Political news : सीधी : सीधी लोकसभा क्षेत्र में दो दशक से दो परिवार के बीच राजनीति की धूरी घूमती रही है। इस बार भी स्वर्गीय इंद्रजीत कुमार पटेल के बेटे मंत्री कमलेश्वर पटेल को कांग्रेस ने टिकट दिया है जबकि भाजपा इस बार पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ राजेश मिश्रा को चुनावी रण में उतारा है अब चर्चा है कि कांग्रेस में परिवार बाद इस कदर हावी है कि दो दशक से दो परिवार के बीच टिकट दिए जा रहे हैं जबकि भाजपा ने तीन नए चेहरों को मैदान में उतारा। जहां भाजपा के नए चेहरे कांग्रेस के परिवारवाद पर भारी रहे हैं और हर बार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। वहीं इस बार पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को टिकट मिलने के बाद कांग्रेस के भीतरी घमासान मचा है। पार्टी के नेता दबी जुबान यह कह रहे हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ता सिर्फ दरी बिछाने के लिए है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ की सीमा पर अवस्थित सीधी लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था। लेकिन साल 2009 में यह सीट अनारक्षित होने पर कांग्रेस की राजनीति में परिवारवाद की बड़ी मिसाल बन गई। सीधी की राजनीति करीब 5 दशक से कांग्रेस पार्टी के दो परिवार के बीच राजनीति की धूरी घूमती रही है। वही दो दशक से सीधी सिंगरौली जिले की विधानसभा सीटों में भी पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल का ही चला हैं। 1980 से लेकर अब तक हुए आम चुनाव में हार जीत किसी भी दल या व्यक्ति के हिस्से में गई हो, इन परिवारों की भागीदारी बराबर रही इनमें से एक परिवार स्वर्गीय कुंवर अर्जुन सिंह दाउ साह तो दूसरा स्वर्गीय इंद्रजीत कुमार पटेल रहें। सीधी जिले की पहचान इन्हीं दो नेताओं की वजह से हुई।
उस दौर में इन नेताओं ने जिसे कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया उसकी जीत की गारंटी हुआ करती थी। हालांकि उसे समय सीधी लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी। यह सीट अनारक्षित हुई तो पूर्व मंत्री स्वर्गीय इंद्रजीत पटेल दो बार लोकसभा चुनाव लड़ें लेकिन जीत से मरहूम रहे। हालांकि उसे समय चर्चा थी कि राजनीतिक खींचतान में उन्हें कांग्रेसियों ने ही हरा दिया था। चर्चा तो यह भी थी कि स्वर्गीय इंद्रजीत पटेल जब पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ी तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल की बहन वीना सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ गई। नतीजा कांग्रेस चुनाव हार गई। कहा जाता है कि दिल्ली में कांग्रेस के हार का ठीकरा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल पर फोड़ा गया। Political news
पटेल और सिंह में रहा है वर्चस्व की लड़ाई
स्वर्गीय कुंवर अर्जुन सिंह दाऊ साहब सर्वहारा वर्ग के नेता रहे हैं परिस्थितियों भले ही कितनी विपरीत रही हो वह अपने सिद्धांतों और उसूलों से कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने ही स्वर्गीय इंद्रजीत पटेल को राजनीति में लाया और प्रदेश सरकार में मंत्री तक की जिम्मेदारी सौंपीं। स्वर्गीय दाऊ साहब और इंद्रजीत पटेल जन-जन के नेता और सर्वहारा नेता के रूप में पहचान बनाई। लेकिन उनकी विरासत को संभालने के लिए जिन कंधों पर जिम्मेदारी थी वह आपस में वर्चस्व की लड़ाई लड़ते रहे। शायद यही वजह है जनता की पकड़ ढीली पड़ गई। चर्चा है कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल भले ही मंच साझा करते हैं लेकिन कई दशकों से राजनीतिक अदावत रहीं हैं। Political news
अजय सिंह राहुल के साथ हुआ था भितरघात
चर्चा है कि साल 2009 में स्वर्गीय पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल जब चुनावी मैदान में थे। राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते ही वीणा ने कांग्रेस का टिकट न मिलने पर सीधी लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन तब अर्जुन सिंह ने सीधी के पूजा पार्क में कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रजीत पटेल के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित किया। उस सभा में उनके आंसू भी निकल पड़े थे। तब वह बोले थे कि ‘मनुष्य का शरीर थक जाता है तो अपने घर के लोग भी बात नहीं मानते। वहीं स्वर्गीय इंद्रजीत पटेल के समर्थक की हार के पीछे वीणा सिंह कुछ जिम्मेदार ठहराते थे। यही वजह रही कि जब साल 2019 में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल चुनावी मैदान में थे तो चर्चा तो यह भी होने लगी थी कि अजय सिंह राहुल को चुनाव हरा कर सच्ची श्रद्धांजलि देना है। Singrauli News