सीहोर- शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत रेहटी गांव में संचालित प्राथमिक स्कूल की व्यवस्थाओं की पोल खोलती एक तस्वीर वायरल हो रही है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब प्रदेश के मुखिया के विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा की यह व्यवस्था है तो प्रदेश भर की सरकारी स्कूलों की व्यवस्था कैसी होगी। भले ही सरकार व शिक्षा विभाग स्कूल चलो अभियान चलाकर शिक्षा की गुणवत्ता को पढ़ाने का राग अलाप रही हो लेकिन यह तस्वीर सरकार व शिक्षा विभाग के गाल में कड़ा तमाचा है।
बता दें कि कोरोना महामारी के बाद बच्चों की पढ़ाई दे पटरी हो गई थी अब जब कोरोनावायरस पर सरकार नियंत्रण लगा दिया है और 50% बच्चों के साथ स्कूल खोलने के आदेश जारी किए हैं लेकिन सीएम शिवराज सिंह के विधानसभा क्षेत्र के रेहटी गांव में संचालित प्राथमिक स्कूल की व्यवस्थाएं भी पटरी हो गई है। यहां बच्चों को जरा सा भी पढ़ाई का ज्ञान नहीं है यही नहीं गुरुजी के वजाय बच्चे स्कूल का ताला खोलकर उनके आने का इंतजार करते हैं यहां सुबह 10:30 बजे बच्चे तो स्कूल आ जाते हैं लेकिन शिक्षक नहीं पहुंचते हैं। जिम्मेदार अधिकारी स्कूल की चाबी बच्चों के हवाले कर दिए है। बच्चों ने यहां तक बताया नहीं स्कूल का गेट खुलने के साथ साफ सफाई की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के हाथ में है हैरानी इस बात की है कि इस स्कूल में चपरासी की नियुक्ति की गई है लेकिन जिम्मेदार हेडमास्टर ना तो वह अपना काम ईमानदारी से करते और ना ही अपने मातहत चपरासी से स्कूल की साफ सफाई करवाते।
रेहटी सीएम की विधानसभा में बच्चे लगा रहे है स्कूल में झाड़ू
कहने को तो शिक्षा विभाग बच्चों के विकास और शिक्षा के लिए लाखों रुपए खर्च कर रहा है तरह तरह की योजनाओं पर कार्य कर रहा है परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही बया करती नजर आ रही है स्कूलों में झाड़ू लगाने और साफ सफाई के लिए शिक्षा विभाग में चपरासी की नियुक्ति तो है लेकिन वह साफ सफाई से तौबा तौबा किए हैं। बुधनी बीआरसी के अंतर्गत आने वाला ग्राम देवगांव में स्कूल में पांचवी क्लास की बच्ची से स्कूल खुलवाया जा रहा है एवं झाड़ू लगवाई जा रही है 10:30 बजे बच्चे स्कूल खुलती है एवं झाड़ू लगाती है 11:00 बजे शिक्षक आते हैं फिर बच्चों को पढ़ाया जाता है।
बच्चों को 5-10 रुपए देकर लगवाते हैं झाड़ू
जहां एक तरफ सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च कर रही है लेकिन जिम्मेदार शिक्षक व बीआरसी सहित उच्च पदों पर बैठे शिक्षा विभाग के मातहत सरकार की योजनाओं पर पलीता लगाने कि कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है। ऐसा ही एक मामला मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र के रेहटी प्राथमिक स्कूल में देखने को मिली यहां स्कूल खोलने से लेकर साफ-सफाई तक की पूरी जिम्मेदारी नौनिहाल बच्चों के जिम्में है। यहां पढ़ाई के अलावा बच्चों से वह हर एक काम करवाया जाता है जो शिक्षकों या फिर चपरासियों की जिम्मेदारी है।चपरासियों की नियुक्ति की है पर ये चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी स्कूल के प्राचार्य से मिलीभगत कर स्कूल में साफ सफाई का कार्य बच्चों से करवाते है और इस कार्य के एवज में इन बच्चों को 5-10 रुपए थमा देते है।गौरतलब है कि ये वाक्या सिर्फ एक बानगी है सही तरीके से जांच की जाय तो ऐसे अनेकों स्कूल मिलेंगे जहाँ आज भी किराए के शिक्षक और साफ साफाई के लिए किराए के लोगो से करवाया जा रहा है।