इदौर – मध्य प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन इन दावों की पोल इंदौर की सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं पोल खोल रही है। पहले पुरुष का स्ट्रेचर पर शव नरकंकाल में तब्दील मिला और अब मासूम के शव को लेकर फिर एक बार एम.वाय अस्पताल सुर्खियों में है। मासूम शव और पिछले दिनों शव नरकंकाल मामले में एसआईंटी पहुंच पोस्टमार्टम रूम की पड़ताल शुरु की हैं।
बता दें कि एमवाय अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. इंदौर कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि रोज़ाना उनके मुर्दाघर में 21-22 लाशें आ रही हैं। एम वाय हास्पिटल में मुर्दा बने कंकाल, और बच्चे की लाश मिलने पर एसआईटी जांच करने पहुची हैं।एसआईटी ने माना बच्चे के पोस्टमार्टम में हुई देरी के चलते मासूम के शव को पोस्टमार्टम रूम पटक कर रखा गया.
मानवता को शर्मशार कर देने वाले मामले में एमवाय अस्पताल की बड़ी लापरवाही का खुलासा उस वक्त हुआ जब मीडिया को उस शव की जानकारी मिली। खबर लगते ही इंदौर कमिश्नर व एसआइटी की टीम ने एमवाय अस्पताल और मरचुरी रूम का दौरा किया हैं असिस्टेंट कमिश्नर रजनीश सिंह,एसडीएम आलोक खरे,नोडल अधिकारी अमित मालाकार, एमवाय के कर्मचारियों से पूछताछ घंटो पूछ ताछ की है।
मीडिया से बात करते हुए असिस्टेंट कमिश्नर रजनी सिंह ने कहा कि 3 माह के नवजात शिशु का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। अब कमिश्नर पवन शर्मा एम वाय अस्पताल की कार्यप्रणाली व इस पूरे मामले को लेकर लापरवाही किसके द्वारा की गई है इसकी रिपोर्ट एक बंद लिफाफे में तैयार कर मानव अधिकार को सौंपेंगे। अस्पताल की लापरवाही को लेकर मानव अधिकार आयोग ने भी 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। अब यदि निष्पक्ष जांच होगी तो अस्पताल के कई अधिकारी कर्मचारियों के ऊपर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।