Singrauli : यदि आप नौकरी कर रहे हैं तो बॉस के आदेश भी मानने होंगे। बात अगर तबादले की हो तो हर हाल में वहां जाना होगा जहां आपकी जरूरत है। लेकिन ऐसा उन लोगों के लिए जरूरी नहीं जिनकी राजनीतिक पहुंच है। ऊर्जा राजधानी सिंगरौली नगर पालिक निगम में अंगद के पैर की तरह जमे अधिकारियों को हिलाने की हिम्मत सरकार में भी नहीं है। ऐसे अधिकारी व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं। उपयंत्री को चर्चित कमिश्नर आरपी सिंह भी नगर निगम में ही देखना चाहते हैं यही वजह है कि वह उनको रिलीव नहीं कर रहे हैं।
बता दें कि पिछले दिनों नगरी प्रशासन विभाग ने प्रदेश के नगरीय निकायों में कार्यरत 50 उपयंत्रीयों का तबादला अन्य जिलों में कर दिया था आदेश में ट्रांसफर हुए सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि सभी 7 दिसंबर को रिलीव कर इन्हें 8 को ट्रांसफर किए गए अपने नए स्थानों पर जॉइनिंग कर लेना है इस तबादला लिस्ट में सिंगरौली जिले के दो उपयंत्री ओं का नाम भी शामिल थे जिसमें से एक उपयंत्री ने आज नगर निगम रीवा में ज्वाइन कर लिया है जबकि दूसरे उपयंत्री ओपी द्विवेदी को आज तक रैली भी नहीं किया गया जिसके चलते वह ट्रांसफर हुए स्थान पर ज्वाइन नहीं किया है।
बताया जा रहा है कि उपयंत्री को पिछले 3 साल के कार्यकाल में नगर निगम से इतना मोह हो गया कि वह अब यहां से जाना नहीं चाहते हैं जिसके चलते उन्होंने जिले सहित भोपाल में बैठे अपने आकाओ से संपर्क किया और नेताओं ने नगर निगम कमिश्नर पर इतना दबाव बना दिया कि अधिकारी उन्हें रिलीव करने की हिमाकत नहीं जुटा पा रहे हैं अब देखना है कि अधिकारी कब तक उन्हें बचा पाते हैं बताया जाता है कि निगम आयुक्त और प्रशासन पर उपयंत्री दबाव बनाकर रिलीज नहीं करने।
बताया जा रहा है कि उपयंत्री का नेता व अधिकारी पक्ष ले रहे हैं जबकि जनता में उनका भारी विरोध हो रहा है यह उपयंत्री जहां भी जाते हैं अपने काम के चलते सुर्खियों में रहते हैं इसलिए इनकी शिकायत आम आदमियों के द्वारा लगातार की गई है हां अधिकारियों और नेताओं में इनकी अच्छी पकड़ है इसके पीछे बताया जा रहा है कि फर्जी कोटेशन निकालने में यह सबसे माहिर है इससे नेताओं और अधिकारियों की जेब गर्म होती है इसके अलावा जिस फाइल पर कोई दस्तखत ना कर रहा हो उस बर्तन से करवा लो इसीलिए अधिकारी भी इन से खुश रहते हैं और इन्हें जिले से बाहर नहीं भेजना चाहते हैं।