Send Mafia : गढ़वा व बगदरा क्षेत्र में पुलिस-वन अमले की चुप्पी से अवैध उत्खनन जारी, हर गाड़ी के दाम फिक्स
Send Mafia सिंगरौली। गढ़वा और बगदरा क्षेत्र में अवैध उत्खनन की रफ्तार उतनी ही तेज होती जा रही है, जितनी धीमी पुलिस और वन अमले की गतिविधियाँ। रात ढलते ही घाटों के किनारे मशीनों का शोर उठता है और सुबह तक नई-नई खदानें उभर आती हैं। लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस पूरे ऑपरेशन उत्खनन के दौरान पुलिस और वन विभाग उतने ही शांत दिखाई देते हैं जितना कोई दीपावली के बाद बुझा दीपक।
गौरतलब है कि वनांचल में खनन का नेटवर्क इतना मजबूती से काम करता है कि डंपर, ट्रैक्टर और जेसीबी की आवाज़ें तो पूरी घाटी में गूंजती हैं, लेकिन थाना-चौकी तक उनकी गूंज पहुँचने में जैसे कोई तकनीकी खराबी हो। यहां चर्चा है कि रात भर माफिया जागते हैं, पुलिस आराम करती है और जब पुलिस जागती है, तब तक माफिया अपना अवैध कारोबार पूरा कर चुके होते हैं। हालांकि यह पूरा कारोबार पुलिस के संरक्षण में ही हो रहा है। जबकि सोन घड़ियाल अभ्यारण क्षेत्र में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित होने के बावजूद विशाल पैमाने पर मिट्टी और रेत की निकासी लगातार जारी है। Send Mafia
बीट क्षेत्र के आसपास खुलेआम बन चुकी खदानें खुद इस बात की गवाही दे रही हैं कि सोन नदी की सुरक्षा फिलहाल कागज़ों में ज्यादा और जमीन पर कम है। स्थानीयों का आरोप है कि कहीं न कहीं संरक्षण देने वाली मशीनरी ही इस कारोबार की ढाल बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायतें की गईं, वीडियो बनाए गए, पंचायतें हुईं, लेकिन कार्रवाई सिर्फ फाइलों में दर्ज होकर रह गई। अब लोग जिला प्रशासन से अपेक्षा कर रहे हैं कि अधिकारी इस नींद में डूबी व्यवस्था को झकझोरें और अवैध उत्खनन पर लगाम लगाएं। Send Mafia
स्थानीय संगठनों ने आरोप लगाया कि यदि थाना-चौकी दोनों मिलकर गंभीरता से कदम उठाएं, तो अवैध खनन आधे घंटे भी न टिक सके। लेकिन फिलहाल स्थिति उलटी दिखाई दे रही है, यहां पुलिस खानापूर्ति के लिए एक दो गाड़ियों को पकड़ लेती है और दूसरी तरफ माफिया करोड़ों रुपए की रेत की चोरी कर रहे हैं।
सत्ता–विपक्ष–पुलिस–माफिया की गहरी सेटिंग
स्थानीय सूत्रों के अनुसार अवैध रेत खनन में सत्ता और विपक्ष दोनों ही खेमों की पुलिस तंत्र से गहरी सांठ–गांठ बनी हुई है। यही कारण है कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट रहती है। बताया जाता है कि यहाँ पुलिस किसी महीना सेट पर नहीं चलती, बल्कि हर ट्रिप से दो से तीन हजार रुपये तक की वसूली करती है। जितनी ज्यादा गाड़ियाँ, उतनी ज्यादा कमाई।
इस खेल को रोकने की मंशा किसी में दिखाई नहीं देती। सूत्रों का दावा है कि इस पूरे रैकेट का असली संचालन उपाध्याय नामक व्यक्ति कर रहा है, जिसे स्थानीय स्तर पर रेत वसूली नेटवर्क का मास्टरमाइंड कहा जाता है। उसके संरक्षण में रेत माफिया न केवल बेखौफ खनन कर रहे हैं, बल्कि पुलिस का व्यवहार भी ऐसा प्रतीत होता है मानो वे इस अवैध धंधे के सुरक्षा प्रहरी हों। यही वजह है कि क्षेत्र में रात-दिन रेत से भरे डंपर दौड़ते रहते हैं और अवैध खनन बिना किसी रोक-टोक के फलफूल रहा है।
