Khodiya Mata -सात बहनें, मां पार्वती का सभी अंग, लेकिन देश का इकलौता ऐसा मंदिर (Temple)जहां भाई समेत सात माता की होती है पूजा यह मंदिर पाली से 87 किमी दूर बाली अनुमंडल के लुनावा गांव में है। यहां खोड़िया माता (Khodiya Mata)नाम की विराजित मां अपनी 6 बहनों और मेराखिया भैरू(Merakhia Bhairu) नाम के एक भाई के साथ विराजमान हैं।
Khodiya Mata – जबकि किसी भी मां मंदिर में गर्भगृह के बाहर भैरू की मूर्ति होती है। इस मंदिर की दूसरी विशेषता यह है कि गुजरात के भावनगर और मटेल में खेड़िया की माता का मंदिर है, जहां मूर्ति माता के धड़ के ऊपर है, लेकिन यहां खेड़िया (Khedia)की मां के साथ-साथ सभी बहनों(all sisters together) की भी पूरी आकृतियां हैं और वे 37 हैं इंच लंबा। मंदिर में हर महीने की पहली, सतम और तेरसा (seventh and third)को विशेष पूजा की जाती है। बोइशाख सुदी छत और सतम मेले। गुलाबराम कुमावत और उनकी पत्नी संतशीबाई यहां पूजा करते हैं।
पाैराणिक कथा के अनुसार गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र के वल्लभीपुर राज्य में महाराजा शिलादित्य के राजमित्र चारण कवि गायक मामैया के संतान नहीं थी। मामैया के शिव आराधना के बाद मां पार्वती ने पाताल लोक में नागराज वासुकी के यहां सात अंशों में पुत्री के रूप में अवतार लिया. Khodiya Mata
इनके साथ भगवान शिव ने महोदर नामक गण को पुत्र व आठवीं संतान के रूप में भेजा। बाद में मामैया को सपने में वासुकी से पुत्री लाने को कहा। अगले दिन वे पुत्री लेने गए तो सातों बहनों और भाई ने कहा कि हम सब साथ रहेंगे। इस पर मामैया सभी को साथ ले आए।
जीवनदान मिला तो संकल्प- बहनों की रक्षा में रहेंगे – Khodiya Mata
भक्त गुलाबराम ने बताया कि सात बहनें आवल, सोसाई, तोगल मां, जोगल, भोजबाई, हीराबाई और सबसे छोटी जानबाई हैं। इनके भाई का नाम मेरखिया है। एक बार मेरखिया की सर्पदंश से मृत्यु हो गई। तब वैद्य के कहने पर जानबाई अमृत लेने वासुकी नाग के पास पहुंची।
तब चोट लंगड़ाकर चलने के कारण खोडल कहते हुए मां खोड़ियार नाम हो गया। अमृत से मेरखिया को जीवनदान मिला तो उन्होंने भी संकल्प लिया कि वे हमेशा सातों बहनों की रक्षा में तत्पर रहेंगे। इसके बाद से सातों बहनों के चरणों में मेरखिया भैरू के नाम से पूजे जाते हैं. Khodiya Mata
भैरू कलश मंदिर स्थापना के समय से
8 मई 2003 में मंदिर में साताें बहनाें और नवदुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की गई थी। उसी दिन प्रतिमाओं के साथ ही भैरू कलश भी माता के चरणाें में स्थापित किया गया। तब से यह भैरू कलश उसी स्थिति में है .Khodiya Mata