Satna news : सतना पीसी एक्ट स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश ए.के. द्विवेदी ने बिल्डिंग के अवैध निर्माण की कम्पाउंडिंग कर उसे गिराने से बचाने के एवज में 50 लाख रुपये के रिश्वत की मांग की और 12 लाख रूपए नकद (Rs 12 lakh cash) के साथ 10 लाख रुपये की सोना चांदी की रिश्वत की मांग की। पीसी एक्ट की स्पेशल कोर्ट (Special Court of C Act) के जज एके द्विवेदी ने सतना नगर निगम के पूर्व कमिश्नर सुरेंद्र कुमार कथूरिया को 5 वर्ष की कठोर कैद और एक लाख के अर्थदंड के साथ न्यायिक अभिरक्षा में सेंट्रल जेल भेज दिया है.
Satna news : लोकायुक्त रीवा ने 26 जून 2017 को ट्रैप की कार्रवाई की। लोकायुक्त अदालत की ओर से पैरवी अभियोजक और एडीपीओ फखरुद्दीन ने कि। पीआरओ प्रॉसिक्यूशन हरिकृष्ण त्रिपाठी ने बताया, इस मामले में कोर्ट ने कथूरिया को पीसी एक्ट की धारा 7, 13 (1) डी और 13 (2) डी के तहत क्रमश: 4 साल की जेल और 50 हजार का जुर्माना और 5 साल की सजा सुनाई है.
अब तक की सबसे बड़ी पकड़
जानकारों के मुताबिक 22 लाख रुपए की यह लोकायुक्त कार्रवाई मध्य प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी पकड़ है. सुरेंद्र कथूरिया को सिविल लाइंस स्थित बंगले से रंगे हाथ पकड़ा गया।
सिल्वर की सिल्लियों में सोने का पानी
सूत्रों ने बताया कि लोकायुक्त की सलाह पर भरहुत नगर निवासी शिकायतकर्ता डॉ. राजकुमार अग्रवाल ने सोने की परत चढ़ी चांदी की सिल्लियां प्राप्त कीं। इन तीनों सिल्लियों की कीमत 10 लाख रुपये आंकी गई है. 500-500 रुपये के हिसाब से 12 लाख कैश का इंतजाम किया गया था. Satna news
11 साक्षी के साथ पेश किए गए 50 दस्तावेज
मामले की गहन जांच और पूछताछ के बाद तत्कालीन लोकायुक्त डीएसपी वीके पटेल ने आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था. अदालत में सरकारी पक्ष ने मामले को साबित करने के लिए 11 गवाहों के साथ 50 दस्तावेज पेश किए और आरोपी द्वारा ली गई रिश्वत की रकम और गोल्ड प्लेटेट सिल्वरों को भी पेश कीया गया। उधर, आरोपियों की ओर से बचाओ में तर्क रखा गया कि शिकायतकर्ता की बिल्डिंग को गिराने का आदेश था। शिकायतकर्ता ने उक्त मानचित्र के विपरीत अवैध निर्माण किया है। इस फैसले से आहत होकर उन्हें झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया।
इनका कहना है
फखरुद्दीन, विशेष अभियोजक और एडीपीओ
प्रदेश में यह पहला मामला है जहाँ कोई लोकायुक्त 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में फंसा है। अभियोजन पक्ष कोर्ट के फैसले से संतुष्ट है. ऐसे फैसले से रिश्वतखोरों पर कानून का डर रहेगा.
डॉ. राजकुमार अग्रवाल, फरियादी
फैसले से संतुष्ट होकर 1 जुलाई को कोर्ट में रिफंड की अर्जी दाखिल की गई है. अभी फैसले की कॉपी नहीं मिली है. अभी तक हमें रिश्वत की रकम नहीं मिली है.