MP Lok Sabha Elections: मध्य प्रदेश को ऐसे ही अजब और गजब नहीं कहा जाता यहां के अशोकनगर जिले से एक मिथक जुड़ा हुआ है कि जो भी सीएम यहां आता है, फिर वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ज्यादा दिन नहीं बैठ पाता है. इस मिथक के चलते अब तक आठ सीएम अपनी कुर्सी गवा चुके हैं. शायद इसीलिए अब मुख्यमंत्री यहां नहीं आते।
MP Lok Sabha Elections 2024:
एमपी की सियासी जमात के बीच अनकही कई मान्यता है कि मुख्यमंत्री रहते हुए जो भी शख्स अशोकनगर जिले में पहुंचेगी उसकी सीएम की कर्सी चली जाएगी। अपशगुन का यह डर इतना खतरनाक हुआ कि 20 सालों से यहां कोई सीएम दौरा नहीं किया। लेकिन अब कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी मिथक से डरते नहीं है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के नोएडा में पहुंचकर मिथक तोड़ा भी। और वह सीएम योगी आदित्यनाथ आज शनिवार (4 मई) को एक बार फिर मध्य प्रदेश के अशोकनगर में जनसभा को संबोधित करने आ रहे हैं. इससे पहले साढ़े पांच महीने पहले भी सीएम योगी आदित्यनाथ अशोकनगर आए थे और जनसभा को संबोधित किया था. योगी आदित्यनाथ अशोकनगर के सुभाषगंज में जनसभा को संबोधित करेंगे.MP
बता दे की अशोकनगर जिले से एक मिथक है की जो भी कम यहां आता है वह कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाता। लिहाजा सत्ता में बैठे नेताओं के ज़हन में इस कदर घर कर गया है कि कोई भी सीएम यहां नहीं आता है। हालत भी यही बयां कर रहे हैं कि अब तक आठ कम यहां आने के बाद अपनी कुर्सी गवा चुके हैं। इस मिथक के डर से तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान सीएम रहते अशोकनगर नहीं आए इसी तरह वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी संसदीय चुनाव में भले ही प्रदेश भर का दौरा और जनसभाएं की लेकिन वह भी अब तक अशोकनगर नहीं आए। MP
लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन मिथकों पर जरा भी भरोसा नहीं करते हैं। यही वजह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ साढे 5 माह में दूसरी बार अशोकनगर जिले में आ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अशोकनगर के सुभासगंज में सभा का आयोजन किया गया है। हालांकि आदित्यनाथ के चाहने वाले समर्थकों ने इस जनसभा आयोजन पर एतराज जताया था उनका कहना है कि जब यहां प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं आते तो यूपी के सीएम को को बुलाकर उनकी कुर्सी क्यों खतरे में डाली जा रही है। MP
इन मुख्यमंत्रियों की चली गई कुर्सी
राजनीति में जानकारी रखने वाले मध्य प्रदेश और अशोकनगर के बुजुर्गों के अनुसार साल 1975 में तत्कालीन सीएम प्रकाश चंद सेठी कांग्रेस के राज्य अधिवेशन में शामिल होने पहुंचे थे, यहां के से जाने के बाद राजनीतिक उठा पटक के बीच हालात ऐसे बने कि उन्हें सीएम पद से हटा दिया गया। साल 1977 में सीएम श्यामाचरण शुक्ल तुलसी सरोवर का लोकार्पण करने आए थे. इसके बाद वीरेन्द्र सखलेवा, कैलाश जोशी आए. वहीं 1983 में सीएम अर्जुन सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राजीव गांधी के साथ आए थे. ऐसा हुआ भी अर्जुन सिंह ने मुख्यमंत्री की शपथ ली. हालांकि मुख्यमंत्री बनने के एक दिन बाद ही उनको इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उनको पंजाब का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था.MP
1986 में सीएम मोतीलाल बोरा रेलवे स्टेशन पर ओवरब्रिज का भूमिपूजन करने आए लेकिन उसके बाद वह दोबारा मुख्यमंत्री के कुर्सी पर नहीं बैठ पाए। साल 1992 में सीएम सुंदरलाल पटवा और 2003 में सीएम दिग्विजय सिंह यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए थे. दिग्विजय सिंह यहांसे वापस जाने के बाद ना केवल मुख्यमंत्री पद खो दिया। बल्कि उन्हें बंटाधार केनाम से तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने संबोधित किया। हालांकि इसके बाद दिग्विजय सिंह ने 10 साल तक चुनाव लड़ने की प्रतिज्ञा की।कहा जाता है कि यहां से जाने के कुछ समय बाद ही ये सभी मुख्यमंत्रियों ने अपनी कुर्सी खो दी थी. इसलिए पिछले 20 सालों में प्रदेश के सीएम एक बार भी अशोकनगर जाने का साहस नहीं जुटा पाए।MP