MP Madarsa : भोपाल से बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कई मदरसों (Madarsa) का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने पाया की कई मदरसे अवैध तरीके से चलाए जा रहे थे बाणगंगा इलाके में संचालित मदरसे में पढ़ने वाले एक भी स्थानीय छात्र नहीं है, सभी 35 छात्र बिहार के मधुबनी और पूर्णिया जिले के रहने वाले है, इन छात्रों का पहचान पात्र भी एक ही है और 35 छात्रों में से 24 छात्रों की जन्मतिथि भी एक ही है.(Child Rights Protection Commission inspected madrasas in Bhopal)
भोपाल: बैरागढ़ रेलवे स्टेशन से बीते मंगलवार को 14 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था. साथ आए दो परिवारों ने बच्चों को इन मदरसों (Madarsa) में पढ़ाने के लिए लाने की बात कही थी. इस मामले के बाद राजधानी के विभिन्न मदरसों में बड़ी संख्या में बिहार से बच्चों के लाए जाने की बात सामने आ रही है. इसे देखते हुए मध्य प्रदेश के बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल कल्याण समिति भोपाल ने शुक्रवार को शहर के दो मदरसों (Madarsa) का निरीक्षण किया.
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मध्य प्रदेश के एक मदरसे (Madarsa) में अजीबोगरीब घटना सामने के बाद राजनीति गर्मा गई हैं.दरअसल भोपाल के बाणगंगा इलाके के एक मदरसे के 35 छात्रों में से 24 छात्रों का एक ही दिन जन्मदिन था, 1 जनवरी को सभी का जन्मदिन था, हालांकि उनके जन्म का साल अलग था, मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग (MPCPCR) और स्थानीय बाल कल्याण समिति (CWC) ने शुक्रवार को इसका दौरा किया, जिसके बाद खुलासा हुआ हैं.
बता दे कि 12 से 15 वर्ष की आयु के 35 छात्र बिहार के पूर्णिया और मधुबनी जिलों के निवासी हैं, मदरसे में दाखिल इन छात्रों का एक पहचान पत्र उनका आधार कार्ड था, निरीक्षण दल के साथ स्थानीय पुलिस भी थी.इन मदरसों के कर्मचारियों का दावा है कि भले ही इन बच्चों ने अपने माता-पिता की सहमति से यहां पढ़ाई की, लेकिन वे इस संबंध में कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके.
आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने कहा कि अधिकांश बच्चों को उनके ग्राम प्रधान के हस्ताक्षर वाले दस्तावेजों के आधार पर भोपाल के मदरसे (Madarsa) में भेजा गया था, हालांकि मदरसे में मौजूद कुछ बच्चों ने कहा कि वे पहले से ही अपने गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ रहे थे, यह देखा गया है कि इन दोनों मदरसों (Madarsa) में पढ़ने वाले बच्चों को केवल धार्मिक शिक्षा दी जा रही है और कोई अन्य बुनियादी शिक्षा प्रदान नहीं की जा रही हैं, इससे उनका भविष्य कि नीवं सही ढंग से नहीं रखी जा रही हैं.
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हैरानी की बात यह है कि इन राज्य मदरसा बोर्ड में कोई स्थानीय छात्र नहीं थे, ये मदरसे अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के नाम पर खोले गए हैं, म.प्र राज्य मदरसा बोर्ड में दो मदरसे पंजीकृत थे, दो मदरसे बिना अनुमति के आवासीय छात्रावास चला रहे थे, हालांकि, छात्रावास के नाम पर इन बच्चों के लिए टिन के डिब्बे में पर्याप्त शौचालय नहीं थे. यहाँ अव्यवस्था का आलम था..
चौहान ने कहा, “हमने बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य पुलिस से अपने स्तर पर मामले की जांच करने का अनुरोध करते हुए एक पत्र भी लिखा है.” इसके अलावा, उनसे पूछा गया कि इन छात्रों को बिना पर्याप्त दस्तावेजों या उनके माता-पिता की लिखित सहमति के बिना बिहार से भोपाल कैसे लाया गया.