CM Shivraj Singh Chauhan सिंगरौली : कलेक्टर एसपी और चितरंगी थाना प्रभारी सरकार द्वारा दिए गए सरकारी नंबर वाले मोबाइल को अपने पास रखते जरूर है लेकिन कॉल रिसीव नहीं करते। सरकारी नंबर वाले मोबाइल कॉल को रिसीव नहीं करने से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ज्ञात हो कि आम लोगों को कलेक्टर एसपी सहित पुलिस से संपर्क साधने किसी प्रकार की घटना की जानकारी देने या तुरंत शिकायत करने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए सरकार ने जिले के प्रमुख कलेक्टर एसपी और थाना प्रभारी को सरकारी नंबर वाले मोबाइल दिए है। बावजूद इसके जिले के जिम्मेदार अफसर और उनके मातहत कर्मचारी इन नंबरों पर आने वाली कॉल को रिसीव नहीं करते हैं। जब से इन अवसरों और कर्मचारियों को सरकारी नंबर मिला तब से लोगों को काफी सहूलिया होने लगी थी लेकिन इन दिनों जिले में ब्यूरोक्रेसी हावी है कलेक्टर एसपी सहित थाना प्रभारी आम लोगों का फोन उठाना बंद कर दिये हैं।
बता दे कि आम लोगों को सहूलियत देने के लिए भले ही कलेक्टर एसपी सहित थाना प्रभारियों को सरकारी नंबर वाले मोबाइल दिए गए हैं लेकिन यह अधिकारी सरकारी नंबर वाले मोबाइल को महत्व नहीं दे रहे हैं वह इस मोबाइल को अपने पास रखते हैं या फिर नहीं इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं लेकिन इससे आम लोगों को कलेक्टर एसपी सहित थाना प्रभारी से संपर्क साधने में काफी परेशानी हो रही है। आम लोगों में चर्चा है कि कलेक्टर अरुण परमार को फोन लगाने पर वह फोन कभी नहीं उठाते तो वहीं एसपी मोहम्मद यूसुफ कुरैशी को यदि सरकारी नंबर पर फोन लग भी जाए तो उनका फोन कभी रिसीव नहीं हो सकता। यदि होगा भी तो उनका गनमैन फोन उठाएगा और जवाब दे देगा कि साहब व्यस्त हैं या फिर मीटिंग में है, जबकि थाना प्रभारी चितरंगी शेषमणि पटेल शायद ही कभी सरकारी नंबर का कॉल उठाया हो। जिले भर में चर्चा है कि चुनावी साल में अधिकारी और उनके मातहत कर्मचारी आम लोगों से दूरी बना लिए हैं और आम लोगों की समस्याओं से उन्हें अब कोई लेना-देना नहीं है। जिले में इन दिनों ब्यूरोक्रेसी इस कदर हावी हो गई है कि अब आमजन को जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं है। तो वहीं दूसरी तरफ चर्चा यह भी है जिला प्रशासन और पुलिस विभाग सुशासन और देशभक्ति और जन सेवा के मायने बदल दिए हैं।
चितरंगी थाना प्रभारी दिखाने लगे अपनी हनक
बता दे की जिले का दूरस्थ अंचल चितरंगी में भले ही थाना प्रभारी बदलते हैं लेकिन वहां के दो नंबरियां वहीं रहते हैं जो पहले से काम कर रहे हैं। स्थानीय लोग अपनी समस्या या फिर इन दो नंबरियों की शिकायत के लिए थाना प्रभारी के सरकारी मोबाइल नंबर पर संपर्क करने की कोशिश करते हैं तो उनका फोन शायद ही लगता हो और यदि लग भी जाता है तो उनका फोन उठाता नहीं है। वही जब संपर्क नहीं होने पर लोग थाने में पदस्थ एसआई या फिर अन्य पुलिसकर्मी से संपर्क करते हैं तो उनके द्वारा साफ कहा जाता है कि थाना प्रभारी को सूचना दीजिए, ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब थाना प्रभारी का फोन लगता ही नहीं और लग भी जाए तो वह उठाते नहीं तो आमजन अपनी समस्याएं किसे बताएं। सूत्रों का दावा है कि चितरंगी थाना प्रभारी अपना सरकारी नंबर वाला मोबाइल फोन कम लेकर ही चलते हैं। थाना प्रभारी के इस व्यवहार से आम जनों का अब पुलिस पर से भरोसा उठने लगा है।
कलेक्टर के कार्य प्रणाली से आमजन परेशान
जिले में इन दोनों ब्यूरोक्रेसी हावी है यहां कलेक्टर अपनी मनमानी करने पर उतारू है। पिछले दिनों नकल सेंक्शन में पदस्थ एक कर्मचारी का रिश्वत लेते कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ लेकिन अभी तक रिश्वतखोर नकल सेंक्शन में पदस्थ कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई, ना हीं अब तक वीडियो की जांच की गई। वहीं जन चर्चा है कि कलेक्टर फरियादियों से सीधे मुंह बात तक नहीं करते, यदि कोई फरियादी उनसे फरियाद लेकर पहुंचता है तो वह फरियादी की बिना फरियाद सुनें उसे संबंधित विभाग के अधिकारी से मिलने की बात कहते हैं या फिर झल्लातें हुए जांच करने की बात कह कर उसे चुप कर देते हैं। कलेक्टर के इस व्यवहार से आम जनों में अब जिला प्रशासन सहित सरकार को कोसने लगे हैं। जन चर्चा है कि जिले में यह पहले कलेक्टर है जो पीड़ितों से सीधे मुंह बात नहीं करते। जबकि पूर्व कलेक्टर फरियादियों की पूरी बात सुनते थे और उन्हें संतुष्ट कर यथा उचित कार्यवाही करते थे।