Sidhi political news : राजनीति में अक्सर यह कहा जाता है कि जो दिखता है वह होता नहीं और जो होता है वह दिखता नहीं. लगातार चार बार के विधायक केदार शुक्ला का टिकट कटते हीं उनके सुर बदल गए। वह अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अब समर्थकों को आगे कर सियासत चलना शुरू कर दिया है।मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में वर्तमान विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ला अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए हैं। भले ही यह बीजेपी से चार बार के विधायक है लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी ज्यादा है कि अब जब भाजपा ने सांसद रीती पाठक को टिकट दिया तो वह बौखला गए और राजनीति के वह सारे हथकंडे आजमाने लगे हैं जो एक कुशल राजनीति के चाणक्य अपनाते हैं। यह भले ही खुद को ब्राह्मणों के सर्वोपरि नेता मानते हैं लेकिन कोई दूसरा ब्राह्मण राजनीति में इनसे आगे हो जाए इन्हें मंजूर नहीं। यह साम-दाम-दंड-भेद हर दांव आजमाना शुरू कर दिए हैं.
बता दें कि विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट कटते ही वह अपने आवास पर पहुंचे, जहां उनके समर्थक तो जुटे रहे पर सभी के चेहरे पर निराशा का माहौल साफ झलक रहा था। इस बीच मीडिया कर्मियों ने टिकट न मिलने और आगे की रणनीति पर सवाल किया तो उन्होंने बेहद ही गैर जिम्मेदार आना बयान देते हुए महिला सांसद के लिए जो शब्द इस्तेमाल किया उसे हर कोई गलत मान रहा है उन्होंने कहा कि भाजपा को ऐसी महिला को टिकट देना बिल्कुल उचित नहीं है मध्य प्रदेश में हारने वालों में नंबर वन पर रहेगी। भाजपा विधायक केदार शुक्ला ने कहा कि कार्यकर्ताओं से चर्चा और सलाह लेकर आगे निर्णय करूंगा। 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर अपनी आगे की रणनीति स्पष्ट कर दूंगा। चर्चा है कि केदार शुक्ला बेहद की राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखते हैं और वह हर हाल में विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकेगे, इस बीच राजनीतिक जानकारों की माने तो पार्टी के कार्यकर्ता अब विधायक से दूरी बनाने लगे हैं, उन्हें भी यह समझ आ चुका है कि विधायक अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए यह सब प्रोपेगेंडा शुरू किए हैं। Sidhi political news
दो बार छोड़ चुके पार्टी
बताया जाता है कि केदार शुक्ला राजनीतिक महत्वाकांक्षा इस कदर है कि वह हर हाल में विधायक बनना चाहते हैं। इनको कोई स्थाई सिद्धांत नहीं है वह पहले भी दो बार पार्टी छोड़ चुके हैं हालांकि जब उन्हें यह समझ में आ गया की पार्टी के बिना वह कुछ भी नहीं है तो वह फिर भाजपा का दामन थाम लिए। बताते चलें कि पहली बार केदारनाथ शुक्ला को वर्ष 1985 में गोपद बनास सीट से भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा, जहां वे कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर द्विवेदी से चुनाव हार गए। दूसरी बार भाजपा ने केदारनाथ शुक्ला का टिकट काटकर गोपद बनास सीट से मंगलेश्वर सिंह को प्रत्याशी बना दी। इस पर केदारनाथ शुक्ला पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी बतौर गोपद बनास सीट से चुनाव मैदान में उतर गए। Sidhi political news
विधायक के बगावत के कई मायने
सांसद रीती पाठक को सीधी विधानसभा का टिकट मिलने के बाद विधायक केदार शुक्ला ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिया है हालांकि वह अभी भी कार्यकर्ताओं से चर्चा कर निर्णय में पहुंचने की बात कही है और 2 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएंगे विधायक के इस बगावती तेवर के कई मायने निकाले जा रहे हैं। केदार शुक्ला भले ही चार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं जबकि चार विधानसभा चुनाव निर्वाचित हो चुके हैं लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा अभी खत्म नहीं हुई है। यही वजह है कि वह टिकट नहीं मिलने के बाद पार्टी के फैसले से नाराज चल रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि वह आम आदमी पार्टी के संपर्क में है, यह अलग बात है कि उनकी अब राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है उनके करीबी के द्वारा पेशाब कांड करने के बाद अब उनकी सियासी पकड़ भी कमजोर हुई है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अब सीधी विधायक केदार शुक्ला का राजनीतिक अंत करीब है। Sidhi political news