MP News : सिंगरौली 11 जून। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) जहां गरीब कमजोर और मजदूरों के लिए एक के बाद एक कई योजनाएं शुरू की है। लेकिन उनके मातहत कर्मचारी पतीला लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सिंगरौली जिले के चितरंगी इलाके में देखने को मिली है जहां मनरेगा जैसी महत्वकांक्षी योजना (ambitious plan) का काम सरपंच और सचिव (sarpanch and secretary) मजदूरों से ना करा के जेसीबी मशीन (jcb machine) से करा रहे हैं। यह मामला तब उजागर हुआ जब काम कर रही जेसीबी मशीन अचानक नजदीक बने एक कुएं में जा गिरी। और सरपंच और सचिव के कारनामों की पोल खोल दी। ऐसे में मजदूरों का सरकार से मोहभंग हो रहा है।
MP News : केन्द्र सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 9 साल का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा है। जिसमें मजदूरों, किसानों, आदिवासियों एवं गरीबों के लिए कार्य किया है। लेकिन सिंगरौली जिले में मजदूरों की पीड़ा कुछ अलग है। प्रदेश सरकार के नुमाइंदों को संरक्षण में कई पंचायतों के सरपंच एवं रोजगार सहायक खूब पल पोश रहे हैं और मनरेगा के तहत मंजूर होने वाले कार्यों से उनकी खूब तरक्की भी हो रही है। शिकायत के बावजूद जिला एवं जनपद के अधिकारी जांच के नाम पर खानापूर्ति कर दे रहे हैं। जिसके चलते दिहाड़ी मजदूर प्रदेश सरकार के नुमाइंदों की कार्यप्रणाली से असंतोष जाहिर करने लगे हैं।
गौरतलब हो कि त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के करीब 5 महीने बाद से ही जिले के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की व्यवस्थाएं पूरी तरह से अस्त-व्यस्त एवं पस्त हो चुकी हैं। आलम यह है कि जिला एवं जनपद के अधिकारी, कर्मचारी बेलगाम हैं, इनकी मनमानी कार्यप्रणाली पर जिम्मेदार अधिकारी अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। जिले के कई पंचायतों में इन दिनों भर्रेशाही का बोलबाला है। इस तरह के आरोप कई पंचायतों के ग्रामीणों ने लगाते हुए कलेक्टर की जनसुनवाई में भी शिकायत कर चुके हैं। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि इन शिकायतों को भी जिला प्रशासन नजरअंदाज कर दे रहा है। बल्कि इन्हीं शिकायतों के आड़ में जिला एवं जनपद पंचायत के कथित अधिकारी,कर्मचारियों के अतिरिक्त कमाई का जरिया भी बन गया है। कितनी भी शिकायतें करें उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं दिख रहा है।
उदाहरण मनरेगा के तहत पंचायतों में स्वीकृत होने वाले कार्यों का है। आरोप लगाया जा रहा है कि कई पंचायतों के तालाब,लघु तालाब सहित अन्य कार्यों में मजदूरों के स्थान पर जेसीबी मशीन से कार्य कराया जा रहा है। इसका जीता-जागता उदाहरण चितरंगी जनपद पंचायत क्षेत्र के ठटरा पंचायत का है। जहां ग्रामीणों के द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि लघु तालाब के कार्य के दौरान जेसीबी मशीन कुएं में समा गयी। वहीं कतरिहार सहित जिले के देवसर, बैढऩ क्षेत्र की ऐसी कई पंचायते हैं जहां मजदूरों से रोजगार छिनकर मशीनों से कार्य कराया जा रहा है। पंचायतों में मजदूरों को नियमित रोजगार न मिलने से उनके सामने उदर-पोषण का संकट भी खड़ा हो रहा है। साथ ही मजदूर अब रोजगार के चक्कर में इधर-उधर भटकते हुए पलायन के लिए मजबूर हो जा रहे हैं। आरोप है कि इन सबकी जानकारी पंचायत विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को है लेकिन कई पंचायतों पर अधिकारी मेहरबान हैं। MP News
मजदूरों का हो रहा पलायन,जिम्मेदार अधिकारी मौन
पंचायतों में अधिकांश मजूदरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। लघु तालाब सहित अन्य निर्माण कार्यों में कई कथित ग्राम पंचायतों के सरपंच एवं रोजगार सहायक जेसीबी मशीन एवं टै्रक्टरों का इस्तेमाल कर धड़ल्ले के साथ कार्य करा रहे हैं और जनपद पंचायतों से मस्टर रोल जारी कराकर अपने चहेते मजदूरों की हाजिरी भर दे रहे हैं। जिसका सत्यापन संबंधित पंचायतों के उपयंत्री भी आंख बंद कर कर दे रहे हैं। पंचायतों के सरपंचों की मनमानी एवं उपयंत्रियों के सांठ-गांठ होने का खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। आरोप है कि पंचायतों में पर्याप्त मात्रा रोजगार न मिलने पर मजदूर दूसरे प्रांतों सूरत, मुम्बई, गोवा, महाराष्ट्र, पंजाब, नागपुर, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु सहित अन्य प्रांतों में पलायन करने के लिए मजबूर हैं। वहीं इस मामले में पंचायत विभाग से जुड़े अधिकारी मस्टर रोल पर उपलब्ध रोजगार के आंकड़ेबाजी देकर अपनी पीठ थपथपाते हुए मजदूरों को पर्याप्त रोजगार उपलब्ध होने का दावा कर रहे हैं। जबकि धरातल पर अधिकांश उलट है।
देर शाम कुएं से निकली जेसीबी मशीन
जनपद पंचायत चितरंगी क्षेत्र के ठटरा पंचायत पूर्वी टोला में लघु तालाब निर्माण कार्य के दौरान शुक्रवार की रात एक जेसीबी मशीन कुएं में समा गयी थी। हालांकि इस घटना में जेसीबी का ऑपरेटर बाल-बाल बच गया था। कुएं में गिरी जेसीबी मशीन को निकालने के लिए शनिवार को पूरे दिन मशक्कत करनी पड़ी थी। यूपी के सोनभद्र एवं जल निगम के प्रयास से हाइड्रा मशीन का सहारा लिया गया लेकिन सफलता नहीं मिली। अंतत: यूपी के सोनभद्र चोपन से क्र्रेन मशीन मंगायी गयी तब कहीं जाकर शनिवार की देर शाम मशीन कुएं से बाहर निकाली गयी।