सिंगरौली 6 अप्रैल । सिंगरौली इलाके का एयर प्रदूषण बेहद खराब स्थिति में है। आज बुधवार को भारत सरकार के पोर्टल एनसीडीसी द्वारा जारी सीपीसीबी के अनुसार सिंगरौली का एयर क्वालिटी इंडैक्स वैल्यू 323 पहुंच गया है। यह सबके लिए चिंता का कारण बन गया है। फिर भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अमला अभी भी एसी दफ्तर में बैठकर प्रदूषण पर नियंत्रण पाने कोशिश कर रहा है। कलेक्टर साहब अब आप ही कुछ करिए वर्ना प्रदूषण को लेकर स्थिति राजधानी दिल्ली से भी बद्तर हालत हो जायेगी।
गौरतलब हो कि सिंगरौली का एयर प्रदूषण लगातार चिंताजनक स्तर पर पहुंचता जा रहा है। भारत सरकार के पोर्टल एनसीडीसी द्वारा जारी सीपीसीबी के अनुसार सिंगरौली का एयर क्वालिटी इंडैक्स वैल्यू 323 पहुंच गया है। जिले में एयर प्रदूषण का लगातार बढ़ते प्रदूषण को देख अब सबको चिंता में डाल दिया है। हालांकि यह चिंता केवल आम नागरिकों को है। किन्तु प्रदूषण नियंत्रण अमला ठोस कदम नहंी उठा रहा है। सीधी सांसद रीती पाठक ने लोकसभा के सदन में सिंगरौली जिले के प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। वही सांसद के सक्रिय होने के बाद जिला प्रशासन के भी कान खड़े हुए और आनन-फानन में बैठक बुलाकर एयर प्रदूषण पर नियंत्रण पाने का खाका तैयार किया गया। लेकिन अभी तक स्थिति बद् से बद्तर होती जा रही है। आलम यह है कि बुधवार को जिले का एयर क्वालिटी इंडैक्स वैल्यू 323 पहुंच गया है। हालांकि कल की तुलना में आज कुछ एयर प्रदूषण में गिरावट आयी है। फिर भी भारत सरकार के पोर्टल एनसीडीसी द्वारा जारी सीपीसीबी के अनुसार सिंगरौली का एयर क्वालिटी इंडैक्स वैल्यू 323 बेहद खराब स्थिति माना है। ऐसे में एयर प्रदूषण पर जिला प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण अमला कब नियंत्रण पायेगा इस पर कुछ भी कह पाना मुश्किल लग रहा है। प्रदूषण नियंत्रण अमले की चाल ही बता रही है कि वह इसके प्रति गंभीर नहीं है बल्कि विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर कई तरह के आरोप लगाया जा रहा है। फिलहाल जिले में एयर प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव को देख लोगबाग अपने-अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंता जाहिर कर रहे हैं। साथ ही अब उनके माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गयी हैं। शहर में इन दिनों एयर प्रदूषण के प्रभाव को लेकर जगह-जगह चर्चाएं चलती रहती हैं।
मोरवा मार्ग में धूल के उड़ते हैं गुब्बारे
जयंत से मोरवा जाना इन दिनों बेहद जोखिम भरा हुआ है। कोयले के धूल के गुब्बारों के आगे सड़क मार्ग से चलने वाले कार, बाइक, मोटर साइकिल सवार बेवश हो जाते हैं। आलम यह है कि यदि सामने या साइड से कोई भी कोल, बस, ट्रक, हाईवा वाहन गुजर गये तो 50 मीटर दूरी तक धूल के गुब्बारों के आगे कुछ भी नहीं दिखता है और बाइक सवार धूल से लथपथ हो जाते हैं। यह समस्या आज से नहीं कई महीने से बनी हुई है। बावजूद एनसीएल प्रबंधन व अन्य कंपनियां इस पर बहानेबाजी के अलावा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडऩे का प्रयास कर रहे हैं। जिसके चलते सिंगरौली मोरवा का यात्रा करना जान जोखिम साबित हो रहा है। वहीं जयंत खदान से लेकर कांटो मोड़ मोरवा तक की सड़क के कचूमर निकल आये हैं। गड्ढे जानलेवा साबित हो रहे हैं।
क्या है पीएम 10,सिंगरौली भी इसी दायरे मेंं
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार पीएम 10 वो कण है जिनका व्यास 10 माइक्रोमेटर होता है और इन्हें फाइन पार्टिकल्स भी कहा जाता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पीएम 10 को रेस्पायरेबल पार्टिकुलेट मैटर भी कहते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। पीएम 10 और 2.5 धूल, निर्माण की जगह पर और कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ता है। भारत सरकार के पोर्टल एनसीडीसी द्वारा जारी सीपीसीबी के अनुसार सिंगरौली का एयर क्वालिटी इंडैक्स वैल्यू जहां 323 पहुंचा है वहीं पीएम 10 के दायरे में है। यह बेहद खराब माना जा रहा है।