उमरिया जिले के नगरपालिका पाली में भाजपा की परिषद के अध्यक्ष के खिलाफ पार्टी के पार्षदों द्वारा ही अविश्वाश प्रस्ताव लाने से सियासत गरमा गई है,भाजपा के छह कांग्रेस के तीन और एक निर्दलीय पार्षद ने कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा है। भाजपा के जनजातीय कार्यमंत्री मीना सिंह का विधानसभा क्षेत्र है। पाली का मिजाज देख विरोधी भी एकजुट हो रहे हैं लाला की पूरी लड़ाई को भाजपा जिला अध्यक्ष घर की लड़ाई बता रहे हैं और असंतुष्ट को मनाने का दावा कर रहे हैं।
दरअसल उमरिया जिले के पाली नगरपालिका में अध्यक्ष उषा कोल के खिलाफ उनकी पार्टी के ही पार्षदों और उपाध्यक्ष ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है, वर्ष 2017 में भाजपा की टिकट से उषा कोल नगर पालिका की अध्यक्ष निर्वाचित हुई थी, निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और अपनी ही पार्टी के पार्षदों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भाजपा के छह कांग्रेस के तीन और एक निर्दलीय पार्षद ने कलेक्टर को अध्यक्ष उषा कोल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया है, पार्षदों की इस हरकत से जहां जिले की सियासत गरमा गई है वहीं जिले की जनजातीय कार्यमंत्री मीना सिंह की विधानसभा होने से आरोप प्रत्यारोप के दौर भी शुरू हो गए हैं।
इनका कहना है
पार्षदों द्वारा उपेक्षा और निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार का आरोप सरेआम लगने के बाद अध्यक्ष उषा कोल ने सफाई देते हुए कहा है कि मैंने चार वर्षों तक लगातार जनता की सेवा की है यह सब विपक्षी कांग्रेस की साजिश है वहीं भाजपा के जिलाध्यक्ष ने भी नगर पालिका अध्यक्ष का बचाव करते हुए कहा है कि यह घर का मामला है असंतुष्टों से बात कर उन्हें मना लिया जाएगा।
उषा कोल – अध्यक्ष नगर पालिका पाली
इनका कहना है
पंद्रह पार्षदों वाली नगर पालिका पाली में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वाश प्रस्ताव को नियमानुसार 12 पार्षदों के एकजुट होने पर ही मूर्त रूप दिया जा सकता है भाजपा कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद मिलाकर अभी तक कुल 10 पार्षद ही एकजुट हो पाए हैं वहीं अविश्वास प्रस्ताव की अगुआई कर रहे भाजपा के पार्षद रामधनी प्रधान का दावा है दो और पार्षद शीघ्र ही अविश्वाश प्रस्ताव के समर्थन में सामने आएंगे बहरहाल अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो या न हो लेकिन उमरिया जिले की सियासत का राजनीतिक पारा इस घटनाक्रम को लेकर चढ़ चुका है।
दिलीप पांडेय – भाजपा जिलाध्यक्ष उमरिया