Siddh Ashram : ऐसा ही एक आश्रम अपनी आजादी के लिए जाना जाता (One such ashram is known for its independence.) है। इतनी आज़ादी कि कपड़े न पहनने की भी आज़ादी (So much freedom that even freedom to not wear clothes) है। जी हां, इस आश्रम में लोग बिना कपड़ों के जाते हैं और यहां रहने वाले लोग बिना कपड़ों के घूमते हैं। ये लोग इतने स्वतंत्र होते हैं कि लोग अलग-अलग सिद्धांतों में विश्वास करते (people believe in different theories) हैं। मतलब ये लोग आश्रम में मौजूद किसी से भी संबंध कर सकते हैं। अब यह आश्रम अपनी स्वतंत्रता के कारण ही जाना जाता है, क्योंकि यहां कोई नियम नहीं हैं और लोग बिना किसी सामाजिक प्रतिबंध के अपना जीवन जीते हैं।
Siddh Ashram : ऐसे में हम जानते हैं कि यह आश्रम कहां है, इस आश्रम के कानून क्या हैं और यहां के लोग कैसे रहते हैं। उसके बाद आप समझ पाएंगे कि इस आश्रम का माहौल क्या है और इस आश्रम की कहानी क्या है। तो जानिए इस खास आश्रम से जुड़ी खास बातें…
कौन रहता है यहां ?
बात अगर यहां रहने वाले लोगों की करें तो ये लोग अपनी ही दुनिया में रहते हैं, जहां पैसा, संपत्ति, सरकार, परिवार का कोई भेदभाव नहीं होता। यहां करीब 300 लोग रहते हैं, जो खास सामाजिक प्रयोग कर रहे हैं। द मिंट की एक खास रिपोर्ट में यहां रहने वाले एक शख्स का जिक्र है, जिसका नाम एस. धनजानियन एस धनंजयन के पास कोई परिवार नहीं है, कोई संपत्ति नहीं है, कोई नौकरी नहीं है, उनके पास पैसा नहीं है, कोई भगवान की पूजा नहीं करता है, किसी सरकार को फॉलो नहीं करते हैं और किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक यहां वह जिससे चाहे संबंध बना सकता है। यहां के लोगों की खास बात यह है कि यहां लोगों के बीच रिश्ते के बदले प्यार की उम्मीद नहीं होती है। यहां के लोग अपनी आजाद दुनिया में रहते हैं, जहां कोई बंधन नहीं होता। इसके अलावा यहां के लोग अक्सर सोने सहित पूरी तरह नग्न रहते हैं। ऐसी परिस्थितियों में नग्नता का समर्थन करने वाले कई लोग इस आश्रम में आते हैं, जहां बहुत से जर्मन रहते हैं। साथ ही भारत से भी कई लोग इस आश्रम में दर्शन करने आते हैं। Siddh Ashram
कहां है ये आश्रम ?
अगर इस आश्रम की बात करें तो यहां के लोग सिद्ध समाज से जुड़े हुए हैं। जिस स्थान पर यह आश्रम स्थित है, वह 96 वर्ष पुरानी इमारत है। यह आश्रम उत्तरी केरल के कोचिकोडी में स्थित है और केरल, तमिलनाडु में भी इसकी कई शाखाएँ हैं। इस आश्रम में कोई पहरेदार नहीं है और इसमें कई कमरे, आंगन हैं। इस भवन के अंदर 69 एकड़ कृषि भूमि भी है, जिसकी देखरेख सिद्ध समाज करता है। यहां के लोग यहां का बना खाना ही खाते हैं। इसमें इलाज के लिए आयुर्वेदिक मेडिसिन यूनिट भी है। इस आश्रम में सभी रीति रिवाज वर्जित हैं। Siddh Ashram
क्या है आश्रम का इतिहास ?
हम आपको बताते हैं कि करीब सौ साल पहले स्वामी शिवानंद ने परमहंस सिद्ध समाज की स्थापना की थी। रिपोर्टों के अनुसार, स्वामी शिवानंद का मानना था कि जीवन एक पक्षी की तरह होना चाहिए और जहां चाहे उड़ जाए। न कोई बंधन और न कोई रिश्ता। सिद्ध समाज के अनुयायी स्वामी जी के इस विचार का अनुसरण करते हैं। इसके अलावा किसी भी जाति-धर्म से पहचान न होने पर भी सभी नामों के आगे S लगाया जाता है। Siddh Ashram