Singrauli News सिंगरौली। जिले की तीनों विधानसभा सीटों में भाजपा कांग्रेस सहित सभी दलों ने अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। आज प्रत्याशियों के नामांकन का अंतिम दिन भी था। अब सभी पार्टियां अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में पूरी ताकत झोंक दिए हैं। हालांकि सत्ता विरोधी लहर के बीच भाजपा को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा उठापटक देवसर विधानसभा में नजर आ रहा है। यहां भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र मेंश्राम को जहां सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं उन्हें बाहरी प्रत्याशी का तमगा देकर उनकी परेशानी मतदाताओं ने और बढ़ा दी है। अब कांग्रेस और आप पार्टी ने भाजपा प्रत्याशी को बाहरी कैंडिडेट बनाने में तुले हैं।
चर्चा है कि देवसर विधानसभा में भाजपा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर हैं। भाजपा ने मौजूदा विधायक सुभाष रामचरित वर्मा का टिकट काटकर पूर्व विधायक राजेंद्र मेंश्राम को अपना प्रत्याशी बनाया। चर्चा हैं कि टिकट कटने के बाद मौजूदा विधायक और उनके समर्थकों की नाराजगी भले सामने नहीं आई लेकिन वह पार्टी के फैसले से नाराज है और चुनाव प्रचार से खुद को अलग किया हुआ है। तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र मेश्राम को पिछले दिनों ग्रामीणों ने राजेंद्र मेंश्राम हटाओ देवसर बचाओं के नारे लगाए। साथ ही कहा कि अगर राजेंद्र मेश्राम भाजपा के उम्मीदवार रहेंगे तो हम मतदान का बहिष्कार करेंगे। वहीं बीते दिनो राजेंद्र मेंश्राम जब एक गांव में अपना चुनाव प्रचार करने के लिए पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें खरी खोटी सुनाते हुए मुर्दाबाद तक कि नारे लगा दिए। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। ऐसे में कहा जाता है कि भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र मेश्राम को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है तो वही खुद को स्थानीय साबित करना बड़ी चुनौती साबित हो रही है। वहीं भाजपा के भीतर भी कई ऐसे नेता हैं जो भाजपा प्रत्याशी के लिए चुनौती बने हैं। Singrauli News
देवसर के दिल में वंसमणि या फिर रतिभान ?
भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र मेंश्राम देवसर के पूर्व विधायक भी रहे हैं, पहली बार जब चुनाव लड़े थे तो जनता ने उन्हें सर आंखों में बैठाया और भारी मतों से जिताकर उन्हें विधानसभा पहुंचाया था। लेकिन इस बार फिजा बदली हुई नजर आ रही हैं इसके पीछे वजह क्या है इसका तर्क लोग अलग-अलग दे रहे हैं। वहीं चर्चा है कि कांग्रेस प्रत्याशी वंशमणि वर्मा और आप प्रत्याशी रतीभान लंबे समय से राजनीति से जुड़े हैं और दोनों नेताओं के ऊपर कोई दाग नहीं है वहीं दोनों नेता जमीनी स्तर के नेता के रूप में अपनी छवि बनाए रखने में सफल रहे हैं। हालांकि जीत किसकी होगी किसका राजतिलक होगा यह तो आने वाला परिणाम ही बताएगा। Singrauli News
मेंश्राम को कौन साबित करना चाहता है बाहरी
भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र मेंश्राम को इस बार बाहर के साथ पार्टी के भीतर से भी चुनौती मिल रही हैं। साल 2013 विधानसभा चुनाव में देवसर विधानसभा सीट से वह रिकॉर्ड वोटो से चुनाव जीते थे। उस चुनाव में उन पर बाहरी होने के आरोप नहीं लगे थें। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर वह कौन लोग हैं जो उन्हें बाहरी प्रत्याशी साबित करने में तुले हैं। चर्चा है कि इस बार पूर्व विधायक राजेंद्र मेंश्राम को टिकट मिलने के साथ ही पार्टी के भीतर घमासान मच गया था। वहीं अन्य सभी दल अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए वह सारे हथकंडे अपना रहे हैं जिससे विपक्षी दलों का जनाधार बढ़े। संभावना जताई जा रही हैं कि श्री मेंश्राम से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता रखने वाले लोग हैं जिनका टिकट कटा होगा या फिर जो दावेदार थे जिसे टिकट नहीं मिला ऐसें लोग विरोधियों के साथ मिलकर उन्हें बाहरी प्रत्याशी साबित करने में लगे हों। हालांकि यह देखने लायक होगा कि विरोधी अपने मंसूबों पर कितना कामयाब होते हैं। Singrauli News