सिंगरौली 30 दिसम्बर। सिंगरौली प्रदूषण के मामले में प्रदेश में सबसे खराब स्थिति पर पहुंच रहा है। बैढऩ शहर सहित ब्लाक, नगर, कस्बों में संचालित कई होटल, रेस्टोरेंट के पास अभी भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का परमीशन लाइसेंस नहीं है। वहीं आरोप है कि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी की लापरवाही का खामियाजा आमजनों को भुगतना पड़ रहा है।
गौरतलब हो कि सिंगरौली जिला प्रदूषण स्तर के मामले में प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। सिंगरौली जिले की आव हवा दिनों-दिन खराब होती जा रही है। प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव से तरह-तरह की बीमारियों से लोगों को जूझना पड़ रहा है। पर्यावरणविदो के द्वारा लगातार प्रदूषण नियंत्रण को लेकर शासन-प्रशासन का ध्यान भी आकृष्ट कराया जा रहा है, किन्तु आरोप है कि विभाग के अधिकारी भी उदासीन हैं। आलम यह है कि जिले में सैकड़ों की संख्या में होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा संचालित हैं, लेकिन अधिकांश के पास प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रीय कार्यालय से परमशिन लाइसेंस नहीं मिला है। धड़ल्ले के साथ लिक्विड एवं शॉलिड बेस्ट का प्रदूषण फैला रहे हैं। फिर भी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अमले का ध्यान नहीं जा रहा है। जिसके चलते लगातार सिंगरौली वासी प्रदूषण की मार से झेल रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा के संचालकों द्वारा परमिशन न लिये जाने के बावजूद कैसे संचालित किये जा रहे हैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अमला उदासीन क्यों बना है यह सवाल अब पर्यावरणविद से जुड़े प्रबुद्धजन करने लगे हैं। साथ ही आरोप लगाया जा रहा है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी इन पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं और न ही कभी दफ्तर से बाहर बिना लाइसेंस के चलने वाले होटलों का जांच भी करने नहीं निकले हैं। जिसका फायदा होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा व्यवसायी भरपूर तरीके से फायदा उठा रहे हंै। फिलहाल जिले में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को लेकर सिंगरौली वासी अपने भविष्य को लेकर जहां चिंतित हैं तो वहीं म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रीय दफ्तर में कार्यरत अमले की उदासीनता पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। साथ ही पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञों ने कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराते हुए उक्त मामले में हस्तक्षेप कराये जाने की मांग की है।
इंदौर के व्यवसाई से सांठ-गांठ का आरोप
सूत्र बताते हैं कि इंदौर का एक ईटीपी व एसटीपी लगाने के लिए बैढऩ के कारोबारियों के यहां फोन भी करता है। यदि यहां के कारोबारी दूसरे से ईटीपी व एसटीपी का कार्य कराते हैं तो उसकी अधिकतम लागत साढ़े 4 लाख रूपये आ रही है। जबकि इंदौर का एक कारोबारी 8 लाख में ईटीपी व एसटीपी लगाने का इस्टीमेट दे रहा है। 8 लाख वाले इंदौर के व्यवसायी के यहां बैढऩ के आवेदकों का नंबर कहां से मिला इसका जबाव नहीं मिल पा रहा है, लेकिन चर्चा है कि यहां के दुकानदारों का डाटा कहीं न कहीं क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय से लीक हो रहा है और संबंधित इंदौर का व्यवसायी पर आरोप है कि विभाग के कुछेक अमले से मिला हुआ है, ताकि यहां के लाइसेंस लेने वाले कारोबारी 8 लाख वाले व्यवसायी से ही ईटीपी,एसटीपी लगवायें नहीं तो कई कमियां निकालकर दफ्तर का चक्कर लगवाने के लिए मजबूर कर देंगे।
इनका कहना है
आवेदन प्राप्त हो रहे हैं केवल सत्या होटल ने ईटीपी व एसटीपी लगाया है और जिनके द्वारा आवेदन दिये जा रहे हैं उनका जांच कर नियमानुसार कार्रवाई करते हुए लाइसेंस दिये जा रहे हैं।
नीरज वर्मा,क्षेत्रीय प्रबंधक,म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,सिंगरौली