mp political news सिंगरौली। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा कांग्रेस अपनी-अपनी सियासी चाले चलना शुरू कर दी हैं। दोनों ही पार्टियों ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। टिकट को लेकर दोनों ही दलों के दावेदारों में गहमागहमी मची हुई है। दोनों दल ऐसे हैं जो एक अनुभव के साथ मैदान में अपने रन वीरों को उतारना चाहते हैं जो सियासत की पिच पर पटकनी देने में भारी हो। यह अलग बात है कि सिंगरौली जिले में अभी तक भाजपा का ही पलड़ा भारी रहा है। भाजपा का जिले की तीनों सीटों पर कब्जा है और भाजपा इस जीत को बरकरार रखने के लिए अभी तक टिकट वितरित नहीं किये है। शीर्ष नेतृत्व को डर सता रहा है की जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा वह पार्टी से बगावत कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि सत्ताधारी भाजपा टिकट बटवारे के पहले एक बार फिर जनसंपर्क व पीएचसी मंत्री मंत्री राजेंद्र शुक्ला को दावेदारों और कार्यकर्ताओं का नब्ज टटोलने भेजा हैं। टिकट को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में गदर मचा हुआ है।
बता दे की ऊर्जाधानी की सियासत में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा का दबदबा रहा है। वहीं भाजपा को अपनी जीत बरकरार रखने के लिए चुनौती रहेगी। यही वजह है कि भाजपा अभी तक कैंडिडेंटों के पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि टिकट को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में गदर मचा हुआ है। दोनों दलों के कई दावेदार भोपाल और दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। गहमागहमी तो जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर है पर अधिक उठा पटक सिंगरौली और देवसर विधानसभा सीट में देखने को मिल रही है। चर्चा है कि भाजपा दावेदार और कार्यकर्ता स्थानीय उम्मीदवारों की मांग कर रहे हैं। हालांकि सबसे अधिक छटपटाहट कांग्रेस के खेमे में देखने को मिल रही है। वजह कांग्रेस को पिछले दो दशक से यहां करारी शिकस्त मिली हैं। हालांकि इस बार कांग्रेस अपने 11 वचनों के साथ जनता को लुभाकर प्रदेश सहित जिले की सत्ता पर काबिज होने की जुगत में हैं। हालांकि जनता के बीच जाकर प्रतिद्वंदी से भिड़ने से पहले कांग्रेस को फिलहाल अपनों से ही जूझना पड़ रहा है। एक अदद टिकट के लिए कई दावेदार होने से पार्टी को मशक्कत करनी पड़ रही है। अलग-अलग धड़े का अपना अलग-अलग दावा है। अब देखना है कि कांग्रेस भाजपा के टिकट की लॉटरी किसके नाम लगती है। mp political news
टिकट बंटवारे में भाजपा का मंथन जारी
शिवराज सरकार ने सिंगरौली को सिंगापुर बनाने का वादा किया तो जिले की जनता भी उन्हें सर आंखों पर बैठाते हुए तीनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जीताकर सुबे की सत्ता पर बैठा दिया। लेकिन 18 साल की सरकार पर कब्जा जमाए हुए भाजपा को इस बार एंटी इनकंबेंसी का भी खामियां उठाना पड़ सकता है इसीलिए भाजपा इस बार संभल कर ही जिताऊ कैंडिडेट को टिकट देना चाह रही है। इसीलिए टिकट को लेकर इस समय भाजपा खेमे में गदर मचा हुआ है। भाजपा एक अदद जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले हर पहलू को खंगाल रही है। mp political news
कांग्रेस को सता रहा दल बदलुओं की टेंशन
चुनावी गहमागहमी के बीच भाजपा से ज्यादा कांग्रेस नेतृत्व की टेंशन बाहरियों से ज्यादा भितरघात करने वाले और दल बदलुओं की टेंशन है। कांग्रेस टिकट वितरण होते ही पार्टी में दल बदल का खेल शुरू हो जाता है। अपनी महत्वकांक्षा के चलते नेता भी अपनी पार्टी छोड़ अन्य पार्टियों की ओर रुख कर लेते हैं. पिछले सिंगरौली विधानसभा चुनाव की बात करें तो शहर अध्यक्ष अरविंद सिंह चंदेल को टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ गए। नतीजा वह खुद चुनाव हारे और कांग्रेस प्रत्याशी को भी चुनाव हरा दिया। हालांकि उनके अलावा भी कई ऐसे छुटभैया नेता थे जो टिकट नहीं मिलने पर चुनाव लड़ गए थे। यह अलग बात है कि उन छुटभैया नेताओं का कोई जनाधार नहीं है। वह महज 1000 वोट तक ही सीमित रह गए। वहीं अगर बात देवसर विधानसभा के दावेदार पूर्व मंत्री वंसमणि वर्मा की बात करें तो उन्हें दल बदलने में महारत हासिल है। कांग्रेस में कई ऐसे दल बदलू नेता है जो इस बार भी टिकट मांग रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस भी अब तक जिले की कोई भी विधानसभा में अपने प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा है। mp political news