सियासत भी अजीब सी है- न यहां कोई परमानेंट दोस्त है और न कोई दुश्मन- सब अपने फायदे के लिहाज से कहीं से हट रहे हैं और कहीं सट रहे हैं. बेरोजगारी व महंगाई से जनता भले ही हमेशा हलकान रहे. शायद मुल्क की सियासत को देखते हुए ही वसीम बरेलवी ने यह नज़्म लिखी होगी-उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में,इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए….की सोच रखता हो।
अब आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं। तो आइए आज हम आपको सीधी जिले की कानून व्यवस्था व जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर नजर डालते हैं कि आज वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किस तरह कर रहे हैं
तो बात कुछ ऐसी है कि प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ सरकार चला रहे थे उन दिनों सीधी सिंगरौली की भाजपा सांसद रीति पाठक, सीधी विधायक केदार शुक्ला, चुरहट विधायक शर्तेंदू तिवारी व धौंहनी विधायक कुंवर सिंह टेकाम बेरोजगारी और रेत के अवैध उत्खनन परिवहन पर खूब हल्ला डपाली कर रहे थे। मानो यह जनता की सच्चे रहनुमा है। सभी जनप्रतिनिधि एक स्वर में कांग्रेस सरकार पर मशीनों से नदियों का सीना छलनी करने का आरोप लगाते थे। वही स्थानीय लोगों को नौकरी दिलाने का खूब राग अलाप रहे थे। समय का चक्र फिरा और भाजपा एक बार फिर सत्ता में आई लेकिन व्यवस्थाएं पहले की तरह ही चलती रही यहां ना तो बेरोजगारों को रोजगार मिला और ना ही नदियों का सीना छलनी होना बंद हुआ हां यह बात जरूर रही कि भाजपा के सभी जनप्रतिनिधियों को सब कुछ ठीक दिखने लगा। और अब कोई हल्ला डफली नहीं कर रहे हैं।
CM शिवराज के तमाम दावों के विपरीत सीधी जिले में रेत माफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। सीधी जिले के मड़वास व खड्डी क्षेत्र में रेत माफियाओं का अच्छा खासा आतंक भी देखने को मिला है। खड्डी क्षेत्र में पुलिस ने जब एक रेत से भरे ट्रैक्टर को पकड़ा था तो वहा रेत माफियाओं ने सैकड़ों की संख्या में चौकी पहुंच कर घेराव कर दिया था। कहा जाता है कि सफेदपोश कई बड़े नेता रेत माफियाओं को खुला संरक्षण दे रखे हैं यही वजह है कि यह न केवल रात के अंधेरे में बल्कि दिन के उजाले में भी रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन करते हैं अब भाजपा के कोई भी जनप्रतिनिधि रोजगार की बात नहीं करता रेत माफिया खुलेआम नदियों का सीना छलनी करने के लिए बीच नदी में चैन माउंटेन से रेत निकासी कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस सरकार के समय हल्ला डपाली करने वाले सीधी जिले के जनप्रतिनिधियों के आज मुंह में ताला लग गया है। इसके पीछे गली चौराहे में चर्चा हो रही है कि सब मैनेजमेंट का खेल है इसीलिए सब चुप्पी साधे हैं।