माहवारी से डरना नहीं, सहर्ष स्वीकार्य करना है: डॉ. बीना
कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन आयरन, कार्बोहाइड्रेट लेना अनिवार्य: रचना
लक्ष्मी साकेत के संयोजन में आयोजित हुआ शिविर
व्यक्तिगत स्वच्छता शिक्षा और निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन वितरण शिविर का आयोजन
सीधी — माहवारी शब्द बोलने से कतराने वाले समाज को जागरूक करने के लिए निकली जगमग स्त्री ग्रुप द्वारा प्रोजेक्ट कामाख्या अभियान में इस सामाजिक समूह की महिलाओ ने बस्ती बस्ती जाकर सेनेट्री पैड बांटने व महिलाओं के अन्य स्वास्थ्य संबधी जानकारी को बताने का बीड़ा उठाया है।इसी तारतम्य में इन सभी महिलाओं ने आचार्य नरेंद्र देव वार्ड 15 कोटहा में एक सभा का आयोजन किया जहां बच्चियों एवं महिलाओं से इन विषयों पर चर्चा कर उन्हें सब कुछ समझाया। सबसे पहले डॉ. रंजना मिश्रा ने प्रोजेक्ट कामाख्या का परिचय और लक्ष्य के बारे में बताया एवं समूह के सदस्यों का परिचय दिया।
इस दौरान डॉ. बीना मिश्रा ने माहवारी (पीरियड) होने के कारण और सम्बंधित जानकारी दी कि आमतौर पर 28 से 32 दिनों बाद महिला को पीरियड होता है जो 3 से 7 दिन तक रहता है। इसे सामान्य पीरियड कहा जाता है। शुरूआत के कुछ सालों तक में सरल साइकल लंबी होती है लेकिन उम्र बढ़ने पर छोटी और नियमित हो जाती है। इस दौरान हल्की या तेज ब्लीडिंग के साथ दर्द होता है। डॉ. सुनीता तिवारी ने कहा कि माहवारी (पीरियड) होने के शुरुआती लक्षण में मुँहासे, सूजन, स्तन में दर्द, वजन बढ़ना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, सिरदर्द/पीठ दर्द, खाने की तीव्र इच्छा/अधिक खाना, थकान महसूस होता है।
बता दे कि श्रीमती उर्मिला गुप्ता ने व्यक्तिगत स्वच्छता (पर्सनल हायजीन) की जानकारी दी।श्रीमती रचना राजे सिंह ने लड़कियों का खान-पान (डाइट ) की जानकारी देते हुए कहा की बच्चियों को कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट को नियमित रूप से भोजन के माध्यम से लेना चाहिए। श्रीमती शर्मिला सिंह ने माहवारी (पीरियड) से जुड़ी गलत भ्रांतियां से बचने के उपाय को बताया। डॉक्टर रंजना मिश्रा ने कहा कि खून की कमी के लक्षण थकान को अधिकतर महिलाएं संजीदगी से नहीं लेतीं, फीका चेहरा हीमोग्लोबिन खून को उसका लाल रंग देता है, जिससे चेहरे को अपनी रंगत मिलती है, दर्दनाक पीरियड्स अगर पीरियड्स के दौरान खून का रिसाव बहुत ज्यादा हो रहा है, तो इससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी आ सकती है, सांस फूलना, तेज धड़कनें, टांगें हिलाना, सर दर्द, घबराहट होती है, ऐसा लगने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह पर दवा लेना चाहिए।
श्रीमती भावना भसीन ने पैड (सेनेटरी नैपकिन) का उपयोग और निपटान (डिस्पोजल) का तरीका बताया। श्रीमती नीति केसरवानी ने दी जानकारी में बताया कि माहवारी (पीरियड) के कौन से लक्षण आने पर डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि स्कूल या कार्यस्थल पर माहवारी (पीरियड) आने पर अपने टीचर से या किसी सीनियर से जानकारी साझा कर उनसे बेहिचक पैड मांगना चाहिए।इस कार्यक्रम में सोनम सिंह, लक्ष्मी साकेत, खुसबू साकेत, रोशनी साकेत, उषा साकेत,निर्मला साकेत एवं सभी महिलाओं और बच्चियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। अंत में रचना राजें सिंह ने सभी का आभार ज्ञापन किया।
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