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    Madhya Pradesh

    जनसुनवाई में न्याय की प्यास, हेंडपंप की कहानी में सिस्टम की कहानी

    By Pro VindhyaNovember 12, 2025No Comments2 Mins Read
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    सिंगरौली। कलेक्टर की जनसुनवाई में इस बार सबसे गहरी आवाज़ पानी की नहीं, प्यास की थी। रामसुमन साकेत अपने आवेदन के साथ पहुंचे और बोले -साहब, मेरा हेंडपंप किसी और के आंगन में खुद गया है। जनसुनवाई में मौजूद अफसरों ने पहले तो मुस्कुराकर सोचा यह कोई मजाक है, लेकिन जब पत्र देखा गया, तो सिस्टम का असली चेहरा पानी से पहले सामने आ गया।

    गौरतलब है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) की कहानी भी अब किसी धारावाहिक से कम नहीं रही, हर एपिसोड में एक नया ट्विस्ट। यहां स्वीकृति एक जगह की होती है, खुदाई दूसरी जगह, और जवाब तीसरी जगह से आता है,तकनीकी कारणों से ऐसा हुआ। तकनीकी कारणों से अब जनता की प्यास बढ़ रही है, और विभाग की सुविधा भी।

    सरईझिरी गांव निवासी रामसुमन साकेत ने जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई कि उनके घर के पास स्वीकृत हेंडपंप को इंजीनियर और कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से दूसरे स्थान पर खुदवा दिया गया। रामसुमन साकेत बताते हैं कि इंजीनियर साहब खुद घर आए, फोटो लिए, आधार देखा, नापजोख की, पर जब हेंडपंप खुदा, तो पास वाले के घर निकल गया। अब गांव के लोग कहते हैं, जिसके पास सिस्टम की पहचान है, वही पानी का हकदार है।

    जनसुनवाई में साकेत ने कलेक्टर से कहा साहब, पानी नहीं चाहिए, न्याय चाहिए। कलेक्टर ने जांच के आदेश तो दिए, मगर जनता जानती है कि जांच का अर्थ है, कुछ दिन कागज़ घूमेगा, फिर फाइल सो जाएगी। इस जनसुनवाई ने एक सवाल जरूर खड़ा कर दिया, क्या अब न्याय भी पाइपलाइन में फंस गया है? क्या हेंडपंप की तरह न्याय भी स्वीकृति तो यहां का है, लेकिन खुदाई कहीं और की हो रही है? जनता उम्मीद में है कि इस बार सिर्फ हेंडपंप नहीं, सिस्टम की सूखी आत्मा भी थोड़ी सी गीली होगी।

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