सिंगरौली 3 जनवरी। बैढऩ शहर समेत समूचे जिले में बायो मेडिकल बेस्ट के निस्तारण के लिए शहर से लेकर ब्लाक स्तर तक कोई इंतजाम नहीं है। जबकि बैढऩ शहर समेत समूचे जिले के नगर कस्बों में दर्जनों की संख्या में नर्सिंग होम, क्लीनिक व सैकड़ों की तादात में पैथालॉजी सेंटर संचालित हैं। फिर भी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अमला बेसुध पड़ा है।
गौरतलब हो कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर उस पर नियंत्रण पाने के लिए एनजीटी का सख्त निर्देश है कि किसी भी हालत में प्रदूषण नहीं बढऩा चाहिए। सॉलिड बेस्ट, लिक्विड बेस्ट, बायो मेडिकल बेस्ट के निस्तारण के लिए भी सख्त दिशा-निर्देश दिये गये हैं।
एनजीटी के द्वारा म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय को सख्त निर्देश दिया गया है कि इन सभी बेस्ट मटेरियलों के निस्तारण के लिए ईटीपी व एसटीपी हर हाल में लगाये जायें। किन्तु जिले में एक भी अभी तक ईटीपी व एसटीपी नहीं लगाया गया है। हालांकि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी नीरज वर्मा के अनुसार बैढऩ शहर के एक होटल परिसर में एसटीपी, ईटीपी लगे होने का दावा किया है, लेकिन उनका यह दावा हवा हवाई है। सूत्र बताते हैं कि इसमें हकीकत कुछ और है। इधर शहर समेत समूचे जिले में संचालित नर्सिंग होम क्लीनिक व पैथालॉजी सेंटरों पर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अमले के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी। लिहाजा कथित पैथालॉजी सेंटरों, क्लीनिकों के द्वारा बायो मेडिकल बेस्ट जैसे सिरिंज, काटन, यूरिन का डिब्बा सहित अन्य मटेरियल सड़कों के किनारे फेक दिया जा रहा है। जहां मवेशी भी इन बेस्ट मटेरियलों को खाते नजर आते हैं। साथ ही शहर के कुछ क्लीनिकों के द्वारा बायो बेस्ट मटेरियल को पोलीथीन में पैक कर सड़क के किनारे रख दिया जाता है। शाम के वक्त नपानि सिंगरौली का कचरा वाहन उक्त पोलीथीन में भरे बेस्ट को गनियारी के कचरा प्लांट में फेंक दिया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि क्लीनिकों व पैथालॉजी सेंटर मिलकर कचरा वाहनों को महीने में ठीक-ठका सेवा सत्कार नकद नारायण के रूप में करते हैं। फिलहाल जिले में प्रदूषण नियंत्रण अमले की वजह से जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढऩे व उक्त अमले की वेवशी से लोगों की चिंताएं घटने की वजाय बढऩे लगी हैं।
संचालित पैरामेडिकल की नहीं मिली जानकारी
म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सिंगरौली के क्षेत्रीय अधिकारी नीरज वर्मा बताते हैं कि जिले में पैथालॉजी नर्सिंग होम व क्लीनिक कितने संचालित हैं। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से जानकारी मांगी गयी है लेकिन अभी तक उक्त जानकारी नहीं मिल पायी है। इधर विभाग की विवशता व लापरवाही भी साफ झलक रही है। पर्यावरणविद कहते हैं कि यदि सीएमएचओ द्वारा उक्त जानकारी नहीं उपलब्ध करायी गयी तो यदि क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होते तो शायद कलेक्टर के माध्यम से जानकारी मिल जाती।
जिले के निजी नर्सिंग होम व सरकारी अस्पतालों का सतना में निस्तारण
जानकारी के अनुसार जिला चिकित्सालय सहित जिले के समस्त सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों का सॉलिड बेस्ट, लिक्विड बेस्ट, बायो मेडिकल बेस्ट के निस्तारण के लिए इंडो वाटर मैनेजमेंट सतना को जिम्मा सौंपा गया है। जहां यहां के सरकारी अस्पतालों व कुछेक नर्सिंग होम से भी बायो मेडिकल बेस्ट सतना भेजा जा रहा है। प्राइवेट नर्सिंग होम से भी इनके बीच इंडो वाटर मैनेजमेंट सतना से टाइअप है। जहां उक्त फर्म के वाहन द्वारा दूसरे-तीसरे दिन आकर सॉलिड बेस्ट, लिक्विड बेस्ट, बायो मेडिकल बेस्ट के सामग्रियों का परिवहन किया जाता है।