद में मिला लिया जो वैचारिक रूप से भी पार्टी से मेल नहीं खाते, और नींद में भी भाजपा को गाली देने से नहीं चूकते थे। पार्टी ने ये बहुत गलत कदम उठाया हैं।
बताया जा रहा है कि ग्वालियर-चंबल अंचल (Gwalior Chambal) के पूर्व मंत्री भाजपा के एक बड़े नेता भी कांग्रेस से संपर्क में हैं। वे इस अंचल की किसी सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसके अलावा विधायक (MLA) रह चुके विंध्य के एक आदिवासी भाजपा नेता ने भोपाल (Bhopal) में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात की हैं। सूत्रों की माने तो मालवा अंचल सहित विंध्य के जीत की हैट्रिक लगा चुके विधायक व कुछ नेता बड़ा उलट-फेर कर पाला बदल सकते हैं।
इससे पहले कमलनाथ (Kamal nath) ने कहा था कि शिवराज सिंह चौहान ने प्रलोभन से सरकार तो बना ली, लेकिन उपचुनाव के टिकट वितरण तक उनको बहुत कुछ झेलना हैं। भाजपा का अंदरूनी घमासान ही इस सरकार को ले डूबेगा।कमलनाथ ने कहा कि प्रलोभन की राजनीति आम जनता को समझ में आती है। उन्होंने कहा कि मुझे राजनीति का लंबा अनुभव है लेकिन महत्वाकांक्षा और प्रलोभन की राजनीति करनी नहीं आती। कमलनाथ ने कहा कि 24 सीटों पर ही भाजपा की हालत खस्ता है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस उपचुनाव में 20-22 सीटें जीतेगी और फिर सरकार बनाएगी। कमलनाथ ने कहा कि लोगों को राशन नहीं मिल रहा और सरकार शराब की दुकानें खोल रही है।
आंकड़ों के खेल में कौन कहां
मध्य प्रदेश उपचुनावों में कांग्रेस की वापसी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता “यह आंकड़ों का खेल है. अभी कांग्रेश के पास 92 विधायक है जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक है. 24 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, उपचुनाव में यदि कांग्रेश 15 सीटों में जीत हासिल करती है तो बीजेपी के बराबर पहुंच जाएगी. फिर बाकी 7 विधायक पिक्चर में आते हैं, जिनमें 4 निर्दलीय, दो BSP और एक SP से हैं. और यह 7 विधायक ऐसे हैं कि सरकार किसी की हो डंका इन्ही का बजेगा।