सीधी। माफियाओं द्वारा रेत के अवैध खनन और ओवरलोड की लगातार शिकायतों के बावजूद अवैध उत्खनन परिवहन जारी है। पुलिस व खनिज अधिकारी रेत माफियाओं की ही जुबान बात करते हैं। पुलिस परिवहन में लगे ओवरलोड वाहनों को रोकने के बजाय ग्रामीणों को ही धमकाते नजर आते हैं जबकि रेत माफियाओ के ओवरलोड गाड़ियों ने ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों का कचूमर निकाल दिया है। कुछ ऐसा ही मामला सीधी जिले में देखने को मिला जहां रेत से ओवरलोड वाहनों को जब ग्रामीणों ने रोक दिया तो बवाल मच गया। पुलिस एक्शन में आ गई और मौके पर पहुंची ग्रामीणों को ही खाकी का रौब दिखाने लगी।
बता दें कि गोतरा खदान से ओवरलोड गाड़ियों ने गांव की सड़कों को गड्ढों में तब्दील कर दिया इन गड्ढों की वजह से कई हादसे होने के बाद अब ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है। कई ग्रामीण इकट्ठा होकर ओवरलोड गाड़ियों को रोक दिया। लेकिन सच है कि रेत माफियाओं के हौसले ऐसे ही बुलंद नहीं है उनकी हर गलती पर पर्दा डालने के लिए सरकारी दफ्तरों में बैठे वही लोग सक्रिय हैं जिन पर रेत का अवैध खनन ओवरलोड गाड़ियों को रोकने की जिम्मेदारी है। शुक्रवार को जब ग्रामीणों ने ओवरलोड गाड़ियों को रोका इसकी जानकारी रेत माफिया को लगी तो ओवरलोड गाड़ियों के रुकते ही मौके पर पहुंची पुलिस ओवरलोड गाड़ियों पर कार्यवाही न करते हुए उल्टा ग्रामीणों को ही धमकाने में लग गया।
कुसमी पुलिस ने ग्रामीणों को धमकाया
मिली जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों ने जब ओवरलोड ट्रकों को निकलने से रोक दिया तो मौके पर रेत माफिया व कुसमी थाना का एक एएसआई पहुंचा। मौके पर मौजूद लोगों की माने तो इस दौरान पुलिसकर्मी ग्रामीणों को धमकाते हुए केस में फंसाने तक की बात कह दी साथ ही कहा कि मिलने जुलने वाला कुछ नहीं है हां गाड़ियां रोकोगे तो बहुत बड़ी समस्या में फंस जाओगे।
सड़कों का अस्तित्व हो गया खत्म
नौ टन वजन सहने वाली सड़कों पर पांच गुणा अधिक भार के ओवरलोड वाहन सरपट दौड़ रहे हैं। नतीजा यह है कि करोड़ों की लागत से बनीं सड़कें अस्तित्व खो रही हैं। गोतरा नदी से जो माल निकाला जाता है, उसमें पानी होता है। उसे ट्रकों में लोड किया जाता है। ओवरलोड वाहनों और उनसे गिरते पानी से सड़कें दो माह में ही बिखरने लगती हैं। अब यदि विभाग की तरफ से सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।