Singrauli News सिंगरौली। कांग्रेस ने पूर्व पैराशूट प्रत्याशी रेनू साह को एक बार फिर सिंगरौली विधानसभा का प्रत्याशी बनाया है लेकिन इस बार भी उन्हें पार्टी के भीतर और साहू समाज से ही कड़ी चुनौती मिलने के आसान नजर आ रहे हैं, इसके पीछे उनका लगातार दल बदल की राजनीति हैं। जबकि भाजपा ने प्रदेश कार्य समिति सदस्य रामनिवास शाह को प्रत्याशी घोषित किया तो साहू समाज का बड़ा तबका उनके साथ जुड़ने लगा है। इसके पीछे की वजह है पहली बार भाजपा ने साहू समाज के किसी पदाधिकारी को अपना उम्मीदवार बनाया हैं। चर्चा है कि पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। यहां रेनू- रानी और राम निवास के बीच कड़ा मुक़ाबला है। लेकिन भाजपा कांग्रेस में इस बार दोनों प्रमुख दलों ने साहू समाज से उम्मीदवार उतारा है जिसके बाद से साहू समाज का मतदाता असमंजस की स्थिति में है कि किसे वोट दे जो जीताऊ हो। जबकि ब्राह्मण ठाकुर और बैस समाज यहां का निर्णायक मतदाता है यह तीनों वर्ग इस बार निर्णायक हैं।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी रेनू शाह के लिए चुनौती आसान है? साहू समाज भी यह मानने लगा है कि रेनू साह को राजनीतिक महत्वाकांक्षा इस कदर है कि वह साल 2000 से चुनाव लगता लड़ रही हैं। वह अपने 23 साल के इस करियर में किसी दूसरे साहू समाज को मौका नहीं दिया। वह हर बार दल बदल कर चुनाव लड़ी जहां समाज के लोगों ने हर बार उनका समर्थन किया। वह साल 2000 में कांग्रेस से महापौर,कांग्रेस से बहुजन, साल 2005 महापौर चुनाव में बहुजन, साल 2008 में समाजवादी, साल 2009 में पति अशोक साह लोकसभा में बहुजन से चुनाव लड़ा, 2013 में समाजवादी छोड़ बहुजन से चुनाव लड़ा, 2018 में कांग्रेस से, 2023 में दूसरी बार कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाकर उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा है। साहू समाज में चर्चा है कि क्या इतने बड़े बिरादरी में एक ही परिवार है जो चुनाव जीत सकता है। माना जा रहा है कि रेनू साह की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से अब समाज ऊब गया है और वह इस बार भाजपा के रामनिवास शाह पर अपना दाव लगाने का विचार कर सकता है, कयासों के इस दौर में देखने लायक होगा कि इस बार समाज का पलड़ा किस और भारी होता है। रेनू शाह की दल बदल की राजनीति, भाजपा के रामनिवास साह के पहले विधानसभा चुनाव में आप पार्टी की रानी अग्रवाल सबसे बड़ा खतरा बनती दिख रही हैं। Singrauli News
रेनू दल बदलू और रामनिवास पार्टी के लिए वफादार
कांग्रेस प्रत्याशी रेनू शाह दो दशक पहले कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीतकर महापौर बनी थी, वही साल 2005 में वह कांग्रेस छोड़ बहुजन से महापौर बनीं। भाजपा प्रत्याशी रामनिवास शाह 1990 में भाजपा के सदस्य रहे जबकि 1996 में वह भाजपा की सक्रिय सदस्य बन गए थे वह दो बार जनपद उपाध्यक्ष भी रहे। जबकि एक बार कोऑपरेटिव अध्यक्ष निर्वाचित हुए। रेनू शाह और रामनिवास के बीच फर्क इतना हैं की रेनू हर मौका देखकर बार-बार पार्टी बदली और आज कांग्रेस से चुनाव लड़ रही हैं लेकिन भाजपा के रामनिवास साह हमेशा पार्टी के प्रति वफादार रहे हैं। Singrauli News
सिंगरौली विधानसभा सीट सभी पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा बनी रहती हैं, साल 2018 में भाजपा की भले ही जीत हुई थी लेकिन कांग्रेस और आप से जीत का फासला बहुत ज्यादा नहीं था। कमोबेश हालात इस बार भी यही बना रहे हैं। इस बार भी यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। क्योंकि यहां भाजपा कांग्रेस के अलावा आप भी पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतर चुकी है। आप पार्टी पिछले महापौर चुनाव में सिंगरौली का विकास दिल्ली मॉडल में करने की बात कहे चुनाव जीता था। इस बार आप सरकार की एंटी इनकंबेंसी और भाजपा कांग्रेस के विरोधियों को साथ लेकर चुनाव जीतने का समीकरण बना रही हैं। Singrauli News