Coal loading : पावर प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश के अलावा कोयले की धूल से भी इस जिले के लोगों को परेशानी हो रही है. यहां के कोरबा व गेवरा क्षेत्र में कोयले की लोडिंग के बाद (after loading coal) ओवरलोड कोयले की (overloaded coal) अनलोडिंग रेलवे (unloading railway) के प्रबंधन के तहत अन्य स्टेशनों पर की जा रही है. यहां से ट्रकों में इस कोयले की लोडिंग के दौरान इलाके में धूल फैल रही है। इससे क्षेत्र के लोगों में गंभीर बीमारियों (serious diseases in humans) का खतरा बढ़ गया है। यहां विधायकों व जनप्रतिनिधियों की शिकायत के बावजूद जिला प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।
Coal loading : सरगबुंदिया स्टेशन चंपा-कोरबा रेलवे लाइन पर कोरबा से एक रेलवे स्टेशन से पहले स्थित है। स्टेशन के दूसरी तरफ बहुत समय पहले से रेलवे साइडिंग है। यहां लंबे समय से कोयले की लोडिंग बंद है लेकिन कोयला समन्वय के नाम पर पिछले कुछ महीनों में यहां फिर से कोयला लोडिंग-अनलोडिंग शुरू हो गई है। बाद में रेलवे साइडिंग से सटे बरपाली और सालिहबंथा गांवों में बस्तियां स्थापित की गईं। कोयला लोडिंग के दौरान उड़ने वाली धूल पूरे क्षेत्र को प्रदूषित कर देती है।
कोयला समायोजन मूल रूप से मालगाड़ियों में ओवरलोड कोयले की अनलोडिंग और कोयले के निर्धारित वजन से कम वजन वाले कोचों की लोडिंग है। रेलवे प्रबंधन ने इसका ठेका नागपुर की एक फर्म को दे दिया। बताया जाता है कि यहां कोयला एडजस्टमेंट की जगह सिर्फ कोयला ही निकाला जा रहा है। फिर मालगाड़ी से उठा कोयला ट्रक में लादकर भेजा जाता है। इस समय कोयले की धूल उड़ने से लोगों को काफी परेशानी हुई।
कोयले को गीला करना जरुरी
सरगबुंदिया स्टेशन साइडिंग में पिछले 6 महीने से कोयला एडजस्टमेंट का काम चल रहा है और इसके चलते हुए प्रदूषण के कारण काम का पुरजोर विरोध होने के बावजूद रेलवे और जिला प्रशासन ने जनभावनाओं की अनदेखी करते हुए मनमाने ढंग से प्रतिष्ठान की पोल खोल दी है.हालांकि कोयला लोडिंग के दौरान कोयले को गीला रखने का कानून है, लेकिन संबंधित ठेकेदार के कर्मचारी साइडिंग पर पानी छिड़क कर यह काम कर रहे हैं. इससे क्षेत्र में कोयले से निकलने वाली धूल फैल जाती है।
क्षमता से अधिक कोयला परिवहन कैसे..?
एसईसीएल की कोरबा स्थित कोयला खदान से गेवरा, कुसमुंडा व अन्य साइडिंग से कोयले की ढुलाई की जाती है। कोविड-19 से पहले जहां रोजाना 34-35 रेक कोयला यहां से भेजा जाता था, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 45 से 50 रेक हो गई है। रेक पर लदे कोयले को तोलने के लिए सभी लोडिंग पॉइंट्स पर वे-ब्रिज स्थापित किए गए हैं, बावजूद इसके कोयले को लोडिंग पॉइंट (साइडिंग ) से ले जाने वाली कंपनियां यहां मौजूद कर्मचारियों की मिलीभगत से मालगाड़ियों में क्षमता से अधिक कोयला परिवहन करने में लगी हैं, जिसे रोकने रेलवे के अधिकारी नाकाम साबित हुए हैं ओवरलोडिंग की रोकथाम के नाम पर सरगबुंदिया रेलवे स्टेशन पर अस्थाई कोल साइडिंग शुरू कर दी गई है और अनुबंध में कोयला समन्वय कार्य दिया गया है.
इस कंपनी की मालगाड़ी के डिब्बों से उठाया जा रहा कोयला स्थानीय व्यापारियों को बेहद सस्ते दामों पर बेचा जा रहा है. जानते हुए भी इसे अवैध बता रहे हैं। वहीं यह भी पता चला कि मालगाड़ियों से अच्छे ग्रेड के कोयले को हटाया जा रहा है और खराब ग्रेड के कोयले को लोड किया जा रहा है. Coal loading
शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं
रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने 16 मार्च को और सांसद धनेश्वरी कंवर ने 21 मार्च 2023 को कलेक्टर संजीव झा को पत्र लिखकर सरगबुंदिया में कोयला परिवहन के लिए रेलवे साइडिंग पर आपत्ति जताते हुए कोयला समन्वय के नाम पर प्रदूषण फैलाने की बात कही थी. . उनकी शिकायत है कि निजी लाभ के लिए लोगों के जीवन, धन और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां साइडिंग पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। कार्रवाई नहीं होने पर दोनों नेताओं ने आंदोलन की चेतावनी दी है, लेकिन अल्टीमेटम के करीब ढाई महीने बीत जाने के बाद भी न तो रेलवे और न ही जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई की है.
लेकिन लोडिंग के दौरान प्रदूषण को रोकने के लिए कोयले को गीला रखने के उपायों के साथ-साथ सरगबुंदिया में किए जा रहे कोल साइडिंग की वैधता पर ध्यान देने और ठेका देने वाली संस्थाओं पर नकेल कसने के लिए कार्रवाई करने की जरूरत है, अन्यथा अगर किसी दिन यहां जनता का आक्रोश फूट पड़ा, तो उससे होने वाले अनिष्ट का जिम्मेदार कौन होगा इसकी चिंता भी रेल प्रबंधन और प्रशासन को कर लेनी चाहिए।