MP News सिंगरौली। ऊर्जाधानी में सियासी समीकरण बदले हुए हैं यहां भाजपा के राम और राजा की सियासी अदावत में एक बार फिर भाजपा उलझी नजर आ रही है। राजा अपने वजीरों को विधायक की कुर्सी पर हर हाल में पहुंचाना चाहते हैं मगर यह भी एक हकीकत है राजा और राम के बीच के संबंध की कसौटी पर भाजपा प्रत्याशी खड़े नहीं उतर रहे हैं राजा को राम भले ही सामने आकर चुनौती नहीं दे रहे लेकिन परदे के पीछे रहकर इस बार भाजपा को हराने के वह हर हथकंडे अपना रहे हैं जो एक कुशल राजनीतिज्ञ अपनाते हैं। वह साम दाम दंड भेद के साथ इस वक्त बीजेपी को हराने का बीड़ा उठा लिया है।
चर्चा है कि राजा इस बार अपने वजीरों को चुनावी संग्राम में टिकट दिलाने में सफलता हासिल जरूर की है लेकिन जीत की राह इस बार आसान नहीं होगी. चर्चा है कि राजा और राम की राजनीतिक अदावत कोई आज की नहीं बल्कि दो दशक से ज्यादा की है। इस बार राम के सारे दाव फेल करते हुए राजा ने अपने सिपेसालारों को टिकट दिलाने में सफल जरूर हुए हैं लेकिन इस बार उनके एक वजीर को इस बार बाहरी का ठप्पा लगा। और हर दिन क्षेत्र में मुर्दाबाद के नारे लगने शुरू हो गए हैं। राजा के सिंगरौली देवसर और चितरंगी प्रत्याशियों को हराने के लिए भाजपा के भीतर और बाहर दोनों से चुनौतियां मिल रही हैं। चर्चा है कि राजा इस बार सिंगरौली जिले की तीनों सीटों को जिताकर लोकसभा में अपनी टिकट पक्की करने के जुगाड़ में है। यदि वह अपने तीनों बजीरो को जीत दिलाने में सफल होते हैं तो उनकी लोकसभा सीट की दावेदारी पुख्ता हो सकती हैं। MP News
सिंगरौली भाजपा में लगा पहला दाग
चुनाव में शराब पीना और पिलाना पार्टी प्रत्याशियों के लिए एक रस्म है इसमें प्रत्याशियों के रसूख का भी पता चलता है लेकिन गड़बड़ तब हो जाता है जब शराब पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है पुलिस के पकड़े जाने के बाद प्रत्याशियों की किरकिरी भी होती है समाज में बदनामी होती है। कल ऐसा ही एक वाक्य सिंगरौली विधानसभा सीट में देखने को मिली जब भाजपा प्रत्याशी रामनिवास शाह के साले की गाड़ी में शराब पकड़ी गई तो सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया। हालांकि अब प्रत्याशी के साले की गाड़ी में शराब पकड़े जाने के बाद विरोधी दल इसे तूल दे रहे हैं तो वहीं आम जनमानस में चर्चा है कि शराब का चलन कोई नया नहीं है यह आम बात है चुनाव में सब नंगे हैं जो पकड़ा गया वह बदनाम होता है। MP News
बाहरी प्रत्याशी बताकर मेश्राम को कर रहे परेशान
भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र मेंश्राम देवसर विधानसभा के लिए कोई नया चेहरा नहीं है वह एक बार देवसर विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे लेकिन इस बार उन्हें टिकट मिला तो उन्हें क्षेत्र में बाहरी प्रत्याशी बताकर 14 दिनों से लगातार विरोध और मुर्दाबाद के नारों से दो चार होना पड़ रहा है। वहीं उन पर बालाघाट के लोगों को नौकरी दिलाई जाने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं इस पर कितनी सच्चाई है यह वही बता सकते हैं। इस भी चर्चा यह भी है कि राजेंद्र मेश्राम को वह कौन लोग हैं जो बाहरी बता रहे हैं। बाहरी बताने वाले पार्टी के भीतर से हैं या अन्य दलों से हैं यह भी अभी एक गूढ़ रहस्य बना है। माना जा रहा है कि बाहरी बताकर सिर्फ दो लोगों को ही फायदा हो सकता है पहला विरोधी दल को या फिर दूसरे जो भाजपा के दावेदार थे और जिनका टिकट कट गया है वह भी भाजपा प्रत्याशी को हराना चाहते हैं। चर्चा है की जाने क्या होगा राजेंद्र मेश्राम को बाहरी प्रत्याशी बात कर घेरने वालों की रणनीति, वह अपने रणनीति में सफल होंगे या असफल यह आने वाला वक्त सबको आईना दिखाएगा। MP News
चितरंगी में राजा की फील्डिंग सबसे मजबूत