singrauli news:सिंगरौली नगर निगम के शहरी क्षेत्र ( Urban areas of Singrauli Municipal Corporation ) से निकलने वाले कचरा के उठाव से लेकर उसके प्रबंधन तक की पूरी जिम्मेदारी सीटा डेल कंपनी को दी गई है कंपनी ने कम गाड़ियों को लगाकर काम शुरू किया जो लगातार जारी है अभी तक नगर निगम के 45 वार्डों में भले ही दावा किया जा रहा है कि 49 गाड़ियों से कचरा का संग्रहण किया जा रहा है. लेकिन दावा और हकीकत में बड़ा फर्क है. बताया यह जा रहा है कि घर-घर घर घर कचरा संग्रहण में सिर्फ 22 गाड़ियां ही लगी हुई है.
गौरतलब है कि शहरी क्षेत्र से घर घर कचरा संग्रहण के लिए नगर निगम प्रशासन हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रहा है. बावजूद इसके घरों से 3 से 4 दिनों में ही कचरे का उठाव हो रहा है. ऐसे में शहर की स्वच्छता और मोदी के सपनों को साकार करना बेईमानी होगी. तो वही कंपनी का दावा है कि वह सामान्य कचरा के साथ ही बेस्ट व जैविक कचरा का प्रबंधन कर रही है. लेकिन कचरे का उठाव बेतरतीब तरीके से किया जा रहा है. कचरा संग्रहण में लगे कर्मचारी लेवर है. उन्हें गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डालना है. इस बात की जानकारी नहीं है. ऐसे में कचरे का सही डिस्पोजल करना कंपनी के लिए बड़ी चुनौती है. लेकिन चुनौती तो तब कहा जा सकता है जब कचरे का निष्पादन हो. यहां तो सुख और गीला कचरा एक साथ उठाकर कचरा यार्ड में डंप किया जा रहा है. singrauli news
सीटाडेल कंपनी को कचरे का संग्रहण और निष्पादन की संपूर्ण जिम्मेदारी है. जहां सूखा कचरा नीले डिब्बे में तो वहीं गीला कचरा हरे डिब्बे में डाला जाएगा. काले डिब्बे में बेस्ट और पीले डिब्बे में जैविक कचरा का संग्रहण किया जाएगा. लेकिन कंपनी सारे कचरो को बेतरतीब तरीके से मन मुताबिक गाड़ियों में डाला जा रहा है. यदि कचरा संग्रहण में लगी कंपनी गाड़ियों में कार्यरत कर्मचारियों को जागरूक करने के बाद काम में लगाया जाता तो कचरे का संपूर्ण निष्पादन संभव था. लेकिन बिना जागरूकता के लेबरों से गाड़ियों के जरिए कचरे का संग्रहण कराया जा रहा है. ऐसे में कचरे का सही निष्पादन होगा यह मानना बेईमानी होगी. singrauli news
टन के हिसाब से होगा भुगतान
बताया जा रहा है कि घर-घर कचरा संग्रहण करने के साथ उसका निष्पादन करने की पूरी जिम्मेदारी सीटाडेल कंपनी की है. नगरी क्षेत्र में 80 से 100 टन प्रतिदिन कचरा निकल रहा है. सूत्रों की माने तो कचरे का संग्रहण और निष्पादन के लिए नगर निगम पर टन के हिसाब से 117 का भुगतान करेगा. लेकिन नगर निगम प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी सहित ठेकेदार कचरा से मालामाल हो रहे हैं. तो वही आम लोग प्रतिदिन गाड़ी नहीं आने से खासे परेशान हैं.
जीपीएस सिस्टम फेल
घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्थित तरीके से हो इसके लिए नगरी प्रशासन ने गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम लगाने की कवायद की थी। जीपीएस सिस्टम के बाद मानना जा रहा था कि कचरे के संग्रहण और परिवहन के सिस्टम में सुधार होगा. इसके लिए प्रत्येक वाहन में जीपीएस सिस्टम की व्यवस्था की गई थी. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा था कि वाहन चालक पेट्रोल बचाने के लिए कचरे का घर-घर संग्रहण नहीं करते हैं. जीपीएस सिस्टम लागू होने के बाद ड्राइवरों की इस चोरी को आसानी से पकड़ा जा सकता है. लेकिन नगर निगम के अधिकारी और ठेकेदार ने इस सिस्टम को ही बंद कर दिया. जिससे उनकी चोरी पकड़ी ना जा सके.
कचरे का नहीं हो रहा समुचित निष्पादन
घर-घर कचरा उठाने को लेकर जहां बड़ा खेल खेला जा रहा है तो वही प्रोसेसिंग प्लांट में कचरे का ढेर लगा हुआ है यह कचरे का समुचित निष्पादन नहीं किया जा रहा है. हालात यह है कि प्रोसेसिंग प्लांट में सूखा और गीला कचरा एक साथ डंप किया गया है. सूत्रों की माने तो सीटाडेल कंपनी के ऊपर मंत्री का सीधा हस्तक्षेप यही वजह है कि अधिकारी कंपनी को निर्देश देने की हिमाकत तक नहीं जुटा पा रहे हैं. singrauli news