राजगढ़ – कोरोना महामारी के चलते वैसे ही किसानों की फसल खरीदने के लिए शासन ने कृषि उपज मंडियों में किसानों की फसलों की खरीदी देर से शुरू कराई है। अब तक करीब 600 किसानों में अपनी कसम मंडी में पहुंचा चुके हैं वही अन्य किसान अपनी फसलो को लेकर मंडियों में पहुंच रहे है। इस दौरान मंडी में अव्यवस्था के चलते कई घंटों तक किसानों को अपनी फसल का तौल कराने में कई घंटों इंतजाार करना पड़ा और जब इंतजार खत्म हुआ तो बैंक में पैसा ना होने से किसानों को फसल का मूल्य नहीं मिला तो खुद को ठगा महसूस करने लगे। मिली जानकारी के मुताबिक माचलपुर की कृषि उपज मंडी का जहा अत्यधिक किसान अपनी फसल लेकर पहुंचने से मंडी प्रांगण वाहनों से पैक हो गया ।क्षइन परिस्थितियों में फसलो के वाहन करीब 1 किलोमीटर तक मंडी के बाहर रोड़ पर खड़े अपनी फसलो को बेचने के बारी का इंतजार करते रहे।
सरकारी आदेश को किया दरकिनार
शासन द्वारा किसानों को फसलो को बेचने पर 2 लाख रु. तक नगद भुगतान करने का आदेश दिया गया था लेकिन यह आदेश भी धराशाई हो गया। फसल लेने के बाद बैंक प्रबंधन ने साफ तौर पर बताया कि नगद राशि नहीं होने से आपके फसलों को भुगतान बीते कुछ दिनों में किया जाएगा इन परिस्थितियों में किसान खुद को ठगा महसूस कर रहा था।
सोशल डिस्टेंस की जमकर उड़ाई धज्जियां. कृषि उपज मंडी माचलपुर में किसानों व व्यापारियों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई या मौजूद जिम्मेदारों मैं सोशल डिस्टेंस को बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं की थी।मंडी में ऐसा प्रतीत होता है कि मंडी को कोरोना का प्रवेश द्वार बनाने की इनकी तैयारी हो रही है।
किसानों ने नायब तहसीलदार से की शिकायत—किसानों को फसलो की राशि 2 लाख तक नगद नही दी जा रही है जिसकी शिकायत मंडी प्रशासक नायाब तहसीलदार नवीनचंद्र कुम्भकार को दी गई। जिस पर नायब तहसीलदार ने मंडी का निरीक्षण किया और किसानों को सोमवार तक 2 लाख रुपये तक कि नगद राशि वाले किसानों को भुगतान करने का आदेश दिया है साथ ही यह भी कहा है कि दो लाख के भीतर तक फसल बेचने वाले किसानों को तुरंत ही भुगतान किया जाएगा। ही मिलेगी ऐसा आश्वासन दिया बतादे की