सीधी- माँ के प्यार के आगे बड़ी से बड़ी शक्ति भी फींकी पड़ जाती है। माँ के प्यार का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। माँ का प्यार एक अनोखा और अद्भुत अनुभव होता है। माँ के अनेक रुप होते है, कभी रक्षक बनकर संभालती है, तो कभी अनुशासक बनकर सही रास्ता दिखाती है। माँ मां के बच्चे की जिंदगी के ऊपर बात आ जाए तो वह सबसे लड़ जाती है उसके सामने यमराज ही क्यों ना हो हम ऐसी ही एक मां के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपने बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए के तेंदुआ से ही लड़ गई। और अपने बच्चे को मौत के मुंह से बाहर ले आई। हालांकि मां बेटे इस घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घायलों का इलाज समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुसमी में चल रहा है। इनकी हालत ठीक बताई गई है।
दरअसल यह मामला सीधी जिले के कुसमी ब्लॉक के संजय टाइगर बफर जोन की है। बैगा परिवार के साथ इस बफर जोन की टमसार रेंज में आने वाले बाड़ीझरिया गांव में रहती है. जहां मां तेंदुए के जबड़े से अपने बेटे को 1 किलोमीटर पीछा कर बचा लाई। मां किरण बैगा अपने 6 साल के बेटे राहुल को बचाने मौत से भिड़ गई. राहुल को तेंदुआ मां के सामने ही उठाकर ले गया. किरण ने डंडा लेकर करीब 1 किमी तक उसका पीछा किया और अंततः उससे सामने से भिड़ गई. उसने तेंदुए से पहले बच्चे को बचाया और फिर खुद को.
यह थी घटना
संजय टाइगर रिजर्व के बफर जोन टमसार रेंज अंतर्गत बाड़ीझरिया गांव में एक बैगा आदिवासी परिवार की किरण बैगा अपने बच्चों को ठंड से बचाने के लिए रविवार शाम सात बजे घर के सामने अलाव जलाकर तीन बच्चों के साथ बैठी हुई थी। इसी दौरान पीछे से अचानक तेंदुआ आ आया और बगल में बैठे 8 वर्षीय बेटे राहुल को मुंह में दबाकर जंगल की ओर भाग गया। करीब एक किलोमीटर दूर तेंदुआ जंगल में ही एक जगह रुका और बालक को पंजों से दबोचकर बैठ गया था।
मां ने तेंदुए से बेटे की बचाई जान
बताया कि बच्चे को तेंदुए को उठाते हुए उसने देख लिया था. वह तुरंत उसके पीछे-पीछे भागी। महिला हिम्मत करके उसके पंजे से बच्चे को संघर्ष के बाद छुड़ाने में कामयाब हुई और फिर बच्चे को अपनी बांहों में कसकर लिपटा लिया। बच्चे को छुड़ाने के बाद दूसरी बार तेंदुआ फिर वार किया तब वह उसके पंजे को पकड़कर जोर से धकेल दी। तब तक में गाँव के लोग भी पहुँच गए और लोगों की भीड़ आते देख तेंदुआ वहां से जंगल की ओर भाग गया। महिला ने बताया कि इसके बाद वह बेहोश हो गई जब आँख खुली तो देखा कि अस्पताल पहुंच गई है।
बैगा परिवार डर के साए में रहने को मजबूर
किरण का कहना है कि हम संजय टाइगर रिजर्व के बफर जोन में हैं, इस तरह की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं, अक्सर हम उन्हें चीता या भालू कहते हैं, हम अपनी जान बचाने के लिए दौड़ते हैं। इस घटना के बाद दहशत और बढ़ गई है।
इनका कहना है
ठंड ज्यादा होने के चलते हम बच्चों के साथ आग ताप रहे थे। अचानक पीछे से आकर तेंदुआ बेटा को उठा ले गया। पीछा कर तेंदुआ से बेटे को बचा लाई। बेटा घायल है जिसका इलाज अस्पताल में किया जा रहा है। असीम भूरिया रेंजर संजय टाइगर रिजर्व टमसार