Singrauli news : सिंगरौली : हमेशा से अपने कामों को लेकर सुर्खियों में रहने वाला नगर पालिक निगम सिंगरौली एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार नगर निगम के राजस्व विभाग में भी बड़ा गोलमाल हुआ है। सगे संबंधियों और दुकानदारों को लाभ देने के लिए किराए व प्रीमियम की सही गणना नहीं की गई वहीं निगम की जिन दुकानों की नीलामी नहीं हुई अधिकारियों ने अपने सगे संबंधियों को व्यापार करने के लिए दे दी है। मामला खुला तो राजस्व अधिकारी अब लीपापोती पर जुट गए हैं। हालांकि यदि नवनियुक्त कमिश्नर राजस्व विभाग की जांच करेंगे तो कई अधिकारी जद में आएंगे और करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार से पर्दा उठेगा।
गौरतलब है कि नगर निगम का राजस्व विभाग मुख्यालय बैढ़न में जिन दुकानों को कागजों में जर्जर दिखाया गया है वह हकीकत में दुकानें संचालित हो रही है। मस्जिद के पास स्थित दुकानों के संचालकों ने कहा कि किराया देते हैं। मगर उन्हें यह मालूम नहीं कि दुकानों का किराया किसको दे रहे है। किराया देने के बाद भी उन्हें किसी भी तरह की रसीद नहीं दी जाती। वहीं परिषद व एमआइसी में भी संचालित दुकानों की समीक्षा नहीं की जाती है। Singrauli news
यही कारण है राजस्व विभाग वैढ़न क्षेत्र में जहां 25-30 दुकानों को जर्जर बता दिया गया है। वहीं मोरवा में 24 के करीब दुकानों को जर्जर बताकर उनका किराया वसूला जा रहा है। वहीं कई ऐसी दुकानें गुलजार हो चुकी है जिनकी अभी तक नीलामी नहीं हुई है। सूत्रों की माने तो राजस्व विभाग अपने रिश्तेदारों और चाहते लोगों को औने-पौने दामों में दुकान आवंटित कर दिए है। राजस्व विभाग इन दुकानों की नीलामी के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिख रहे ऐसे में हर महीने नगर निगम को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है तो वही अधिकारी मालामाल हो रहे हैं। Singrauli news
कोर्ट केस बता अधिकारियों को करते हैं गुमराह
राजस्व शाखा के अधिकारी व लिपिक कागजों में जिन दुकानों को जर्जर बताया है वह दुकानें असल में उनकी कमाई का जरिया है। सूत्रों का दावा है कि जिलेभर में 50 से ऐसी ज्यादा दुकानें हैं जो संचालित है लेकिन नगर निगम के कागजों में वह दुकान जर्जर है और बंद है। वही राजस्व शाखा के अधिकारी और कर्मचारी नगर निगम के अधिकारियों को कोर्ट केस बात कर गुमराह भी करते हैं। इसकी शिकायत नगर निगम कमिश्नर सत्येंद्र सिंह धाकरे से हुई तो अधिकारियों की भी सांसें फूलने लगी थी लेकिन फिर जांच ठंडे बस्ती में चली गई। अब नवागत कमिश्नर ने यदि जर्जर दुकानों का किराया वसूलने के मामले को गंभीरता से लेते है या नहीं यह देखने लायक होगा। वहीं चर्चा है कि राजस्व विभाग अपनी अवैध वसूली को छुपाने के लिए वह सारे हथकंडे अपना रहें। Singrauli news
नपानि को लगा रहे चूना, कर रहे अवैध वसूली
राजस्व शाखा के अधिकारी कर्मचारी भले ही सरकार से मोटी तनख्वाह ले रहे हैं लेकिन जब तक उन्हें ऊपरी कमाई न हो उन्हें सुकून नहीं मिलता। इसीलिए अधिकारी अपनी अवैध वसूली करते हुए नगर पालिका को लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं। वैढ़न मुख्यालय के कई दुकानों की अभी तक नीलामी नहीं कराई गई है। यही वजह है कि उन दुकानों का किराया वसूला जा रहा है मगर वह राशि नगर निगम राजस्व में गिनती नहीं हो रही है। बल्कि अधिकारी उन दुकानों से अवैध कमाई कर रहे हैं। इस कारनामे में संबंधित विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। Singrauli news
अवैध निर्माण कर दुकानों का बदला स्वरूप
नगर निगम ने जिन हितग्राहियों को दुकान आवंटित किया है, लेकिन उन दुकानों में बिना अनुमति के अवैध तरीके से निर्माण करते हुए दुकानों का स्वरूप ही बदल दिया गया है। जबकि आवंटन में यह शर्त रखी गई थी कि कोई भी व्यवसायी बिना निगम की अनुमति के दुकानों में अतिरिक्त निर्माण नहीं करेगा, लेकिन अधिकांश हितग्राहियों ने इस शर्त का पालन नहीं किया। दुकानों का स्वरूप बदलने की जानकारी राजस्व शाखा को है लेकिन दुकानदारों से सुविधा शुल्क लेकर उन्हें नगर निगम में दुकानों के स्वरूप को बदलने के लिए रास्ते बता दिया जाता हैं। ताकि भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी ना हो। Singrauli news
इनका कहना है
आप के द्वारा जानकारी मिली है दिखवा लेता हूं यदि अनियमितता पाई जाती हैं तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही कीजाएगी।
डीके शर्मा – कमिश्नर, नगर पालिक निगम सिंगरौली