Singrauli : सिंगरौली 20 सितम्बर। जिले में डीजल के कारोबार में बड़ा खेला हो रहा है। जिले के एनसीएल परियोजनाओं के कई ओवर बर्डन के साथ-साथ औद्योगिक कंपनियां रोजाना सरकार को करोड़ों रूपये का चूना लगा रही हैं.
Singrauli : कॉमर्शियल कीमत का डीजल न खरीदकर सामान्य कीमत वाला डीजल फिलिंग स्टेशनों से सांठ-गांठ कर खरीद रहे हैं। डीजल के इस खेल में कईयों की संलिप्तता होने की खबरें सामने आ रही हैं. Singrauli
गौरतलब हो कि केन्द्र सरकार ने मार्च, अपै्रल महीने में सामान्य डीजल की कीमत में कटौती करते हुए कॉमर्शियल में उपयोग होने वाले डीजल की कीमत में भारी बढ़ोत्तरी किया गया था. Singrauli
मौजूदा समय में सामान्य लोगों के लिए डीजल करीब 94 रूपये प्रति लीटर है। जबकि कॉमर्शियल औद्योगिक कारोबार के लिए डीजल सामान्य से 32 रूपये प्रति लीटर महंगा है। सूत्र बता रहे हैं कि जब से केन्द्र सरकार ने कॉमर्शियल के लिए डीजल की कीमत में वृद्धि की तब से जिले में डीजल का व्यापक खेला हो रहा है. Singrauli
डीजल के इस खेल में कई फिलिंग स्टेशनों के साथ-साथ अन्य संबंधित अधिकारियों, खाकी बर्दियों के सांठ-गांठ होने का संदेह जताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि जिले के नामी, गिरामी कोल कंपनियों के साथ-साथ एक-एक ओबी में भी रोजाना करीब 100 केएल यानी 1 लाख लीटर से अधिक की खपत है. Singrauli
कुछ कंपनियों में इससे ज्यादा रोजाना डीजल खपत किया जा रहा है। लेकिन यह डीजल फिलिंग स्टेशनों से सांठ-गांठ कर नार्मल दर पर खरीद रहे हैं। जहां एक-एक कंपनियों को प्रतिदिन करीब 70 लाख से लेकर 1 करोड़ रूपये के आस-पास बचत हो रही है। लेकिन इसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है। हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि डीजल के बड़े कारोबार के खेल के बारे में करीब-करीब सभी को पता है, लेकिन कार्रवाई करने से परहेज किया जा रहा है. Singrauli
जिले में कई ऐसे ओबी कंपनियां भी हैं जहां डीजल के खेल में संलिप्त हैं। हालांकि एनसीएल अपने जरूरत के हिसाब से आईओसीएल से डीजल खरीद रही है। लेकिन कई ऐसे औद्योगिक कोल कंपनी व ओबर वर्डन कंपनियां हैं वे फिलिंग स्टेशनों के संचालकों से सांठ-गांठ बनाकर सीधे टैंकर से ही अपने कैम्प में परिवहन कराते हुए खपा दिये जा रहे हैं। फिलहाल जिले में डीजल का जारी व्यापक खेला को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ एचपी, इंडियन आयल सहित अन्य तेल कंपनियों के क्षेत्रीय अधिकारी भी संदेह के घेरे में आ गये हैं. Singrauli
चार घण्टे तक बंद रहते हैं जीपीएस
सूत्र बता रहे हैं कि डीजल का परिवहन करने वाले टैंकरों के करीब 4 घण्टे तक जीपीएस को बंद कर देते हैं, ताकि लोकेशन का पता न चल पाये। पहले टैंकर संबंधित फिलिंग स्टेशन में जायेंगे इसके बाद वहीं से सीधे टैंकर को डिमाण्ड अनुसार कथित औद्योगिक व ओबी कंपनियों में परिवहन कर दिया जाता है. Singrauli
यह खेला आज से नहीं जब से कॉमर्शियल डीजल का भाव बढ़ा है तब से यह खेला खेला जा रहा है। डीजल के इस खेल से कथित फिलिंग मालिकों को रोजाना लाख रूपये की आमदनी बढ़़ गयी है। जबकि मार्च महीने के पहले उनकी आमदनी व फायदा महीने में करीब एक लाख रूपये के आस-पास थी। अचानक फिलिंग स्टेशन संचालकों के दिन अच्छे आ गये हैं. Singrauli
स्टॉक एवं रीडिंग से हो सकता है खुलासा
कथित फिलिंग स्टेशनों के टैंक की क्षमता अधिकतम 40 हजार लीटर है। जबकि उनके द्वारा रोजाना 1 से 3 लाख लीटर डीजल की आपूर्ति करायी जा रही है। इस डीजल को कहां पर खपाया जा रहा है। इसका लेखा-जोखा किसी के द्वारा नहीं लिया जा रहा है। वहीं सेल टैक्स अमला भी अंजान बना हुआ है. Singrauli
चर्चा है कि डीजल के स्टॉक एवं नोजल रीडिंग से ही इनके काले कारनामों का पर्दाफास हो सकता है। किन्तु यह खेल बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसीलिए कोई इन पर डोरे नहीं डाल रहे हैं। फिलहाल इन दिनों डीजल के इस खेला को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. Singrauli