Cooking Oil Price Hike: खाना पकाने के तेल की बढ़ती कीमतें,उम्मीद है कि मार्च 2022 के बाद नई सरसों की फसल के आने पर सरसों क तेल की कीमतों में हो सकती है गिरावट
Cooking Oil Price Hike:भले ही सरकार महंगी हो रही खाद्य पदार्थों पर राहत देने की बात कर रही है लेकिन आने वाले दिनों में खाद्य पदार्थों में कोई कमी आएगी इसकी बिल्कुल भी संभावना नहीं है। महंगाई की मार आम आदमी के ऊपर लगातार पड़ रही है.जी हां आम लोगों को महंगे खाद्य तेल से जल्द राहत नहीं मिल रही है. नया साल शुरू होने वाला है और नए साल में भी खरीदारों को खाद्य तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त भुगतान करना होगा। अनुमान है कि मार्च 2022 के बाद नई सरसों के आने से खाद्य तेल का मौजूदा स्तर 7 से 8 फीसदी तक कम हो सकता है.
महंगा खाद्य तेल नही मिलेगी राहत
घरेलू खाद्य तेल की कीमतें वैश्विक कीमतों के अनुरूप बढ़ी हैं. इंडोनेशिया, ब्राजील और अन्य देशों में जैव ईंधन के लिए खाद्य तेलों को उपयोग में लाने (डायवर्जन करने) के बाद खाद्य तेलों की उपलब्धता कम हुई है, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.देश में खाद्य तेल की कीमत 200 रुपये प्रति किलो को पार कर गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन, सूरजमुखी, पाम तेल की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल से देश में खाद्य तेल की कीमतों में तेजी आ रही है. भारत अपने खाद्य तेल का 60% आयात करता है।
नीति परिवर्तन से थोड़ी राहत
सरकार ने अपनी आयात नीति में महत्वपूर्ण बदलाव जरूर की है लेकिन इन नीतियों से खाद्य तेल सामग्रियों में कोई ज्यादा कमी देखने को नहीं मिल रही है एक सामान्य आदमी इस महंगाई से परेशान है लेकिन सरकार की नई नीति के बाद रिफाइंड सोयाबीन तेल की कीमत 150 रुपये से घटाकर 125 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी गई है। पाम तेल की कीमत 140 रुपये से 120 रुपये प्रति किलो और सूरजमुखी के तेल की कीमत 150 रुपये से 128 रुपये प्रति किलो पर आ गई है।
खाद्य तेल की कीमतें मार्च 2022 के बाद गिरेंगी
आर्थिक विशेषज्ञों की माने तो मार्च 2022 के बाद खाद्य तेल पदार्थों में कमी आने की संभावना जताई जा रही है कहा जा रहा है कि सरसों की नई फसल में सरसों के तेल की कीमत घटकर 150 रुपये प्रति किलो हो सकती है, जो एक समय में 200 रुपये प्रति किलो से अधिक थी। हालांकि अगर खाद्य तेल की कीमत घटती है तो यह 2019 के मुकाबले 25 से 30 फीसदी ज्यादा पर उपलब्ध होगा।