दुनिया भर में गरीबी मिटाने के लिए काम करने वाली संस्था ऑक्सफैम ने अपनी ताजा रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि कैसे महामारी के बाद से दो साल में दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति दोगुनी हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 700 अरब से बढ़कर 1.5 ट्रिलियन रुपये हो गई है। यानी उनकी संपत्ति औसतन 1.3 अरब डॉलर प्रतिदिन की दर से बढ़ी है।
निष्कर्ष दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में 2022 ग्लोबल ऑक्सफैम दावोस रिपोर्ट पर आधारित हैं। भारत पर ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान अमीरों की संपत्ति दोगुनी से ज्यादा हो गई, जबकि बड़ी आबादी महामारी और गरीबी से जूझ रही है. रिपोर्ट बताती है कि सरकार को संसाधन आवंटन नीति में संशोधन पर ध्यान देना चाहिए।
ब्लूमबर्ग ने ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिछले साल जब देश एक भयानक दूसरी लहर से जूझ रहा था, स्वास्थ्य देखभाल की कमी से लोगों की मौत हो रही थी और शव श्मशान में पड़े थे, देश में 40 नए लोग अरबपति बन गए। इन लोगों की कुल संपत्ति 720 अरब डॉलर है। यदि हम भारत की कुल जनसंख्या की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत भी जोड़ दें, तो यह उससे भी अधिक होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों ने पिछले एक साल में 1 ट्रिलियन की संपत्ति अर्जित की है। अकेले भारत की बात करें तो देश में अरबपतियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अगर फ्रांस, स्वीडन और स्विटजरलैंड इन तीनों देशों के अरबपतियों को भी जोड़ दें तो उनकी संख्या भारत से कम होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक 10 अमीरों की संपत्ति देश के हर बच्चे को 25 साल तक स्कूल और उच्च शिक्षा दिलाने के लिए काफी है। पिछले साल भारत में अरबपतियों की संख्या 39 प्रतिशत बढ़कर 142 हो गई।यदि सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाया जाता है, तो देश को लगभग 17.7 लाख अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर मिल सकते हैं।
142 भारतीय अरबपतियों के पास कुल 719 अरब अमेरिकी डॉलर (53 लाख करोड़ रुपये से अधिक) की संपत्ति है. देश के सबसे अमीर 98 लोगों की कुल संपत्ति, सबसे गरीब 55.5 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति के बराबर है. सूत्रों की माने तो इस असमानता की वजह सरकार की गलत नीतियां है यदि सही पॉलिसी और योजनाबद्ध तरीके से सरकार विकास की तरफ ध्यान देती तो निश्चित तौर पर गरीबी के आंकड़ों में कमी आती।
अगर 10 सबसे अमीर भारतीय अरबपतियों को प्रतिदिन 10 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च करने हों तो उनकी वर्तमान संपत्ति 84 साल में खत्म हो जाएगी। इन अरबपतियों पर सालाना संपत्ति कर लगाने से सालाना 78.3 अरब अमेरिकी डॉलर मिलेंगे, जो सरकार के स्वास्थ्य बजट में 271 फीसदी का इजाफा कर सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 की शुरुआत स्वास्थ्य संकट के रूप में हुई थी लेकिन अब यह आर्थिक संकट में बदल गई है। महामारी के दौरान, सबसे अमीर 10 प्रतिशत ने राष्ट्रीय धन का 45 प्रतिशत प्राप्त किया, जबकि नीचे की 50 प्रतिशत आबादी को केवल छह प्रतिशत प्राप्त हुआ।